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धरती से गायब होने वाला पहला देश बन सकता है दक्षिण कोरिया, 75 साल में खत्म हो जाएगी 70% आबादी

दक्षिण कोरिया की घटती आबादी का सबसे मुख्य वजह फर्टिलिटी रेट का कम होना है. इस देश का फर्टिलिटी रेट पहले से ही दुनिया में सबसे कम है. मौजूदा समय में दक्षिण कोरिया की आबादी करीब 51 मिलियन है. अनुमान है कि यह संख्या 2067 तक घटकर करीब 25-30 मिलियन रह जाएगी.

धरती से गायब होने वाला पहला देश बन सकता है दक्षिण कोरिया, 75 साल में खत्म हो जाएगी 70% आबादी
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय जन्म दर 2023 में प्रति महिला 0.72 बच्चों के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है.
नई दिल्ली:

दक्षिण कोरिया वैसे तो अपने इकोनॉमिक ग्रोथ और मॉर्डनाइजेशन के लिए दुनिया में काफी चर्चा में रहता है. लेकिन, यह देश अपनी घटती आबादी से चिंतित है. देश के इतिहास में पहली बार जनसंख्या में इतनी भारी गिरावट दर्ज हुई है. एक्सपर्ट तेजी से कम हो रही आबादी को खतरे की घंटी बता रहे हैं. एक्सपर्ट का अनुमान है कि अगर प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो दक्षिण कोरिया की आबादी इस सदी के आखिर तक दो-तिहाई तक कम हो सकती है. इससे इस देश का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा. शायद दक्षिण कोरिया धरती पर गायब होने वाला पहला देश न बन जाए.

1960 में दक्षिण कोरिया ने जनसंख्या दर को कम करने के लिए कई तरह की परिवार नियोजन नीतियों को लागू किया था. उस समय दक्षिण कोरिया की प्रति व्यक्ति आय वैश्विक औसत का सिर्फ 20% थी. प्रजनन दर प्रति महिला 6 बच्चे थी. 1982 तक आर्थिक विकास के साथ दक्षिण कोरिया की प्रजनन दर गिरकर 2.4 हो गई थी.  अगले कुछ दशकों तक प्रजनन दर में तेजी से गिरावट जारी रही. 

आइए समझते हैं आखिर तेजी से क्यों घट रही है दक्षिण कोरिया की आबादी? इस देश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर क्या हैं नियम? आबादी घटने से देश के सामने आएंगी कौन-कौन सी चुनौतियां:-

अभी कितनी है जनसंख्या?
दक्षिण कोरिया की घटती आबादी का सबसे मुख्य वजह फर्टिलिटी रेट का कम होना है. इस देश का फर्टिलिटी रेट पहले से ही दुनिया में सबसे कम है. मौजूदा समय में दक्षिण कोरिया की आबादी करीब 51 मिलियन है. अनुमान है कि यह संख्या 2067 तक घटकर करीब 25-30 मिलियन रह जाएगी. दक्षिण कोरिया की बुजुर्ग आबादी का हिस्सा दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ रहा है. 2019 में यहां बुजुर्ग आबादी 14.9% थी. इसके 2067 में 46.5% होने का अनुमान है.

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2100 तक आधी रह जाएगी आबादी
स्टैटिक्स कोरिया की ओर से जारी डेटा से पता चलता है कि 2022 की तुलना में 2023 में देश में फर्टिलिटी रेट 8% घटा है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो 51 मिलियन की आबादी 2100 तक आधी रह जाएगी. 

कितनी है राष्ट्रीय जन्म दर?
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय जन्म दर 2023 में प्रति महिला 0.72 बच्चों के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है. इस साल के आखिर तक इसके और गिरकर 0.6 होने की उम्मीद है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, 60 के दशक में दुनियाभर में औसत फर्टिलिटी रेट 5 से ज्यादा था. अभी दुनिया में औसत फर्टिलिटी रेट 2.3 है. दुनिया के कई देश तो ऐसे हैं, जहां फर्टिलिटी रेट 1 से भी कम है.

