Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का पहला दिन बीत चुका है. यह युद्ध यूक्रेन की जमीन पर लड़ा जा रहा है और यही कारण है कि जान-माल का ज्यादा नुकसान भी यूक्रेन में ही हो रहा है. रूस की सेना तीन ओर से यूक्रेन को घेर चुकी है और यह सवाल जरूर पूछे जा रहे हैं कि क्या यूक्रेन अपनी जमीन को बचा पाएगा? या फिर क्या रूस ने यह युद्ध छेड़कर गलती तो नहीं कर दी है? ऐसे सवालों के जवाब दोनों देशों की सैन्य ताकत के जरिये तलाशे जा रहे हैं.
रॉयटर की खबर के मुताबिक, अमेरिका का अनुमान है कि रूस ने हमले से एक दिन पहले तक यूक्रेन बॉर्डर के नजदीक करीब 1.5 लाख सैनिकों को तैनात कर दिया था, जबकि पिछले सप्ताह रिलीज इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फोर स्ट्रेटेजिक स्टडीज (IISS) की रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन के कुल सक्रिय सशस्त्र बलों की संख्या 196,600 है. IISS के अनुसार, रूस की सेना में करीब 2,80,000 कर्मी हैं और इसके संयुक्त सशस्त्र बल की संख्या 9,00,000 हैं. नियमित सेना के साथ यूक्रेन में करीब 9,00,000 रिजर्व भी हैं. इनमें ज्यादातर युवा हैं, जिनके पास बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण होता है.
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साथ ही रूस के पास 2,840 युद्धक टैंक उसकी क्षमताओं में बेहद इजाफा करते हैं, जिसके जवाब में यूक्रेन के पास एक चौथाई से भी कम टैंक हैं.
दोनों देशों की रक्षा तैयारियों को उनके बजट से भी समझा जा सकता है. रूस और यूक्रेन के बजट में जमीन और आसमान का अंतर नजर आता है. यूक्रेन ने पिछले कुछ सालों में अपने बजट में बेतहाशा बढोतरी की है, बावजूद इसके यह रूस के बजट का दसवां हिस्सा है. 2020 में यूक्रेन का रक्षा बजट करीब 4.3 अरब डॉलर था.
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दुनिया के कई देश यूक्रेन की मदद में जुटे हैं, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन जैसे बड़े नाम हैं. इन देशों से यूक्रेन को सैन्य सहायता के साथ ही कई तरह के हथियार भी मिलते रहे हैं. अब जब रूस की सेना यूक्रेन में घुस चुकी है, माना जा रहा था कि यह देश यूक्रेन की मदद करेंगे. हालांकि नाटो प्रमुख के यूक्रेन में सैन्य बल भेजने से इनकार करने के बाद रूस एक कदम आगे जरूर नजर आता है.
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