मेलबर्न:
ऑस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड ने आज कहा कि भारत को यूरेनियम बेचने को लेकर उम्मीद के मुताबिक प्रगति हो रही है और दोनों देशों के बीच सुरक्षा मानक समझौते पर वार्ता चल रही है।
गिलार्ड ने कहा, इस बाबत हुई प्रगति हमारी उम्मीद के मुताबिक है। इसमें सबसे अहम चीज समस्या से पार पाना है, जो भारत को यूरेनियम बेचने से ऑस्ट्रेलिया को रोक रही है। उन्होंने कहा, हम सुरक्षा मानक समझौते पर काम कर रहे हैं। इसको लेकर चर्चा जारी है, इसमें कुछ समय जरूर लगेगा। गिलार्ड ने यहां आयोजित एक समारोह में अपनी लेबर पार्टी के समर्थकों, विशेषकर भारतीय एवं अन्य दक्षिण एशियाई समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं।
यूरेनियम सौदे को लेकर वार्ता शुरू की जा चुकी है और दोनों ओर के अधिकारी अब सुरक्षा मानक समझौते पर काम कर रहे हैं।
हालांकि, यह कहा जा रहा है कि यूरेनियम की बिक्री शुरू होने में अभी कम से कम दो साल का वक्त और लगेगा।
इस समझौते के बाद भारत परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए बिना ऑस्ट्रेलियाई यूरेनियम पाने वाला पहला ग्राहक होगा।
गिलार्ड ने इससे पहले कहा था कि भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए दिया जाने वाला ऑस्ट्रेलियाई यूरेनियम केवल असैन्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए होगा।
गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया के पास दुनियाभर में पाए गए यूरेनियम स्रोतों का एक तिहाई हिस्सा है और वह सलाना 7,000 टन यूरेनियम का निर्यात करता है।
गिलार्ड ने कहा, इस बाबत हुई प्रगति हमारी उम्मीद के मुताबिक है। इसमें सबसे अहम चीज समस्या से पार पाना है, जो भारत को यूरेनियम बेचने से ऑस्ट्रेलिया को रोक रही है। उन्होंने कहा, हम सुरक्षा मानक समझौते पर काम कर रहे हैं। इसको लेकर चर्चा जारी है, इसमें कुछ समय जरूर लगेगा। गिलार्ड ने यहां आयोजित एक समारोह में अपनी लेबर पार्टी के समर्थकों, विशेषकर भारतीय एवं अन्य दक्षिण एशियाई समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं।
यूरेनियम सौदे को लेकर वार्ता शुरू की जा चुकी है और दोनों ओर के अधिकारी अब सुरक्षा मानक समझौते पर काम कर रहे हैं।
हालांकि, यह कहा जा रहा है कि यूरेनियम की बिक्री शुरू होने में अभी कम से कम दो साल का वक्त और लगेगा।
इस समझौते के बाद भारत परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए बिना ऑस्ट्रेलियाई यूरेनियम पाने वाला पहला ग्राहक होगा।
गिलार्ड ने इससे पहले कहा था कि भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए दिया जाने वाला ऑस्ट्रेलियाई यूरेनियम केवल असैन्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए होगा।
गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया के पास दुनियाभर में पाए गए यूरेनियम स्रोतों का एक तिहाई हिस्सा है और वह सलाना 7,000 टन यूरेनियम का निर्यात करता है।
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