
स्टारबेस फैसिलिटी के लॉन्च पैड पर स्पेसएक्स के स्टारशिप रॉकेट में विस्फोट हो गया. इससे भारत में चिंताएं बढ़ गईं हैं. कारण भारत के अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 22 जून 2025 से पहले अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरने के लिए तैयार हैं और वह जिस रॉकेट का उपयोग करेंगे, वह फाल्कन-9 रॉकेट और क्रू ड्रैगन कैप्सूल है.ये स्पेसएक्स का ही रॉकेट है. ऐसे में शुभांशु शुक्ला की उड़ान से ठीक पहले स्पेसएक्स के दूसरे रॉकेट में विस्फोट से शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर सवालिया निशान लग गए हैं. भले ही यह विस्फोट एक अलग रॉकेट पर हुआ हो, लेकिन है तो ये स्पेसएक्स का ही.
शुभांशु शुक्ला की यात्रा कई बार टाली गई
शुभांशु शुक्ला के रॉकेट लॉन्च को बार-बार टाला गया है, क्योंकि पहली बार लॉन्च की तारीख 29 मई, 2025 घोषित की गई थी. ग्रुप कैप्टन शुक्ला फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरेंगे. संयोग से स्पेसएक्स ने ही फाल्कन-9 रॉकेट पर लिक्विड ऑक्सीजन के लीक होने की सूचना दी थी और तब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. वी नारायणन के नेतृत्व में कैनेडी स्पेस सेंटर में तैनात भारतीय वैज्ञानिकों ने इसके मरम्मत और 'वैलीडेशन' पर 'जोर' दिया था, जो संयोग से भारत के आग्रह के बाद स्पेसएक्स ने किया था. इसके बाद इसरो ने कहा कि 'स्पेसएक्स ने फाल्कन-9 एलओएक्स (लिक्विड ऑक्सीजन) लीक को ठीक कर दिया है.'फाल्कन-9 रॉकेट का लगभग 500 लॉन्च में 99.6% सुरक्षा रिकॉर्ड है. हालांकि इसने आज तक केवल दस मानव अंतरिक्ष उड़ानें भरी हैं, मगर सभी सफल रही हैं.
स्पेसएक्स ने विस्फोट पर क्या कहा
स्पेसएक्स ने विस्फोट पर घोषणा की है कि बुधवार, 18 जून को लगभग 11 बजे रात को सेंट्रल टाइम पर, दसवीं उड़ान लॉन्च की तैयारी कर रहे स्टारशिप को स्टारबेस पर एक टेस्ट स्टैंड पर एक बड़ी दुर्घटना का सामना करना पड़ा.' हालांकि, स्पेसएक्स ने न तो कोई वीडियो जारी किया है और न ही यह बताया है कि दुर्घटना कितनी भयानक थी, लेकिन स्वतंत्र पर्यवेक्षकों द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो में एक विशाल आग का गोला दिखाई दे रहा है और पूरा लॉन्च पैड विस्फोटों से ढका हुआ दिखाई दे रहा है.
स्पेसएक्स ने आगे कहा कि "पूरे ऑपरेशन के दौरान साइट के आस-पास एक सुरक्षित क्षेत्र बनाए रखा गया था और सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं और उनकी देखभाल की जा रही है. हमारी स्टारबेस टीम स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर टेस्ट स्थल और आस-पास के क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है. आस-पास के समुदायों में रहने वाले लोगों के लिए कोई खतरा नहीं है, और हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे सुरक्षित ऑपरेशन जारी रहने तक उस क्षेत्र में जाने का प्रयास न करें.'
स्पेसएक्स स्टारशिप क्यों खास
स्पेसएक्स स्टारशिप अंतरिक्ष यान और सुपर हैवी रॉकेट को सामूहिक रूप से स्टारशिप कहा जाता है. ये एक पूरी तरह से री यूजेबल ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम को रिप्रजेंट करते हैं, जिसे क्रू और कार्गो दोनों को पृथ्वी की कक्षा, चंद्रमा, मंगल और उससे आगे ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. स्टारशिप दुनिया का अब तक का सबसे शक्तिशाली लॉन्च यान है, जो 150 मीट्रिक टन पूरी तरह से री यूजेबल और 250 मीट्रिक टन व्यय योग्य भार ले जाने में सक्षम है. यह 123 मीटर ऊंचा है, जो कुतुब मीनार की ऊंचाई का लगभग 1.5 गुना है. स्टारशिप का पहली बार 2023 में टेस्ट किया गया था और तब से नौ उड़ानों में से पांच में फेल हुआ है. आज की विफलता तब हुई, जब स्पेसएक्स को रॉकेट का एक और टेस्ट करना था. 2025 में किए गए सभी तीन टेस्ट फेल रहे हैं.
