
- ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बिसरख गांव को रावण के पैतृक गांव के रूप में जाना जाता है.
- बिसरख गांव का उल्लेख शिवपुराण में है और इसे ऋषि विश्रवा के जन्मस्थान के रूप में माना जाता है.
- इस गांव में अब तक 25 अष्टभुजा शिवलिंग मिले हैं, जिनमें से एक का गहराई में कोई अंत नहीं मिला है.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के ग्रेटर नोएडा वेस्ट में स्थित गांव बिसरख फिर चर्चा में है. इस गांव को रावण के पैतृक गांव के रूप में जाना जाता है और यहां पर स्थित शिव मंदिर को रावण का मंदिर कहा जाता है. अब तक इस मंदिर को रावण का मंदिर अवश्य कहा जाता था, लेकिन यहां रावण की कोई मूर्ति नहीं थी. अब यहां रावण की मूर्ति स्थापित की गई है. इसके लिए तीन दिन तक कार्यक्रम चला, जिसका अंत भंडारे के साथ हुआ.
सूरजपुर से 10 किलोमीटर

गौतम बुध नगर के सूरजपुर मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव बिसरख में एक प्राचीन शिव मंदिर है. गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि बिसरख गांव का जिक्र शिवपुराण में भी किया गया है. कहा जाता है कि त्रेता युग में इस गांव में ऋषि विश्रवा का जन्म हुआ था. इसी गांव में उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की थी. उन्हीं के घर रावण का जन्म हुआ था. अब तक इस गांव में 25 शिवलिंग मिल चुके हैं, एक शिवलिंग की गहराई इतनी है कि खुदाई के बाद भी उसका कहीं छोर नहीं मिला है. ये सभी शिव लिंग अष्टभुजा हैं.
अभी एक सिर वाला रावण

इस शिव मंदिर को रावण के मंदिर के रूप में मान्यता मिली हुई है, लेकिन यहां पर रावण की कोई भी मूर्ति नहीं है. इसको देखते हुए शिव मंदिर के मैनेजमेंट कमेटी ने यहां पर रावण की एक छोटी प्रतिमा का स्थापना की, जो एक शीश की प्रतिमा है. मंदिर के महंत प्रिंस मिश्रा का कहना है कि दशहरे के अवसर पर यहां पर रावण के 10 शीश वाली मूर्ति की स्थापना की जाएगी.
इलाके में आई खुशहाली
इस गांव में ऐसी मान्यता है कि यहां रावण का ननिहाल था. नोएडा के शासकीय गजट में रावण के पैतृक गांव बिसरख के साक्ष्य मौजूद नजर आते हैं. इस गांव का नाम पहले विश्वेशरा था, जो रावण के पिता विश्रवा के नाम पर पड़ा था. अब इस गांव को बिसरख के नाम से जाना जाता है. वर्तमान में ग्रेटर नोएडा वेस्ट में स्तिथ इस मंदिर पर सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है. पहले यह इलाका ग्रेटर नोएडा के शहरी जंगलों के बीच में था, लेकिन अब बड़ी-बड़ी गगनचुंबी इमारतें बनने के बाद इस क्षेत्र का विकास तेजी से हुआ है.
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