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रेगिस्तान में 300 KM प्रति घंटे की रफ्तार से भागेगी ट्रेन! सऊदी और कतर के बीच यह बड़ी डील हो गई

सऊदी अरब और उसके सहयोगी देश UAE, बहरीन और मिस्र ने जून 2017 में कतर के साथ अपने सभी राजनयिक संबंध तोड़ दिए थे. आज सऊदी और कतर करीब आ गए हैं, दोनों एक दूसरे के साथ खड़े रहते हैं.

रेगिस्तान में 300 KM प्रति घंटे की रफ्तार से भागेगी ट्रेन! सऊदी और कतर के बीच यह बड़ी डील हो गई
रेगिस्तान में 300 KM प्रति घंटे की रफ्तार से भागेगी ट्रेन! (प्रतिकात्मक फोटो)
  • सऊदी अरब और कतर ने हाई स्पीड वाली इलेक्ट्रिक ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं
  • यह हाई-स्पीड ट्रेन रियाद और दोहा के बीच लगभग दो घंटे में यात्रा पूरी करेगी और 300 किलोमीटर प्रति घंटे चलेगी
  • यह ट्रेन प्रोजेक्ट छह सालों में पूरा होगा और हर साल लगभग एक करोड़ यात्रियों को सेवा देगा
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सऊदी अरब और कतर ने सोमवार, 8 दिसंबर को एक बड़ी डील कर ली. अब इन खाड़ी देशों की राजधानियों को एक हाई-स्पीड रेल से जोड़ा जाएगा और अब इसके निर्माण के लिए दोनों देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए है. यह डील अपने आप में खास है क्योंकि यह उन दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों का नवीनतम संकेत है जिनके बीच कभी गहरे मतभेद थे. सऊदी प्रेस की तरफ से जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, "हाई-स्पीड इलेक्ट्रिक पैसेंजर रेलवे" रियाद और दोहा को जोड़ेगा.

सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी की रियाद यात्रा के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.

एक घंटे में 300 किमी दौड़ेगी ट्रेन, 2 घंटे में दोहा से रियाद का रास्ता नापेगी

न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट रिपोर्ट के अनुसार यह ट्रेन 300 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति तक पहुंचेगी और दोनों राजधानियों के बीच यात्रा में लगभग दो घंटे लगेंगे. आप इस ट्रेन की रफ्तार को इस बात से आंक सकते हैं कि रियाद और दोहा के बीच सीधी फ्लाइट में जाने में लगभग 90 मिनट में लगते हैं. इसके अलावा ट्रेन के रूट में सऊदी के शहर अल-होफुफ़ और दम्मम के भी होने की उम्मीद है. यानी ट्रेन इन दो स्टेशनों पर भी रुकेगी. 

आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह प्रोजेक्ट 6 साल में पूरा होगा. इस हाई स्पीड ट्रेन प्रोजेक्ट से हर साल 1 करोड़ यात्रियों को आने-जाने की सुविधा मिलने की उम्मीद है.

2017 में सऊदी-कतर ने खत्म कर दिए थे रिश्ते

सऊदी अरब और उसके सहयोगी देश UAE, बहरीन और मिस्र ने जून 2017 में कतर के साथ अपने सभी राजनयिक संबंध तोड़ दिए थे. इसके अलावा आने जाने वाली सुविधाओं पर भी रोक लगा दी थी. इन चारों देशों ने कतर पर मुस्लिम ब्रदरहुड सहित कट्टरपंथी इस्लामवादियों का समर्थन करने और सऊदी अरब के कट्टर प्रतिद्वंद्वी ईरान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने का आरोप लगाया था. हालांकि इन आरोपों का कतर ने जोरदार खंडन किया था.

इसके बाद जनवरी 2021 में सऊदी के रेगिस्तानी शहर अलऊला में एक शिखर सम्मेलन के बाद यह संबंध पूरी तरह से बहाल हो गए थे. संबंधों में गिरावट के बाद पहली बार प्रिंस मोहम्मद ने दिसंबर 2021 में दोहा का दौरा किया था. तब से, ये दोनों शाही देश के नेता नियमित रूप से मिलते रहे हैं और गाजा में सीजफायर की आवाज उठाने सहित राजनयिक पहलों का समर्थन करने के लिए एक मोर्चे पर भी आए. इस साल जब दोहा पर इजरायल ने हवाई हमला किया था तो सऊदी ने भी कतर को अपना समर्थन दिया था.

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