कोविड-19 रोधी टीका लगवाने में हिचक या इससे इनकार करने का सीधा संबंध उपेक्षा, घरेलू हिंसा जैसे बचपन के किसी बुरे अनुभव से हो सकता है. यह जानकारी एक अध्ययन में सामने आई है. पत्रिका ‘बीएमजे ओपन' में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि जिन लोगों ने बचपन में चार या अधिक तरह के सदमों को झेला है, उनमें उन लोगों की तुलना में टीका लगवाने में हिचक तीन गुना ज्यादा थी, जिन्होंने बचपन में कोई सदमा नहीं झेला है.
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ब्रिटेन के बंगोर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने विश्लेषण किया कि क्या बचपन के किसी बुरे अनुभव का संबंध स्वास्थ्य प्रणाली सूचना के वर्तमान स्तर, कोविड-19 के प्रतिबंधों के समर्थन और अनुपालन तथा संक्रमण से रक्षा के लिए टीकाकरण से जुड़ा हुआ है. उन्होंने ब्रिटेन के वेल्स में रहने वाले वयस्कों से दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच टेलीफोन पर सर्वेक्षण किया. इस दौरान कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए प्रतिबंध जारी थे.
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अध्ययन के लिए शुरू में 6,763 लोगों से संपर्क किया गया लेकिन अंतिम निष्कर्ष के लिए 2,285 लोगों को इसमें शामिल किया गया जिन्होंने पात्रता की शर्तें पूरी कीं और सभी सवालों के जवाब दिए. सर्वेक्षण में बचपन के दौरान नौ तरह के बुरे अनुभवों के बारे में पूछा गया जिनमें शारीरिक, मौखिक एवं यौन उत्पीड़न, माता-पिता के बीच अलगाव, घरेलू हिंसा का शिकार होना और मानसिक बीमारी से पीड़ित परिवार के सदस्य के साथ रहने, शराब पीना या कोई और नशा करना या जेल में रहना शामिल था.
अध्ययन करने वाली टीम में जन स्वास्थ्य वेल्स और लिवरपूल होप विश्वविद्यालय के शोधकर्ता शामिल हैं. इसमें पाया गया कि पांच में से एक व्यक्ति ने कहा कि उसे इसमें से एक तरह का बुरा अनुभव है, छह में से एक ने कहा कि उसे दो से तीन तरह का बुरा अनुभव है और दस में से एक ने कहा कि उसने चार या अधिक तरह का सदमा झेला है.
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