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This Article is From Jul 04, 2020

WHO ने कहा, भारत को डेटा की रिपोर्ट करने के लिए कुछ राष्ट्रीय दिशानिर्देशों की आवश्यकता है

''आज भारत एक दिन में 200 हजार से अधिक टेस्टिंग कर रहा है. अब, भारत टेस्टिंग किट बना रहा है. यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि पिछले कुछ महीनों में भारत टेस्टिंग किटों में आत्मनिर्भर बन गया है और बड़े पैमाने पर सक्षम हो रहा है. "

WHO ने कहा,  भारत को डेटा की रिपोर्ट करने के लिए कुछ राष्ट्रीय दिशानिर्देशों की आवश्यकता है
WHO ने COVID-19 से निपटने में भारत के प्रयासों की सराहना की.
नई दिल्ली:

भले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने COVID -19 से निपटने में भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की, लेकिन विश्व नोडल स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि भारत को महामारी से उत्पन्न होने वाले डेटा प्रबंधन पर भी ध्यान देना चाहिए. WHO के अनुसार, भारत की बड़ी चुनौती "जनसंख्या" है, इसकी भौगोलिक विविधता, विषमता और यह तथ्य कि भारत में हर राज्य में कई महामारियां हैं. डब्ल्यूएचओ ने निदान के विकास और उस पैमाने को सक्षम करने जैसी महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भारत सरकार के मजबूत राजनीतिक नेतृत्व की सराहना की इसके साथ ही कहा कि भारत लॉकडाउन उपायों और संगठित तरीके से अनलॉक करने के बारे में भी बहुत व्यवस्थित है. अब भारत और कई अन्य देश अगले चरण का सामना कर रहे हैं और डब्ल्यूएचओ का कहना है कि अब हमें दीर्घकालिक रणनीति के बारे में सोचना चाहिए.एएनआई के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, डब्ल्यूएचओ की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन कहा, "भारत सरकार ने शुरुआत से ही बेहद गंभीर कदम उठाए और डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों के आधार पर जनवरी में ही कुछ उपाय किए. आज भारत एक दिन में 200 हजार से अधिक टेस्टिंग कर रहा है. अब, भारत टेस्टिंग किट बना रहा है. यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि पिछले कुछ महीनों में भारत टेस्टिंग किटों में आत्मनिर्भर बन गया है और बड़े पैमाने पर सक्षम हो रहा है. "

डॉ.स्वामीनाथन ने कहा, "हालांकि, मैं यह कहना चाहूंगा कि डेटा पर फोकस होना चाहिए. इससे मेरा मतलब है कि हमें डेटा को देखने के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण की आवश्यकता है."उन्होंने कहा कि जिस समय लोग कुल मामलों और कुल मौतों की संख्या पर ध्यान देना शुरू करते हैं - यह कहानी का केवल एक हिस्सा है, "आप डेटा की रिपोर्ट कैसे करते हैं, इस पर कुछ तरह के राष्ट्रीय दिशानिर्देशों की आवश्यकता है. अन्यथा, आप तुलना नहीं कर सकते. हर कोई चीजों को अलग अलग तरीकों से रिपोर्ट कर रहा है." उन्होंने एक उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि डब्ल्यूएचओ ने कुछ मानदंडों की सिफारिश की है जो सरकार यह आकलन करने के लिए उपयोग कर सकती है कि महामारी कहां है.

उन्होंने कहा कि सबसे पहले एक व्यक्ति को इस बीमारी की महामारी विज्ञान (epidemiology) पता होना चाहिए, यानी प्रति मिलियन आबादी पर मामलों की संख्या कहां और क्या है और यह सभी परीक्षणों पर निर्भर करता है.

 डॉ. स्वामीनाथन ने कहा, "अगर हम परीक्षण नहीं करते हैं, तो हम मामले को खोजने नहीं जा रहे हैं, अकेला मामला पर्याप्त नहीं है. हमें यह जानने की जरूरत है कि कितने परीक्षण किए गए हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात, हमें परीक्षण पॉजिटिव रेट को जानना होगा. यह 5 फीसदी से कम होना चाहिए. हमें रोग निगरानी की सकारात्मकता का प्रतिशत भी जानना होगा. SARI और ILI निगरानी 5 प्रतिशत से कम होनी चाहिए. फिर, हमें दोहरीकरण समय का ध्यान रखने की आवश्यकता है, "

डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक ने कहा, "इसलिए, केवल संख्याओं पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, हम सभी को चीजों को जानने की जरूरत है जैसे कि - महामारी विज्ञान (epidemiology) कैसे चल रहा है. क्या यह ऊपर या नीचे जा रहा है या यह स्टेबल है. यही हमें जानने की आवश्यकता है "

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