इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर स्थित आतंकवादनिरोधी विशेष अदालत ने शनिवार को 26/11 के मुम्बई आतंकी हमला मामले की सुनवाई पांच मार्च तक के लिए स्थगित कर दी। फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एफआईए) के सरकारी वकील चौधरी जुल्फिकार ने अदालत के समक्ष कहा कि दो मुख्य आरोपी अजमल कसाब और फहीम अंसारी के खिलाफ गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट अदालत द्वारा पिछले वर्ष 17 अप्रैल को जारी किया जा चुका है। उन्होंने अदालत को जानकारी दी, "वारंट भारतीय अधिकारियों को भेजा गया लेकिन उन्होंने अभी तक इसे ग्रहण नहीं किया है।" चौधरी ने कहा, "पाकिस्तानी कानून के मुताबिक दोनों आरोपियों को दोषी साबित करने से पहले घोषित अपराधी करार देने की जरूरत है।" उन्होंने कहा कि बचाव पक्ष के वकील ख्वाजा सुल्तान ने पाकिस्तानी अपराध दंड संहिता (सीआरपीसी) की धारा 403 के तहत अदालत में एक अर्जी दायर की है, जिसमें कहा गया है कि कसाब को भारत में पहले ही दोषी करार दे दिया गया है, इसलिए इस मामले की सुनवाई बंद कर देनी चाहिए। निचली अदालत के विशेष न्यायाधीश एमएल तहलियानी द्वारा मई, 2010 में अंसारी को सभी आरोपों से बरी किया जा चुका है। बाद में बम्बई उच्च न्यायालय ने भी इस फैसले को बरकरार रखा। मीडिया में आई खबरों के अनुसार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रावलपिंडी स्थित आदियाला जेल में शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच सुनवाई शुरू हुई। अदालत कसाब और अंसारी को घोषित अपराधी करार देने के लिए पांच मार्च को दोनों पक्षों के वकीलों की दलील सुनेगी। इससे पूर्व शुक्रवार को लाहौर उच्च न्यायालय ने कहा था कि "आरोपी जानबूझकर फरार नहीं हुआ था।" इसके बाद एफआईए ने अपनी अर्जी वापस ले ली। एफआईए ने यह मामला कसाब द्वारा भारत में दिए गए इकबालिया बयान के आधार पर तैयार किया, लेकिन अदालत ने 'पाकिस्तानी कानून के तहत इसे 'अमान्य' घोषित कर दिया। उल्लेखनीय है कि कसाब 26 नवम्बर, 2008 में मुम्बई में हुए आतंकी हमले के बाद से भारत की गिरफ्त में है। इस हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी। बम्बई उच्च न्यायालय ने हाल ही में निचली अदालत द्वारा कसाब को सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा है।
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