यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने बुधवार को कहा है कि देश के दक्षिणी खेरसॉन इलाके में उन्होंने तीन गांवों को रूसी कब्जे से मुक्त करवा लिया है. नोवोवोस्क्रेसेन्सके (Novovoskresenske), नोवग्रेगोरिव्का (Novogrygorivka) और पेट्रोपेवलिवका (Petropavlivka) वो तीन गांव हां जिन्हें मुक्त करवाया गया है. ज़ेलेंस्की ने बताया कि इन तीनों गांवों को पिछले 24 घंटों में मुक्त करवाया गया है. यूक्रेन के राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यूक्रेन का जवाबी हमला जारी है.
इससे पहले अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के चार प्रांतों का अपने देश में विलय करने वाले कानून पर हस्ताक्षर किए थे. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के दोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसॉन और जोपोरिज्जिया क्षेत्रों पर कब्जा जमाने की शुक्रवार को घोषणा की थी.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से टेलीफोन पर बातचीत की और इस बात पर बल दिया कि यूक्रेन संकट का कोई ‘‘सैन्य समाधान'' नहीं हो सकता. उन्होंने यह रेखांकित भी किया कि परमाणु प्रतिष्ठानों को खतरे में डालने के दूरगामी और विनाशकारी प्रभाव हो सकते हैं.
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि मोदी और जेलेंस्की ने यूक्रेन में जारी युद्ध पर बातचीत की और इस दौरान एकबार फिर दोहराया कि वार्ता और कूटनीति के जरिए ही इसका समाधान निकल सकता है.
पीएमओ ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने इस लड़ाई को शीघ्र समाप्त करने और वार्ता व कूटनीति के मार्ग पर आगे बढ़ने की आवश्यकता के अपने आह्वान को दोहराया.''
इस बीच भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अमेरिका एवं अल्बानिया द्वारा पेश किए गए उस मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा, जिसमें रूस के ‘‘अवैध जनमत संग्रह'' और यूक्रेनी क्षेत्रों पर उसके कब्जे की निंदा की गई है.
इस प्रस्ताव में मांग की गई थी कि रूस यूक्रेन से अपने बलों को तत्काल वापस बुलाए। परिषद के 15 देशों को इस प्रस्ताव पर मतदान करना था, लेकिन रूस ने इसके खिलाफ वीटो का इस्तेमाल किया, जिसके कारण प्रस्ताव पारित नहीं हो सका.
इस प्रस्ताव के समर्थन में 10 देशों ने मतदान किया और चार देश चीन, गाबोन, भारत तथा ब्राजील मतदान में शामिल नहीं हुए.
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