नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को साफ कहा कि इटली के राजदूत पर भारत छोड़ने के लिए उसके द्वारा लगाई गई रोक 2 अप्रैल तक लागू रहेगी। दरअसल, उसी दिन सुप्रीम कोर्ट में दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी इटालियन नौसैनिकों को भारत भेजने से इटली के इनकार करने के मामले में अगली सुनवाई होगी।
इस मामले में नाराज़ सुप्रीम कोर्ट ने इटालियन राजदूत डेनियल मैन्सिनी के बारे में सोमवार को कहा, "हमें राजदूत पर अब भरोसा नहीं है... हमने उनकी ओर से इस तरह के व्यवहार की उम्मीद नहीं की थी..." दरअसल, इटालियन राजदूत डेनियल मैन्सिनी ने उस समय कोर्ट को नौसैनिकों की वापसी का लिखित आश्वासन दिया था, जब कोर्ट ने उन्हें (नौसैनिकों को) चार सप्ताह के लिए इटली जाने की इजाज़त दी थी।
इसके बाद पिछले सप्ताह इटली ने भारत को सूचित किया कि वह अपने नौसैनिकों को वापस भारत नहीं भेजेगा। तत्पश्चात सुप्रीम कोर्ट ने मैन्सिनी के भारत छोड़ने पर रोक लगाते हुए उन्हें सोमवार को कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखने का आदेश दिया था।
मैन्सिनी के वकीलों ने दावा किया था कि यह आदेश अवैध है, क्योंकि राजनयिक संबंधों से जुड़ी विएना संधि (1961) के अनुच्छेद 29 के अनुसार राजनयिकों को किसी भी प्रकार की गिरफ्तारी या हिरासत से छूट प्राप्त होती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा, "हम देखेंगे, आपको किस तरह की छूट प्राप्त है..." भारत ने जोर देकर कहा है कि मैन्सिनी ने लिखित में कोर्ट को आश्वासन देकर स्वयं को भारतीय न्यायप्रणाली के अधिकारक्षेत्र में शामिल कर लिया है।
इस मामले में नाराज़ सुप्रीम कोर्ट ने इटालियन राजदूत डेनियल मैन्सिनी के बारे में सोमवार को कहा, "हमें राजदूत पर अब भरोसा नहीं है... हमने उनकी ओर से इस तरह के व्यवहार की उम्मीद नहीं की थी..." दरअसल, इटालियन राजदूत डेनियल मैन्सिनी ने उस समय कोर्ट को नौसैनिकों की वापसी का लिखित आश्वासन दिया था, जब कोर्ट ने उन्हें (नौसैनिकों को) चार सप्ताह के लिए इटली जाने की इजाज़त दी थी।
इसके बाद पिछले सप्ताह इटली ने भारत को सूचित किया कि वह अपने नौसैनिकों को वापस भारत नहीं भेजेगा। तत्पश्चात सुप्रीम कोर्ट ने मैन्सिनी के भारत छोड़ने पर रोक लगाते हुए उन्हें सोमवार को कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखने का आदेश दिया था।
मैन्सिनी के वकीलों ने दावा किया था कि यह आदेश अवैध है, क्योंकि राजनयिक संबंधों से जुड़ी विएना संधि (1961) के अनुच्छेद 29 के अनुसार राजनयिकों को किसी भी प्रकार की गिरफ्तारी या हिरासत से छूट प्राप्त होती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा, "हम देखेंगे, आपको किस तरह की छूट प्राप्त है..." भारत ने जोर देकर कहा है कि मैन्सिनी ने लिखित में कोर्ट को आश्वासन देकर स्वयं को भारतीय न्यायप्रणाली के अधिकारक्षेत्र में शामिल कर लिया है।
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