क्यों खत्म होने की कगार पर दक्षिण कोरिया?
दक्षिण कोरिया में जनसंख्या संकट के पीछे कई कारण हैं:-

कॉस्ट ऑफ लिविंग का लगातार बढ़ना
जनसंख्या में लगातार गिरावट के पीछे सबसे बड़ी वजह कॉस्ट ऑफ लिविंग का लगातार बढ़ना है. रोजमर्रा के बढ़ते खर्चों को देखते हुए कपल बच्चे पैदा नहीं करना चाहते. क्योंकि कपल हाई कॉस्ट ऑफ लिविंग को गिरते क्वालिटी ऑफ लाइफ से जोड़कर देखते हैं.

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कम फर्टिलिटी रेट
दक्षिण कोरिया में प्रजनन दर बहुत कम है, जो दुनिया में सबसे कम है. शहरी महिलाएं बच्चे पैदा करके परिवार शुरू करने के मुकाबले अपने करियर को प्राथमिकता देने लगी हैं. वास्तव में डबल इनकम फैमिली और रोजगार-शिक्षा तक पहुंच ने महिलाओं की सोच बदली है. महिलाओं घर के कामों में पुरुषों की बराबर भागीदारी चाहती हैं.

बढ़ती उम्र
दक्षिण कोरिया की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है, जो जनसंख्या संकट को और भी गंभीर बना रही है. पिछले साल दक्षिण कोरिया में करीब 307,764 लोगों की मौत हुई है. साल 2019 में दक्षिण कोरिया में जन्मदर मात्र 0.92 रह गई. साल 2020 में यहां सिर्फ 275,800 बच्चों का जन्म हुआ.

लिंग संबंधी भूमिकाएं बदलना
2024 के एक सर्वे में पाया गया कि 93% महिलाएं जो शादी नहीं करना चाहतीं, उन्होंने बच्चे पालने और घर के कामों को बोझ माना है.

शादी के प्रति रुझान का कम होना
एक तिहाई महिलाओं ने शादी के प्रति अरुचि जाहिर की है, जो जन्म दर में गिरावट का एक महत्वपूर्ण कारक है. ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुषों को पार्टनर ढूंढने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, वहां शादियां नहीं हो पा रही हैं. यहां के पुरुष वियतनाम जैसे देशों की महिलाओं से शादी कर रहे हैं.

जनसंख्या संकट को कम करने के लिए सरकार उठा रही कौन से कदम?
दक्षिण कोरियाई सरकार ने गिरती जन्म दर से निपटने के लिए कई उपाय लागू किए हैं. इसमे शामिल है:-

फाइनेंशियल इंसेंटिव: बच्चों की देखभाल के लिए टैक्स में छूट और सब्सिडी दी जा रही है.

वर्कप्लेस रिफॉर्म: विशेष रूप से कामकाजी मांओं के लिए वर्क-लाइफ बैलेंस को प्रोत्साहित करने वाली नीतियां लाई गई हैं.

मिलिट्री सर्विस में छूट: दक्षिण कोरिया में 30 साल की उम्र तक तीन या अधिक बच्चा करने वाले पुरुषों को सैन्य सेवा से छूट दिया जाता है.

नीतियों में बदलाव पर जोर: देश के गृह मंत्रालय ने अपनी नीतियों में इसके मद्देनजर ‘मूलभूत बदलाव' की बात कही है. सरकार ने कम जन्म दर की समस्या से निपटने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की है. इसमें परिवारों को कैश रिवॉर्ड देना भी शामिल है.

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हर जन्म लेने वाले बच्चे पर 10 लाख वॉन का ईनाम
दक्षिण कोरिया की सरकार ने 2022 से हर जन्म लेने वाले बच्चे पर 10 लाख वॉन (दक्षिण कोरियाई मुद्रा) (675 यूरो यानी 67 हजार भारतीय रुपया) की राशि मां को देने की नीति लागू की है. इसके अलावा एक साल की उम्र तक तीन लाख वॉन प्रति महीने दिए जाएंगे. साल 2025 से यह रकम बढ़ाकर 5 लाख वॉन कर दी जाएगी.

फैमिली एक्सपैंशन के लिए रखा भारी बजट
दक्षिण कोरियाई सरकार माता-पिता को हर बच्चे के जन्म के लिए 100 मिलियन वॉन कैश देने का प्लान कर रही है. सरकार अपने बजट बजट का आधा हिस्सा इस योजना पर खर्च करने की प्लानिंग कर रही है. सरकार को उम्मीद है कि इस तरह की योजना से देश की घटती जनसंख्या दर में उछाल आ सकता है. सरकार का एंटी करप्शन और सिविल राइट्स कमीशन योजना को लागू करने से पहले जनता की राय के लिए सर्वे करा रहा है. 

