बीजिंग:
भारत ने तिब्बत की स्थिति को चीन का आंतरिक मामला करार देते हुए कहा है कि इस मुद्दे पर उपजे तनाव को कम करने के लिए मदद का इच्छुक है।
विदेश मंत्री एस एम कृष्णा चीन के चार वरिष्ठ नेताओं के साथ गहन चर्चा की। उन्होंने मीडिया से कहा कि बातचीत के दौरान तिब्बत का मुद्दा उठा।
कृष्णा ने कहा, ‘हमने तिब्बत मुद्दे पर भी चर्चा की। यह भारत सरकार का रुख है कि तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र चीन का हिस्सा है और ऐसे में हम इसे चीन के आंतरिक मामले के तौर पर देख रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसे में हमें बहुत सतर्क रहना होगा और अगर हम तनाव कम करने में कोई मदद कर सकते हैं तो ऐसा करने के इच्छुक हैं। परंतु मुझे नहीं लगता कि ऐसी स्थिति पैदा होगी।’ कृष्णा से पूछा गया था कि क्या चीन के नेताओं ने तिब्बत में हाल की घटनाओं को लेकर चिंता व्यक्त की है।
भारतीय अधिकारियों का कहना है कि भारत तिब्बत की स्थिति पर सहज संज्ञान ले रहा है और उसका यह रुख है कि तिब्बत चीन का हिस्सा है। हाल के महीने में तिब्बत से लगे शिचुआन प्रांत में 16 बौद्ध भिक्षुओं ने आत्मदाह करने का प्रयास किया है। इनमें से दो की मौत भी हो गई।
भारत ने इस रुख को भी दोहराया कि तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा एक सम्मानित अतिथि है। और उनकी गतिविधियां राजनीतिक नहीं हैं। कृष्णा ने यहां एक करोड़ डॉलर की लागत वाले भारतीय दूतावास के भवन का उद्घाटन किया। उन्होंने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के पोलित ब्यूरो सदस्य झू योंगकोंग से मुलाकात की।
योंगकोंग ने कृष्णा का स्वागत करते हुए कहा, ‘द्विपक्षीय संबंधों में अच्छी प्रगति हुई है और हम प्रगति से संतुष्ट हैं।’ झू ने 2010 में अपनी भारत यात्रा को याद करते हुए कहा, ‘भारत और चीन के 2.5 अरब लोगों के पास साथ मिलकर विकास करने के लिए पर्याप्त जगह और अवसर हैं।’ इस भारत यात्रा के दौरान झू ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्य नेताओं से मुलाकात की थी।
बीती रात यहां पहुंचे कृष्णा ने अपनी यात्रा झू के साथ मुलाकात से शुरू की। वह चीनी विदेश मंत्री यांग जिएची के साथ दोपहर भोज के दौरान मिले।
बाद में वह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के अंतरराष्ट्रीय विभाग के वरिष्ठ अधिकारी वांग जिआरुई से मिले और इसके बाद उनकी मुलाकात शीर्ष राजनयिक एवं स्टेट काउंसलर दाई बिंगू से हुई जिन्होंने पिछले महीने 15वें दौर की भारत-चीन सीमा वार्ता में शामिल होने के लिए नयी दिल्ली की यात्रा की थी।
विदेश मंत्री एस एम कृष्णा चीन के चार वरिष्ठ नेताओं के साथ गहन चर्चा की। उन्होंने मीडिया से कहा कि बातचीत के दौरान तिब्बत का मुद्दा उठा।
कृष्णा ने कहा, ‘हमने तिब्बत मुद्दे पर भी चर्चा की। यह भारत सरकार का रुख है कि तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र चीन का हिस्सा है और ऐसे में हम इसे चीन के आंतरिक मामले के तौर पर देख रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसे में हमें बहुत सतर्क रहना होगा और अगर हम तनाव कम करने में कोई मदद कर सकते हैं तो ऐसा करने के इच्छुक हैं। परंतु मुझे नहीं लगता कि ऐसी स्थिति पैदा होगी।’ कृष्णा से पूछा गया था कि क्या चीन के नेताओं ने तिब्बत में हाल की घटनाओं को लेकर चिंता व्यक्त की है।
भारतीय अधिकारियों का कहना है कि भारत तिब्बत की स्थिति पर सहज संज्ञान ले रहा है और उसका यह रुख है कि तिब्बत चीन का हिस्सा है। हाल के महीने में तिब्बत से लगे शिचुआन प्रांत में 16 बौद्ध भिक्षुओं ने आत्मदाह करने का प्रयास किया है। इनमें से दो की मौत भी हो गई।
भारत ने इस रुख को भी दोहराया कि तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा एक सम्मानित अतिथि है। और उनकी गतिविधियां राजनीतिक नहीं हैं। कृष्णा ने यहां एक करोड़ डॉलर की लागत वाले भारतीय दूतावास के भवन का उद्घाटन किया। उन्होंने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के पोलित ब्यूरो सदस्य झू योंगकोंग से मुलाकात की।
योंगकोंग ने कृष्णा का स्वागत करते हुए कहा, ‘द्विपक्षीय संबंधों में अच्छी प्रगति हुई है और हम प्रगति से संतुष्ट हैं।’ झू ने 2010 में अपनी भारत यात्रा को याद करते हुए कहा, ‘भारत और चीन के 2.5 अरब लोगों के पास साथ मिलकर विकास करने के लिए पर्याप्त जगह और अवसर हैं।’ इस भारत यात्रा के दौरान झू ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्य नेताओं से मुलाकात की थी।
बीती रात यहां पहुंचे कृष्णा ने अपनी यात्रा झू के साथ मुलाकात से शुरू की। वह चीनी विदेश मंत्री यांग जिएची के साथ दोपहर भोज के दौरान मिले।
बाद में वह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के अंतरराष्ट्रीय विभाग के वरिष्ठ अधिकारी वांग जिआरुई से मिले और इसके बाद उनकी मुलाकात शीर्ष राजनयिक एवं स्टेट काउंसलर दाई बिंगू से हुई जिन्होंने पिछले महीने 15वें दौर की भारत-चीन सीमा वार्ता में शामिल होने के लिए नयी दिल्ली की यात्रा की थी।
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