प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाने को लेकर पाकिस्तान को दो टूक जवाब देते हुए आज जोर देकर कहा कि वह उसके साथ 'आतंकवाद के साये के बिना' एक गंभीर द्विपक्षीय वार्ता करने को तैयार हैं। मोदी ने हालांकि पाकिस्तान से कहा कि वह इसके लिए एक 'उपयुक्त वातावारण' बनाये।
मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा दिए गए, उस संबोधन का कोई सीधा उल्लेख नहीं किया जिसमें उन्होंने कश्मीर में जनमत संग्रह कराने पर जोर दिया था। मोदी ने यह स्पष्ट किया कि 'इस मंच (संयुक्त राष्ट्र) से ऐसे मुद्दों को उठाने से उनके समाधान में कितने सफल होंगे इसे लेकर कइयों को शक है।'
193 सदस्यीय महासभा में अपने पहले संबोधन में मोदी ने रेखांकित किया कि उनकी सरकार ने पाकिस्तान सहित अपने पड़ोसी देशों के साथ मित्रता और सहयोग बढ़ाने को उच्चतम प्राथमिकता दी है।
मोदी ने हिंदी में दिए अपने भाषण में कहा, 'मैं मित्रता और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए आतंकवाद के साये के बिना शांतिपूर्व माहौल में पाकिस्तान के साथ गंभीर द्विपक्षीय वार्ता को तैयार हूं।' उन्होंने महासभा में कहा, 'हालांकि पाकिस्तान को भी एक उचित माहौल बनाने के लिए अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से लेना चाहिए।'
मोदी के 35 मिनट के संबोधन में कई विषय शामिल थे जैसे आतंकवाद, पश्चिम एशिया में आतंकवाद के नये रूप में उभरना, संयुक्त राष्ट्र परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र में सुधार तथा अधिक समावेशी वैश्विक विकास शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने भारत के आस-पड़ोस की बात करते हुए कहा कि भारत अपने विकास के लिए एक शांतिपूर्ण और स्थिर माहौल की अभिलाषा रखता है। उन्होंने कहा, 'एक देश का भाग्य उसके पड़ोस से जुड़ा होता है। इसी के चलते मेरी सरकार ने पड़ोसी देशों के साथ मित्रता और सहयोग बढ़ाने को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है।'
प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान से कहा कि संयुक्त राष्ट्र में मुद्दे उठाने की बजाय, 'आज हमें जम्मू कश्मीर के बाढ़ पीड़ितों के बारे में सोचना चाहिए था। भारत में हमने एक व्यापक बाढ़ राहत अभियान का आयोजन किया और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भी सहायता की पेशकश की।'
उन्होंने कहा, 'भारत विकासशील विश्व का हिस्सा है लेकिन हम अपने मामूली संसाधनों को भी उन देशों के साथ साझा करने को तैयार हैं जिन्हें इस सहायता की उतनी ही जरूरत है जितनी कि हमें है।'
मोदी ने वर्तमान समय के बारे में कहा 'यह तनाव और उथल-पुथल का दौर है जैसा कि हाल के इतिहास में पहले कभी भी नहीं देखा गया। यद्यपि कोई बड़ा युद्ध नहीं हो रहा है लेकिन वास्तविक शांति का अभाव है और भविष्य के प्रति अनिश्चितता बनी हुई है।' उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया में अतिवाद और गड़बड़ी बढ़ रही है। उन्होंने कहा, 'हमारे अपने क्षेत्र को आतंकवाद की अस्थिरता के खतरे का सामना करना पड़ रहा है।'
मोदी ने महासभा में कहा कि आतंकवाद 'नया स्वरूप और नया नाम' ग्रहण कर रहा है और कोई भी देश, चाहे बड़ा हो या छोटा उसके खतरे से मुक्त नहीं है।
उन्होंने सवाल किया, 'क्या हम इन ताकतों से मुकाबले के लिए वास्तव में ठोस अंतरराष्ट्रीय प्रयास कर रहे हैं, या हम अभी भी अपनी राजनीति, अपने मतभेदों या दो देशों के बीच भेदभावों, अच्छे और बुरे आतंकवादियों के बीच अंतर में फंसे हुए हैं?'
उन्होंने प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि आज भी 'देश अपने क्षेत्र में आतंकवाद के पनाहगाहों की इजाजत देते हैं या आतंकवाद को अपनी नीति के औजार के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।' उन्होंने इराक और सीरिया में जारी संघर्ष की ओर इशारा किया जहां अमेरिका नीत गठबंधन इस्लामी स्टेट (आईएस) आतंकवादियों पर हमले कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत पश्चिम एशिया में आतंकवाद के विस्तार से मुकाबले के लिए किये जाने वाले प्रयासों का स्वागत करता है जिससे कि पास और दूर के देश प्रभावित हो रहे हैं।
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