Putin vs Zelensky: कौन जीत रहा प्रचार युद्ध ? - 'Hot Mic' निधि राज़दान के साथ

Russia Ukraine War: यूक्रेन का प्रचारतंत्र (Propaganda) जीतता नजर आ रहा है. यह दुनियाभर में लोगों के दिल और दिमाग जीत रहा है. जिस शख़्स ने पहले दिन से संदेशों को अपने पाले में रखा, वो खुद राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की (Zelensky) हैं. लेकिन जानें कैसे रूस में पुतिन (Putin) का प्रचारतंत्र हावी हो रहा है.

Putin vs Zelensky: कौन जीत रहा प्रचार युद्ध ? - 'Hot Mic' निधि राज़दान के साथ

Ukraine War: प्रचारतंत्र के युद्ध में Putin से जीतते नज़र आ रहे हैं Zelensky

नमस्ते, ये है हॉट माइक और मैं हूं निधि राजदान. प्रचार अब युद्धकला का हिस्सा बन गया है. इस सोशल मीडिया के जमाने में संवाद अहम है. और रूस-यूक्रेन युद्ध में, यूक्रेन का प्रचारतंत्र जीतता नजर आ रहा है. यह दुनियाभर में लोगों के दिल और दिमाग जीत रहा है. जिस शख़्स ने पहले दिन से संदेशों को अपने पाले में रखा, वो खुद राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की हैं. जब रूस ने फरवरी के आखिर में यूक्रेन पर हमला किया था, सबसे पहले उन्होंने अपनी टाई और शर्ट को किनारे रखा और  वैसी खाकी हरे रंग की टीशर्ट पहनी जैसे आर्मी थकान में पहनती है. तब से लेकर अब तक ज़ेलेंस्की ने अधिकतर इसे पहन कर ही कैमरे के सामने आए हैं. वीडियो के ज़रिए कई दूसरे देशों की संसदों को संबोधित करते हुए भी उन्होंने यही पहना.  

जेलेंस्की ने अपने सोशल मीडिया का प्रभावी प्रयोग किया है. साथ ही उन्होंने अपने फोन का प्रयोग कर खुद कई वीडियो बना कर अपलोड की हैं, जिसमें दुनिया को यूक्रेन के दर्द के बारे में बताया गया है.  उन्होंने यूक्रेन के जनसंपर्क अभियान की ऐसे मदद की, जैसे कोई नहीं कर सकता. रिपोर्ट्स के अनुसार, यूक्रेन के आधिकारिक सोशल मीडिया चैनलों पर युद्ध शुरु होने के बाद फॉलोअर्स बढ़े हैं. देश के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के करीब 2 मिलियन फॉलोअर्स हैं. यह युद्ध शुरु होने से पहले की तुलना में 6 गुणा अधिक हैं. ज़ेलेंस्की के इस्टाग्राम अकाउंट पर 24 फरवरी को युद्ध शुरु होने से एक महीने से कम समय में ही 6.5 मिलियन फॉलोअर्स जुड़ गए हैं.  

यह भी पढ़ें:- "Ukraine के राष्ट्रपति Zelensky के पास क्या सूट नहीं है?" बेतुके सवाल पर 'बौखलाया ट्विटर'

जेलेंस्की ने सोशल मीडिया को युद्द की भयावहता को दिखाने के लिए प्रभावी तरीके से प्रयोग किया.  वो संदेशों के प्रसार में आगे और उनके केंद्र में रहे हैं जबकि पुतिन युद्ध शुरू होने के बाद बेहद कम देखे गए. यूक्रेन सरकार ने ट्विटर का भी खूब प्रयोग किया है जिस पर वो अपने संदेश भेज सकें, और अपनी बात रखने के लिए उन्होंने मीम का प्रयोग भई किया. उदाहरण के तौर पर रूसी युद्धपोत मोस्कवा के डूबने पर यूक्रेन के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कई मीम पोस्ट किए गए.  यूक्रेन के रक्षा मंत्री ने काले सागर में मौजूद जहाज के मलबे के बारे में मजाक उड़ाते हुए अपने स्कूबा डाइविंड का फोटो डाला और कहा कि "रूस का युद्धपोत डाइविंग के लिए अच्छी जगह थी." 

हालांकि यूक्रेन की तरफ से सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर तैरती  युद्ध कई कहानियां अतिश्योक्ति लगती हैं और इनकी पुष्टि नहीं की जा सकती.  जैसे बूढ़ी औरतें रूसी सेना के सामने खड़ी हो गईं, या 80 साल की दादी ने स्वेच्छा से लड़ने के लिए उठाए हथियार, या फिर उस बहादुर आदमी की कहानी जिसने रूसी बेड़े के ट्रकों के मुंह पर दे मारा.  इन कहानियों पर विश्वास करना मुश्किल है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह कहानी के सच के बारे में नहीं है. ताकतवर रूस और छिपे रुस्तम यूक्रेन के युद्ध की कहानियों ने दुनिया को निश्चित तौर पर बांध लिया है. फिर, रूसी कथानक के बारे में क्या कहा जाए? इसमें आश्चर्य नहीं है कि पुतिन अपने देश में संदेश के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए जो कर सकते हैं, वो कर रहे हैं और अपने देश में वो युद्ध का प्रचारयुद्ध जीतते नज़र आ रहे हैं. जमीनी हालात की घटनाओं को रूस अपने हिसाब से साफ कर आम रूसी जनता के सामने रख रहा है. युद्ध में हुई मौतों के बारे में रिपोर्टिंग लगभग ना के बराबर है.    

