अमेरिकी रक्षा सचिव और पीएम मोदी
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगापुर में अमेरिका के रक्षा मंत्री जिम मैटिस से आज मुलाकात की. अमेरिकी सेना में भारत की महत्ता के बड़े सांकेतिक कदम के तौर पर पेंटागन द्वारा प्रशांत कमान का नाम बदलकर हिंद-प्रशांत कमान किए जाने के कुछ दिनों बाद यह मुलाकात हुई. सूत्रों ने बताया कि तीन देशों की यात्रा के आखिरी चरण में मोदी ने बंद कमरे में मैटिस से मुलाकात की, जिसमें दोनों पक्षों ने आपसी और वैश्विक हितों के सभी सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की. वार्षिक शंगरी-ला वार्ता के इतर यह बैठक हुई. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगापुर के पूर्व प्रधानमंत्री गोह चोक टोंग के साथ महात्मा गांधी पट्टिका का आज अनावरण किया.
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पीएम मोदी ने शुक्रवार की रात इसे संबोधित किया. वार्ता में अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि ‘प्रतिद्वंद्विता के एशिया ’ से क्षेत्र पिछड़ जाएगा. जबकि सहयोग वाले एशिया से शताब्दी का स्वरूप तय होगा. उन्होंने कहा कि जब भारत और चीन एक-दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशील रहते हुए भरोसे और विश्वास के साथ काम करते हैं तभी एशिया और दुनिया को बेहतर भविष्य मिलेगा. उन्होंने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत समुद्र एवं वायु में साझा स्थलों के इस्तेमाल के लिए हम सभी के पास समान अधिकार होने चाहिए. इसके तहत नौवहन की स्वतंत्रता, अबाधित वाणिज्य तथा अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पड़ेगी.’
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मैटिस ने भी वार्ता को संबोधित किया जिसमें उन्होंने सभी के लिए स्वतंत्रता और व्यवस्था आधारित नियमों पर जोर दिया. दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात अहम मानी जा रही है क्योंकि मैटिस ने अपने संबोधन में कहा था कि दोनों देशों को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक-साथ और अन्य देशों के साथ मिलकर काम करना चाहिए. मैटिस ने कहा, ‘यह उचित है कि समुद्री मार्ग सभी देशों के लिए खुले रहे.’
गौरतलब है कि अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर के सैन्यीकणरण पर चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच अपनी सबसे पुरानी और बड़ी सैन्य कमान प्रशांत कमान का नाम बदलकर हिंद-प्रशांत कमान कर दिया है जिसके कुछ दिनों बाद यह बैठक हुई. अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में चीन के कदमों से बढ़े तनाव के मद्देनजर यह कदम उठाया. चीन, दक्षिण चीन सागर के लगभग सभी हिस्सों पर अपना दावा करता है.
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वियतनाम, फिलीपीन, मलेशिया, ब्रूनेई और ताइवान उसके इस दावे को खारिज करते हैं. अमेरिका भी इलाके में चीन के दावों को खारिज करता है. पेंटागन का कदम अमेरिका की कूटनीतिक सोच में भारत की बढ़ती महत्ता को भी दर्शाता है. पूर्ववर्ती बराक ओबामा प्रशासन ने भारत को ‘अहम रक्षा साझेदार’ का दर्जा दिया था. भारत और अमेरिका ने वर्ष 2016 में रक्षा साजोसामान के अहम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जिससे उनकी सेनाएं एक-दूसरे के साजोसामान तथा सामान की आपूर्ति के लिए वायुअड्डों का इस्तेमाल कर सकती हैं.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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पीएम मोदी ने शुक्रवार की रात इसे संबोधित किया. वार्ता में अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि ‘प्रतिद्वंद्विता के एशिया ’ से क्षेत्र पिछड़ जाएगा. जबकि सहयोग वाले एशिया से शताब्दी का स्वरूप तय होगा. उन्होंने कहा कि जब भारत और चीन एक-दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशील रहते हुए भरोसे और विश्वास के साथ काम करते हैं तभी एशिया और दुनिया को बेहतर भविष्य मिलेगा. उन्होंने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत समुद्र एवं वायु में साझा स्थलों के इस्तेमाल के लिए हम सभी के पास समान अधिकार होने चाहिए. इसके तहत नौवहन की स्वतंत्रता, अबाधित वाणिज्य तथा अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पड़ेगी.’
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गौरतलब है कि अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर के सैन्यीकणरण पर चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच अपनी सबसे पुरानी और बड़ी सैन्य कमान प्रशांत कमान का नाम बदलकर हिंद-प्रशांत कमान कर दिया है जिसके कुछ दिनों बाद यह बैठक हुई. अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में चीन के कदमों से बढ़े तनाव के मद्देनजर यह कदम उठाया. चीन, दक्षिण चीन सागर के लगभग सभी हिस्सों पर अपना दावा करता है.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)