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हो गई पुष्टि, रूस पहुंचे किम जोंग उन के सैनिक, अमेरिका और नाटो ने उठाया ये कदम

रुटे का कहना है कि राष्ट्रपति पुतिन बदले में उत्तर कोरिया को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचने में मदद करने के लिए सैन्य प्रौद्योगिकी और अन्य सहायता भेजने पर सहमत हुए हैं.

हो गई पुष्टि, रूस पहुंचे किम जोंग उन के सैनिक, अमेरिका और नाटो ने उठाया ये कदम
रूसी राष्ट्रपति पुतिन और किम जोंग उन.
नई दिल्ली:

पिछले कुछ दिनों से खबरें आ रही थीं  कि रूस की मदद के लिए उत्तर कोरिया ने हाथ बढ़ाया है. उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने अपनी सेना को रूस में भेजा ताकि वह यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में भाग ले सके. अब नाटो का कहना है कि रूस की ओर से 10000 उत्तर कोरियाई सैनिक युद्ध में शामिल होने के लिए जा रहे हैं. कुछ दिन पहले दक्षिण कोरिया ने यह आरोप लगाया था कि उत्तर कोरिया के सैनिक रूस की ओर से यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ रहे हैं. इसके बाद यूक्रेन की खुफिया एजेंसी ने भी ऐसा दावा किया था. वहीं, इस बारे में उत्तर कोरिया की ओर कुछ भी नहीं कहा गया था. उधर, रूस ने भी इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया था. अब नाटो ने रूस में कोरियाई सैनिकों के होने की पुष्टि कर दी है. 

जो बाइडेन नाराज़

रूस में कोरियाई सैनिकों की तैनाती पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घोर आपत्ति जताई और इसे बेहद खतरनाक बताया है. उत्तर कोरिया की ओर से अब कहा जा रहा है कि वह ट्रेनिंग के लिए रूस में सैनिकों को भेज रहा है. नाटो ने यह भी कहा है कि कोरियाई सैनिकों को कुर्स्क में तैनात भी किया जा चुका है. 

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नाटो का उत्तर कोरिया पर आरोप

नाटो महासचिव ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह युद्ध के विस्तार को दर्शाता है. नाटो महासचिव मार्क रुटे ने कहा कि पहली बार नाटो ने औपचारिक रूप से स्वीकार किया है कि प्योंगयांग की सेनाएं रूस में काम कर रही थीं. उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया पहले ही यूक्रेन में इस्तेमाल के लिए बैलिस्टिक मिसाइलें और लाखों राउंड गोला-बारूद मास्को भेज चुका है.

रुटे का कहना है कि राष्ट्रपति पुतिन बदले में उत्तर कोरिया को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचने में मदद करने के लिए सैन्य प्रौद्योगिकी और अन्य सहायता भेजने पर सहमत हुए हैं. उन्होंने कहा, यह साझेदारी "वैश्विक शांति और सुरक्षा को कमजोर कर रही है."

यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने एक्स पर लिखा , "उत्तर कोरियाई सैनिकों को रूस की आक्रामकता के युद्ध का समर्थन करने के लिए तैनात किया गया है। यह इस युद्ध में गंभीर वृद्धि है और वैश्विक शांति के लिए खतरा है."

अमेरिका के पेंटागन की ओर से भी इसे गंभीर मुद्दा बताया गया है. पेंटागन के प्रवक्ता ने कहा कि कुछ सैनिक सीमा पर पहुंच गए हैं और यह बेहद गंभीर मामला है कि रूस इस सेना का इस्तेमाल करेगा.

इसी के साथ नाटो ने साफ कर दिया है कि अगर ऐसा होता है तो यूक्रेन पर हथियारों के इस्तेमाल पर किसी भी प्रकार की रोक नहीं रहेगी. 

यूक्रेन की सैन्य खुफिया सेवा का कहना है कि रूस में ट्रेनिंग लेकर उत्तर कोरियाई सैनिकों की पहली टुकड़ी को कुर्स्क क्षेत्र में तैनात किया गया था, जो एक रूसी सीमा क्षेत्र है जहां यूक्रेनी बलों ने अगस्त में एक बड़ी घुसपैठ की थी. क्रेमलिन ने पहले उत्तर कोरिया की सेना की तैनाती के बारे में रिपोर्टों को "फर्जी समाचार" के रूप में खारिज कर दिया है. लेकिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दुनिया को बता दिया कि क्या हकीकत है. उन्होंने कहा कि यह मॉस्को का काम है कि प्योंगयांग के साथ साझेदारी संधि को कैसे लागू किया जाए.

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यूक्रेन पहले ही कह चुका है  यह बात

यूक्रेन की खुफिया एजेंसी का कहना है कि "डीपीआरके (उत्तर कोरिया) से सेना की पहली टुकड़ी, जिन्हें पूर्वी रूसी प्रशिक्षण मैदानों में प्रशिक्षित किया गया था, पहले ही रूसी-यूक्रेनी युद्ध के युद्ध क्षेत्र में आ चुकी हैं. विशेष रूप से, 23 अक्टूबर, 2024 को उनकी उपस्थिति दर्ज की गई थी कुर्स्क क्षेत्र,.

12000 कोरियाई सैनिक पहुंचे
इसमें कहा गया था कि 500 ​​अधिकारियों और तीन जनरलों सहित कुल लगभग 12,000 उत्तर कोरियाई सैनिक पहले से ही रूस में थे, और पांच सैन्य अड्डों पर प्रशिक्षण हो रहा था.

यूक्रेन ने पहले अपने सहयोगियों से उत्तर कोरिया के युद्ध में शामिल होने पर नए प्रतिबंध लगाकर और प्योंगयांग को और अलग-थलग करके दृढ़ता से जवाब देने का आह्वान किया था.

फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद मॉस्को और प्योंगयांग के संबंध और गहरे हो गए और उन्होंने जून में एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए.

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पुतिन ने कहा है कि संधि में प्रत्येक पक्ष के लिए एक पारस्परिक सहायता खंड शामिल है ताकि दूसरे पक्ष को बाहरी आक्रमण को रोकने में मदद मिल सके. कीव और उसके पश्चिमी सहयोगियों का कहना है कि उत्तर कोरिया ने यूक्रेन में युद्ध के लिए रूस को बैलिस्टिक मिसाइलें और गोला-बारूद की आपूर्ति की है. प्योंगयांग ने इससे इनकार किया है.

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