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This Article is From Mar 17, 2016

दो साल में मोदी सरकार का रिकॉर्ड रहा मिला जुला : अमेरिकी विशेषज्ञ

दो साल में मोदी सरकार का रिकॉर्ड रहा मिला जुला : अमेरिकी विशेषज्ञ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
वाशिंगटन: भारत के मामलों के एक अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा है कि सत्ता में दो साल पूरे होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का रिकॉर्ड मिला जुला रहा है क्योंकि निवेशकों के लिए लाल कालीन बिछाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ कार्य करने के बावजूद सरकार ने साहस के बजाए सावधानी बरतने को प्राथमिकता दी।

अमेरिकन एंटरप्राइस इंस्टीट्यूट में रेजीडेंट फेलो सदानंद धूमे ने कांग्रेस की सुनवाई के दौरान सांसदों से कहा, ‘‘अब तक, मोदी सरकार का रिकॉर्ड मिला जुला रहा है। उसने निवेशकों के लिए लाल कालीन बिछाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ काम किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि गहरे संरचनात्मक सुधार के संदर्भ में सरकार को या तो विपक्ष की बाधाओं का सामना करना पड़ा है या उसने स्वयं साहस के बजाए सावधानी बरतने को प्राथमिकता दी है।’’ वॉल स्ट्रीट जर्नल में लेख लिखने वाले धूमे ने कहा कि संसद के निचले सदन में अच्छा बहुमत मिलने के बावजूद मोदी सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार के अलोकप्रिय रहे पिछली तारीख से (रेट्रोएक्टिव) कर जैसे कानूनों को बदलने के लिए कुछ नहीं किया।’’ धूमे ने कहा कि अरबों डॉलर की बर्बादी करने वाले पिछली सरकार के ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम को बंद करने के बजाय मोदी सरकार ने उसको दिए जाने वाला वित्त पोषण रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ा दिया है। इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के शासनकाल में बहुत कुछ हासिल किया गया है।

धूमे ने कहा, ‘‘रक्षा, बीमा और खाद्य प्रसंस्करण समेत विभिन्न क्षेत्रों में विदेशी निवेश के नियमों में ढील दी गई है। मई 2014 और दिसंबर 2015 के बीच भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 33 प्रतिशत बढ़कर 64 अरब डॉलर हो गया। मोदी के निर्वाचन से 20 माह पहले यह 48 अरब डॉलर था।’’ उन्होंने सांसदों को बताया, ‘‘ताइवान की फॉक्सकॉन और दक्षिण कोरिया की पॉस्को समेत विभिन्न उच्च स्तरीय कंपनियों ने भारत में अरबों डॉलर के ताजा निवेश का संकल्प लिया है। बड़े अमेरिकी निवेशकों में जनरल इलेक्ट्रिक, जनरल मोटर्स, उबर और ओरेकल शामिल हैं।’’

धूमे ने सांसदों से कहा कि वाशिंगटन को एक समृद्ध एवं मजबूत लोकतंत्र के रूप में होते भारत के उदय को प्रोत्साहित करना जारी रखना चाहिए। यह क्षेत्र और इससे इतर एक स्थिरताकारी बल के रूप में काम करता है। धूमे ने कहा, ‘‘साथ ही अमेरिका को वस्तुओं एवं सेवाओं दोनों को ध्यान में रखते हुए भारत का सबसे बड़ा एकल कारोबारी साझीदार बने रहने के रणनीतिक लक्ष्य के मद्देनजर उसके साथ संबंध मजबूत करने की आवश्यकता है।’’

इस बीच वाधवानी चेयर इन अमेरिका-इंडिया पॉलिसी स्टडी सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के सीनियर फेलो रिचर्ड एम रोसो ने कहा, ‘‘मोदी सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड भले ही बहुत शानदार नहीं है लेकिन यह मजबूत है।’’ उन्होंने कहा कि मोदी ने एशियाई सुरक्षा पर अमेरिका से मेल खाते अपने विचारों से अमेरिकी सुरक्षा समुदाय को हैरान किया है।

रोसो ने कहा, ‘‘हमने रक्षा सामग्री के सह विकास और सह उत्पादन के लिए ‘रक्षा तकनीक एवं व्यापार पहल’ के लंबे समय से रुके कार्यक्रमों की दिशा में भी प्रगति की है। इसके साथ ही हमने अन्य 10 वर्षों के लिए हमारे रक्षा रूपरेखा समझौते का नवीकरण किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत अमेरिकी रक्षा निर्यातों के लिए सबसे बड़े बाजारों में शामिल हो गया है और वह संयुक्त अभ्‍यासों के लिए एक बड़ा साझीदार बन गया है।’’

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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