यूक्रेन (Ukraine) के उत्तर में रूसी सेना (Russian Army) के खिलाफ यूक्रेनी सेना (Ukrainian Army) की तेजी, सफलता और पलटवार ने ऐसी संभावनाएं जगा दीं हैं कि यूक्रेन जंग में रूस (Russia) को हरा सकता है. ब्लूमबर्ग के अनुसार, रूसी सेना ने जब फरवरी में यूक्रेन पर आक्रमण (Russia Ukraine War) किया था, तब बहुत कम लोगों को ये उम्मीद थी कि रूसी सेना को हराया जा सकता है या फिर ये कमजोर पड़ सकती है. लेकिन जल्द ही रूसी सेना का हारना मुश्किल लगता है. अभी भी यूक्रेन के पांचवे हिस्से पर रूस का नियंत्रण हैं.लेकिन रूस और पश्चिमी सेना दोनों यह स्वीकार रहे हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप पर हुए इस सबसे बड़े हमले में हालिया घटनाएं एक नया मोड़ लेकर आईं हैं. कम से इनसे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का ज़ाहिर लक्ष्य तो प्रभावित हुआ ही है, जिसमें यूक्रेन के पूर्वी डोनबास क्षेत्र पर पूरी तरह से कब्जा किया जाना था.
पूर्व सीआईए डायरेक्टर और अमेरिकी रक्षा सचिव लियोन पेनेटा ने सोमवार के ब्लूमबर्ग टीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहा, " यह अहम और खतरनाक दोनों है." रूस की ओर से परमाणु हमले का खतरा रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, "यह पुतिन के कारण खतरनाक है. अगर वो खुद को खतरे में समझेंगे तो पलटवार कर सकते हैं."
लंदन के किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर लॉरेंस फ्रीडमेन ने कहा, " यूक्रेन की तरफ से किए गए हमलों ने युद्द की पूर्वानुमानित दिशा बदल दी है. एक तरफ रूस की माली हालत खराब हो रही है, दूसरे तरफ उसे सैन्य शिकस्त मिल रही है. ऐसा लगता है कि लंबा दर्दनाक युद्ध अचानक सैन्य वापसी में बदल सकता है. "
सोमवार को हथियार, गोलाबारूद छोड़कर पीछे हटती रूसी सेना की फुटेज और रिपोर्टिंग ने सभी को हैरान किया.
रूस ने इजियम (Izyum) को छोड़ दिया है यह रूसी सेना और हथियारों के लिए अहम जगह थी. यह राजधानी कीव से रूसी सेना को पीछे धकेलने के बाद यूक्रेनी सेना की सबे बड़ी जीत के तौर पर देखा गया.
सोमवार के बाद रूस तुरंत पलटवार करने को तैयार नहीं दिखा. लेकिन रूस ने यूक्रेन के नागरिक बिजली इंफ्रा पर लंबी दूरी की मिसाइल से हमला कर यूक्रेनी नागरिकों के लिए लंबी सर्दियों को बिताना मुश्किल बना दिया है. रूस में इस हमले का स्वागत हुआ.
खारकीव के पलटवार से यह साफ हो गया है कि यूक्रेन के पास लोग पर्याप्त हैं और वह रूस के सामने कई मोर्चों पर सामना करने को तैयार है.
लेकिन पिछले हफ्ते की लड़ाई का नतीजा अभी भी पूरी तरह से साफ नहीं है. यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता कि खारकीव में यूक्रेन को कितनी बड़ी जीत मिली है.
हालात बदलने के कारण रूसी संसद ने आने वाले महीनों में पूर्वी दोनबास क्षेत्र लुहांस्क और दोनेत्सक और दक्षिणी प्रांत खेरसान और ज़ापोरिझझिया में यूक्रेन से अलग होने के लिए होने वाले जनमत संग्रह को टाल दिया है.
यहां तक कि रूस में युद्ध के नतीजों पर मतभेद और गुस्सा दिखाई देना शुरू हो गया है. रूस के नेशनल टीवी पर पूर्व रूसी सांसद बोरिस नादेजेदिन ने कहा कि पुतिन को ऐसे "उपनिवेशवादी युद्ध" के लिए भ्रमित किया गया जिसे "जीतना असंभव" था. जबकि दूसरे मेहमानों ने यूक्रेन पर पूरी रूसी सैन्य ताकत छोड़ देने की मांग की.
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