जिस बूचा में सैंकड़ों नागरिकों की मौत की तस्वीरों से दुनिया सकते में आ गई, उस प्रताड़ना को रूसी मीडिया ने फर्जी तस्वीरें कहकर पेश किया. असल में, रूसी मीडिया और एंकर और लेखकों का कहना है कि बूचा की वीडियो फर्जी हैं और इसके उलट वो दावा करते हैं कि यह अत्याचार यूक्रेन की सेना ने अपने लोगों पर कीं. यह क्या है?  क्या यह फर्जी है और यह  अत्याचार यूक्रेनी सेना ने किए?  रूसी मीडिया "युद्ध" या "आक्रमण" जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं करती है, साथ ही यूक्रेन की राजधानी कीव पर रूस की बमबारी का ज़िक्र भी नहीं करती है.   

अभी तक लगभग सभी लिहाज़ से राष्ट्रपति पुतिन का आक्रमण रूस में लोकप्रियता हासिल कर रहा है. हालांकि कुछ असहमति की आवाजें उठीं, जिन्हें तुरंत चुप करा दिया गया. हजारों प्रदर्शनकारियों को पिछले कुछ हफ्तों में गिरफ्तार किया गया, केवल यह कहने के लिए कि वो युद्ध में विश्वास नहीं रखते. रूस ने फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडया साइट्स को ब्लॉक कर दिया है ताकि वहां से रूसी जनता तक संदेश ना पहुंच पाए. हालांति कुछ लोग चीन की तरह VPNs का प्रयोग कर इसका भी तोड़ निकाल रहे हैं.  

न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, अमेरिकी डेटा एनलिस्ट कंपनी FilterLabs.AI इंटरनेट पर रूसी भावनाओं का आंकलन कर रही है, उसका कहना है कि रूसी जनता में युद्ध के लिए बुला लिए जाने या युद्ध की मौतों को लेकर  चिंता बढ़ रही है. लेकिन वहां कुछ और भी हो रहा है. रूसी समाज जो मोटे तौर पर रूस के आधिकारिक कथानक पर भरोसा करता है, वो भी दो बड़े स्तर पर दो धड़ों में बंट रहा है. इतना कि जो लोग युद्ध का समर्थन नहीं करते उनके प्रति उनके अपने साथी नागरिकों का व्यवहार बदल रहा है.  

पिछले हफ्ते न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक स्टोरी की थी कि कैसे रूस के एक स्कूल टीचर ने अपने आठवीं कक्षा के छात्रों को एक यूट्यूब पर एक सकारात्मक वीडियो दिखाई, कि कैसे रूसी और यूक्रेनी बच्चे युद्ध के बगैर दुनिया की कल्पना करते हुए साथ में गाना गा रहे थे. लेकिन कुछ दिन बाद उस पर पुलिस ने जुर्माना लगाया, जिसे एक स्टूडेंट से क्लास की वीडियो मिली थी.  आखिर में, स्कूल ने उसे नौकरी ने यह कहते हुए निकाल दिया कि उसने अनैतिक काम किया.  उस पर रूस की सेना को बदनाम करने का आरोप लगाया गया.   

यह रिपोर्ट इस बारे में बात कर रही है कि कैसे छात्रों का शिक्षकों के प्रति व्यवहार बदल रहा है और लोग अपने पड़ोसियों के खबरी बन रहे हैं. एक और उदाहर मॉस्को के मॉल का है, जहां एक कंप्यूटर शॉप पर एक विंडो में "युद्ध नहीं" कहता हुआ संदेश लगाया गया था, इस कारण पुलिस ने स्टोर के मालिक को हिरासत में ले लिया. राष्ट्रपति पुतिन ने मार्च के बीच में दिए अपने भाषण में कहा था कि रूसी समाज को खुद को "स्वत: स्वच्छ" करने की ज़रूरत है, जिसमें लोग सच्चे देशभक्तों को धोकेबाज़ों से अलग करने की जरूरत है, और उन्हें उसी तरह से थूक कर निकलाने की ज़रूरत है जैसे कोई मक्खी अचानक मुंह में चली जाए." पुतिन ने वाकई इन शब्दों का इस्तेमाल किया. इसका मतलब यह है कि जो नागरिक दूसरों की शिकायत नहीं करेंगे, उन्हें भी शक के घेरे में लिया जाएगा. 

इसबीच, रूस की एकमात्र स्वतंत्र जनमत संग्रह करने वाले, लेवाडा सेंटर के  एक ताजा सर्वे में पता चला है कि पुतिन की अप्रूवल रेटिंग, युद्ध शुरू होने के बाद से बढ़ गई हैं. इस सेंटर के डायरेक्टर ने कहा कि पुतिन की लोकप्रियता रूसियों में इस विश्वास के कारण बढ़ी है कि, "हमारे खिलाफ सब हैं और पुतिन हमें बचाएगा वर्ना हम ज़िंदा निगल लिए जाएंगे.". लेकिन युद्ध जितना लंबा खिंचेगा व्लादिमिर पुतिन के लिए अपने लोगों से कड़वे सच को छिपाना उतना ही मुश्किल हो जाएगा." 

यह भी देखें:-  खंडहर बना यूक्रेन का मिकोलाइव शहर 

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com