अपनी तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर मंगलवार को बीजिंग पहुंचे भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि भारत और चीन, आपसी सीमा पर शांति एवं सौहार्द स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और दोनों देशों के बीच भविष्य में होने वाले द्विपक्षीय समझौतों के विकास में यह महत्वपूर्ण गारंटीकर्ता एवं मूलभूत आधार के रूप में होगा।
मनमोहन सिंह ने मंगलवार को चीनी मीडिया को दिए साक्षात्कार में सीमा के प्रश्न को जटिल एवं संवेदनशील बताया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच 4,000 किमी लंबी सीमा पर शांति एवं सौहार्द स्थापित करने के लिए प्रतिबद्धता के मुद्दे पर दोनों देशों के नेताओं में एकजुटता है। उन्होंने कहा कि शांति के लिए निर्धारित सिद्धांतों एवं प्रक्रियाओं का दोनों देश जब तक पालन करेंगे और चीन तथा भारत की बदलती परिस्थितियों के आधार पर जहां जरूरी हो अपनी पहल पर सुधार करेंगे तथा सीमा सैनिकों के बीच बातचीत एवं मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान को बढ़ावा देंगे। उन्होंने कहा, "मुझे पूरा विश्वास है कि दोनों देशों के नेताओं के बीच सामरिक सहमति जमीनी स्तर पर परिलक्षित होगी।"
मनमोहन सिंह ने कहा, "भारत और चीन के प्रतिनिधियों ने सीमा संकल्प के लिए राजनीतिक मानदंड एवं मार्गदर्शक सिद्धांतों की स्थापना के लिए कड़ी मेहनत की है।" उन्होंने कहा कि वह दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों द्वारा इस दिशा में किए गए कार्य का समर्थन करते हैं। भारत की तरफ से सीमा विवाद पर वार्ता के विशेष प्रतिनिधि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन हैं।
मनमोहन सिंह ने कहा, "यह इतना सरल मुद्दा नहीं है, तथा इसके समाधान में समय लगेगा।"
भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर अलग-अलग नजरिया रखने के कारण तनाव की स्थिति बनती रहती है।
इसी वर्ष अप्रैल-मई में चीनी सैनिकों के भारत के अधिकार क्षेत्र के जम्मू एवं कश्मीर के लद्दाख में 19 किमी तक भीतर घुस आने के बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच तीन सप्ताह तक गतिरोध बना रहा था। बेहद तनावपूर्ण बातचीत के कई दौरों के बाद उस विवाद को सुलझाया जा सका।
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