स्पेसएक्स भारत में पांव पसार रही
स्पेसएक्स की यह दुर्घटना केंद्रीय संचार और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के 17 जून 2025 को किए पोस्ट के बाद हुई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने स्पेसएक्स की अध्यक्ष और सीओओ ग्वेने शॉटवेल के साथ भारत के कनेक्टिविटी के अगले मोर्चे पर एक उपयोगी बैठक की. उन्होंने आगे कहा, "हमने डिजिटल इंडिया की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने और देश भर में हर नागरिक को सशक्त बनाने के लिए उपग्रह संचार में सहयोग के अवसरों पर गहन चर्चा की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की डिजिटल क्रांति के साथ, उपग्रह प्रौद्योगिकियां न केवल प्रासंगिक हैं, बल्कि वे परिवर्तनकारी भी हैं." वहीं शॉटवेल ने स्टारलिंक को दिए गए लाइसेंस की सराहना करते हुए इसे यात्रा की एक शानदार शुरुआत बताया था.उन्होंने कई भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप्स और भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) के अध्यक्ष, भारत के अंतरिक्ष नियामक डॉ. पवन के गोयनका से भी मुलाकात की. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इन बैठकों में पैड 39-ए पर खड़े स्पेसएक्स फाल्कन-9 रॉकेट के प्रक्षेपण में बार-बार देरी के कारणों पर कोई चर्चा हुई या नहीं, जिसका उद्देश्य एक्सिओम-4 मिशन को उड़ाना है या इस विशिष्ट रॉकेट के सुरक्षा पहलू पर कोई चर्चा हुई या नहीं.
18 जून, 2025 को ग्वेने शॉटवेल ने कहा कि "मंत्री सिंधिया से मिलना और ब्रॉडबैंड इंटरनेट तक पहुंच बढ़ाने के उनके दृष्टिकोण को सुनना सम्मान की बात थी. इस महीने की शुरुआत में हमारे सेवा लाइसेंस दिए जाने के साथ, स्टारलिंक भारत के महान लोगों की सेवा करने के एक कदम और करीब आ गया है."
रॉकेट साइंस अब भी क्यों चुनौती
एनडीटीवी से बात करते हुए एक अमेरिकी एयरोस्पेस विशेषज्ञ ने कहा कि "रॉकेटरी एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र बना हुआ है, खासकर टेस्ट और डेवलपमेंट में, हम बढ़ते उपयोग और अपेक्षाओं के युग में प्रवेश कर रहे हैं. संघीय विमानन प्रशासन (एफएए) के निरीक्षण के दृष्टिकोण ने हाल के वर्षों में बोइंग और इससे पहले साउथवेस्ट एयरलाइंस से संबंधित विफलताओं से बहुत कुछ सीखा है. रॉकेटरी के साथ हमें उन ऑपरेशंस की निगरानी के बीच अंतर करने की आवश्यकता है जो नियमित होते जा रहे हैं (और जिन पर वैश्विक समुदाय निर्भर हो गया है) और जो सीमाओं को आगे बढ़ा रहे हैं.
भारतीय रॉकेट विशेषज्ञ मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए 'सुरक्षा पहले और सुरक्षा हमेशा' की नीति पर जोर देते हैं. भारत में रॉकेट विफलताएं तो हुईं हैं, लेकिन लॉन्च पैड पर कोई भी विस्फोट नहीं हुआ है. भारत के विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 18 जून को कहा, 'मॉड्यूल फिटनेस, क्रू हेल्थ, मौसम आदि सहित प्रमुख मापदंडों का आकलन करने के बाद... एक्सिओम स्पेस ने संकेत दिया है कि 22 जून 2025 एक्सिओम-04 मिशन की अगली संभावित लॉन्च तिथि हो सकती है, जो अन्य लोगों के साथ भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर ले जाएगा. यदि कोई और अपडेट होगा, तो उसे तदनुसार साझा किया जाएगा.'
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