पैटरनिटी लीव पैटर्न में भी आएगा बदलाव
 दक्षिण कोरिया सरकार पैटरनिटी लीव लेने की दर में एक बड़ा बदलाव लेकर आ रही है. इसमें 70% पिता अपने बच्‍चों की देखभाल के लिए लीव ले सकते हैं. यह कदम जनसंख्या संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए उठाए जा रहे हैं. 2022 में सिर्फ 6.8% पिता ही लीव पर गए थे. वर्तमान में माता और पिता दोनों एक साल तक छुट्टी ले सकते हैं, जिसे 3 स्लॉट में बांटा जा सकता है. फरवरी से शुरू होने वाले माता-पिता की कुल छुट्टी अवधि को 18 महीने तक बढ़ाया जा सकता है, इसे चार अवधियों में विभाजित किया जा सकता है.

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काम से छुट्टी लेने वाले माता-पिता को मिलेगा मुआवजा
काम से छुट्टी लेने वाले माता-पिता के लिए मुआवजे की सीमा को उनकी छुट्टी के पहले 3 महीनों के लिए वर्तमान 1.5 मिलियन वॉन से बढ़ाकर 2.5 मिलियन वॉन प्रति माह कर दिया जाएगा. मासिक मुआवजा धीरे-धीरे अगले तीन महीनों के लिए 2 मिलियन वॉन और अगले 6 महीनों के लिए 1.6 मिलियन वॉन तक कम हो जाएगा. 

2030 तक प्रजनन दर को तेजी से बढ़ाने का लक्ष्य
सरकार की योजना 2030 तक प्रजनन दर को तेजी से बढ़ाने की है. सरकार ने 2027 में 210,000 लोगों के लिए प्रजनन परीक्षण का समर्थन करने की भी योजना बनाई है, जो 2022 में 80,000 थी.

घटती आबादी के बाद चीन अपनी नीतियां बदलने को हुआ था मजबूर
कई सालों से चीन भी घटती आबादी की समस्या से जूझ रहा था. वहां 1980 से कई साल तक वन चाइल्ड पॉलिसी रही. इससे जनसंख्या पर कंट्रोल तो हो गया, लेकिन युवा आबादी घटने लगी और बुजुर्गों की आबादी बढ़ने लगी थी. इससे निपटने के लिए सरकार टू चाइल्ड पॉलिसी लेकर आई. उसका भी कुछ खास फर्क नहीं दिखा. अब दो साल पहले यानी 2022 में थ्री चाइल्ड पॉलिसी लाई गई है. सरकार बच्चे पैदा करने के लिए एक्स्ट्रा छुट्टियां और इंसेटिव भी दे रही है. फिर भी जन्म दर पर गिरावट जारी है. लोगों को लगने लगा है कि उनके लिए ज्यादा बच्चे पालना न तो आर्थिक तौर पर आसान है और नहीं शारीरिक-मानसिक तौर पर मुमकिन है.

भारत में RSS प्रमुख ने भी की 3 बच्चों की वकालत
बीते दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने ज्यादा बच्चे पैदा करने की वकालत की थी. उन्होंने कहा कि समाज नष्ट न हो, इसलिए सभी को कम से कम 3 बच्चे पैदा करने चाहिए. भागवत ने 1 दिसंबर को नागपुर में आयोजित ‘कठाले कुल सम्मेलन' में ये बातें कही.  

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, "देश की जनसंख्या नीति 1998-2002 में तय की गई थी. इसके मुताबिक जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे नहीं होनी चाहिए. अगर ऐसा होता है, तो समाज अपने आप नष्ट हो जाएगा. अब कोई इंसान 0.1 पैदा तो नहीं होता... इसलिए यह कम से कम 3 होना चाहिए."

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की डेटा के मुताबिक, भारत की मौजूदा प्रजनन दर 2 के आसपास है. 2062 में भारत की आबादी 170 करोड़ तक पहुंच जाएगी. 2062 में जनवरी से जुलाई के बीच जनसंख्या में गिरावट शुरू हो जाएगी. 


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