प्रतीकात्मक फोटो
वाशिंगटन:
एक शीर्ष अमेरिकी सीनेटर ने कहा है कि पाकिस्तान में करीब 24,000 मदरसों को सऊदी अरब आर्थिक मदद मुहैया करा रहा है। उनका कहना है कि सऊदी अरब ‘असहिष्णुता फैलाने’ के लिए ‘धन की सुनामी’ भेज रहा है।
सीनेटर क्रिस मर्फी ने कहा कि अमेरिका को सऊदी अरब द्वारा कट्टरपंथी इस्लाम को प्रायोजित किए जाने पर अपनी प्रभावी मौन सहमति की स्थिति को समाप्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस बात का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है, जहां सऊदी अरब से आ रहे धन का इस्तेमाल उन धार्मिक स्कूलों की मदद के लिए किया जा रहा है, जो घृणा एवं आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।
उन्होंने शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस को संबोधित करते हुए शुक्रवार को कहा, ‘‘पाकिस्तान में 24,000 ऐसे मदरसे हैं, जिनमें से हजारों को मिलने वाली आर्थिक मदद सऊदी अरब से आती है।’’
कुछ अनुमानों के अनुसार 1960 के दशक से सऊदी अरब ने कड़े वहाबी इस्लाम के प्रसार अभियान के तहत विश्वभर में मदरसों और मस्जिदों को 100 अरब डॉलर से अधिक की आर्थिक मदद दी है।
इसकी तुलना अगर पूर्व सोवियत संघ से करें तो विभिन्न अनुसंधानों का अनुमान है कि उसने 1920 से 1991 के बीच अपनी साम्यवादी विचारधारा को अन्य देशों में फैलाने के लिए सात अरब डॉलर खर्च किए थे।
सीनेटर क्रिस मर्फी ने कहा कि अमेरिका को सऊदी अरब द्वारा कट्टरपंथी इस्लाम को प्रायोजित किए जाने पर अपनी प्रभावी मौन सहमति की स्थिति को समाप्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस बात का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है, जहां सऊदी अरब से आ रहे धन का इस्तेमाल उन धार्मिक स्कूलों की मदद के लिए किया जा रहा है, जो घृणा एवं आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।
उन्होंने शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस को संबोधित करते हुए शुक्रवार को कहा, ‘‘पाकिस्तान में 24,000 ऐसे मदरसे हैं, जिनमें से हजारों को मिलने वाली आर्थिक मदद सऊदी अरब से आती है।’’
कुछ अनुमानों के अनुसार 1960 के दशक से सऊदी अरब ने कड़े वहाबी इस्लाम के प्रसार अभियान के तहत विश्वभर में मदरसों और मस्जिदों को 100 अरब डॉलर से अधिक की आर्थिक मदद दी है।
इसकी तुलना अगर पूर्व सोवियत संघ से करें तो विभिन्न अनुसंधानों का अनुमान है कि उसने 1920 से 1991 के बीच अपनी साम्यवादी विचारधारा को अन्य देशों में फैलाने के लिए सात अरब डॉलर खर्च किए थे।
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