यूक्रेन (Ukraine) में रूसी हमले (Russian Attack) से हालात हर पल बदतर होते जा रहे है. करीब तीन घंटे पहले एक भारतीय छात्र (Indian Student Died) की रूसी हमले में मौत हो गई. खार्कीव (Kharkiv) में स्टूडेंट कॉर्डिनेटर पूजा प्रहराज ने बताया, "जो बच्चे हॉस्टल में रहते हैं, उन्हें तो हम कुछ खाना दे देते हैं लेकिन जिस बच्चे की मौत हुई वो फ्लैट में रहता था. वो खाना लेने के लिए गवर्नर हाउस के बाहर लाइन में खड़ा था. एक-दो घंटे की खाना लेने के लिए लाइन थी. अचानक से रूसी सेना ने गवर्नर हाउस पर बमबारी की, जिसमें कर्नाटक का भारतीय छात्र भी मारा गया. उसके परिवार को मैं बताने के लिए अभी बंकर से मैं बाहर आई थी."
जब हमने उनसे पूछा कि उन्हें कैसे इसकी खबर मिली? तो उन्होंने बताया नवीन का फोन एक यूक्रेनी महिला के पास मिला और उसने कहा कि जिसका यह फोन है उसे शवगृह ले जा रहे हैं. आप जो भी हैं, उसका पार्थिव शरीर शवगृह से ले सकते हैं.
With profound sorrow we confirm that an Indian student lost his life in shelling in Kharkiv this morning. The Ministry is in touch with his family.
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) March 1, 2022
We convey our deepest condolences to the family.
खार्कीव में रूसी हमला बहुत तेज़ हो गया है और वहां फंसे भारतीय स्टूडेंट्स बहुत पैनिक कर रहे हैं. पूजा कहती हैं," वो अभी 17-18 साल के बच्चे हैं जो 12वीं पास कर यहां आए हैं. उन्हें यहां क्या पता था कि ऐसा हो सकता है. यहां किसी को पैनिक अटैक आ रहा है, कोई बेहोश हो रहा है. हॉस्टल में तो तब भी मैनेजेबल स्तिथी है लेकिन मैट्रो के बंकर में तो बहुत बदतर हालात है. 7-8 किलोमीटर तक तो हम खाना पहुंचा रहे थे लेकिन मैट्रो स्टेशन थोड़ा दूर है. लेकिन बीच में आर्मी खड़ी है जो वहां जाने नहीं दे रही. बच्चों को 4-5 दिन से खाना नहीं मिला है. बच्चे हाथ फैला कर खाना मांग रहे हैं, लेकिन मिल नहीं पा रहा है. लड़कियों को टॉयलेट जाने की बहुत दिक्कत हो रही है."
"जब तक आखिरी भारतीय स्टूडेंट यूक्रेन में है, मैं यहीं रहूंगी"
आज रूस की भारी बमबारी के कारण पूजा और उनका वॉलेंटीयर समूह मदद के लिए बाहर भी नहीं जा सका. पूजा कहती हैं, "भारी बमबारी के कारण आज हम भी मदद के लिए भी बाहर नहीं जा पाए. मेरे उपर बच्चों की जिम्मेदारी है. जब तक सारे स्टूडेंट्स नहीं निकलेंगे तब तक मैं नहीं निकलूंगी. मैं सबसे आखिर में आउंगी. ओडीशा के भुवनेश्वर की पूजा कहती हैं कि मैं बहुत स्ट्रॉन्ग हूं. लेकिन मेरे मां-बाप ने बचपन से मुझे स्ट्रांग बनाया है. और वो समझते हैं. मेरी मां थोड़ा पैनिक करती हैं लेकिन मेरे पिता कहते हैं कि अपना मिशन फिनिश कर."
आगे उन्होंने बताया, "इस हॉस्टल के 50-100 मीटर दूर कल रात 10:30 बॉम्बिंग हुई. यह बहुत ज़ोर से धमाका हुआ. सारी दीवारें, खिड़कियां हिलने लगीं. उस समय हमारे हाथ में खाना था जिसे फेंक कर हम बंकर में गए. हमारे हॉस्टल में करीब 560 भारतीय छात्र हैं."
यूक्रेन में रूस की तरफ से रिहायशी बिल्डिंग में हमला शुरू हो गया है. स्टूडेंट्स अपने आप रिस्क लेकर जाने की कोशिश कर रहे हैं. पूजा ने कहा कि अब छात्र अधीर हो रहे हैं. वह कहती हैं,"हमने उन्हें पांच दिन तक रोक कर रखा लेकिन आज उनके पेरेंट्स ने बोला कि हम रिस्क लेने के लिए तैयार हैं, जो फ्री ट्रेन्स आ रही हैं उनमें चढ़ने दो. उसमें बहुत बुरा हाल है. धक्का-मुक्की कर चढ़ना पड़ता है. यह इंडिया-पाकिस्तान के पार्टीशन के समय आने वाली ट्रेन्स की तरह का हाल है. इसमें जो चढ़ गया वो चढ़ गया , और आगे लवीव के बाद आगे जाने की जिम्मेदारी उनकी होगी.
खार्कीव में करीब 4000 भारतीय स्टूडेंट्स हैं. सरकार केवल भारतीयों के लिए भी ट्रेन नहीं चला सकती. पूजा ने बताया कि वह और उनके साथ के लोग चार-पांच दिन से कोशिश कर रहे हैं कि रूस से होकर रास्ता खुल जाए. वह कहती हैं, "बहुत मिन्नतें कीं लेकिन कुछ नहीं हो पा रहा है. सारे सोर्स आजमाकर देख लिए लेकिन एक भी जवाब नहीं आया. रूस का बॉर्डर केवल 100 किमी दूर है. जबकि पश्चिमी बॉर्डर करीब 2000 किमी दूर है."
यूक्रेन से भारतीय छात्रों का इवेकुशन पश्चिमी सीमा पार कर यूरोपीय देश पहुंचने वाले बच्चों का हो रहा है जबकि उत्तर-पूर्वी इलाकों में हालात बेहद खराब हैं. पूजा कहती हैं, "दूसरी तरफ के बच्चों का इवैकुएशन हो रहा है, इस तरफ के बच्चों के लिए कौन सोचेगा? अभी तक इनके बारे में कुछ नहीं हुआ है."
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