तापमान वृद्धि पर अंकुश के लिए हुआ यह समझौता ऐतिहासिक टर्निंग प्वाइंट माना जा रहा है
पेरिस:
पेरिस जलवायु शिखर सम्मेलन में धरती के बढ़ते तापमान पर अंकुश लगाने के लिए ऐतिहासिक समझौते को करीब 200 देशों ने स्वीकार कर लिया है। इस समझौते में क्लाइमेट जस्टिस की बात है और इसमें पर्यावरण की हिफाजत की ज्यादा जिम्मेदारी बड़े ताकतवर देशों पर डाली गई है। यह समझौता ऐतिहासिक टर्निंग प्वाइंट माना जा रहा है।
इस समझौते के अनुसार, वैश्विक तापमान की सीमा दो डिग्री सेल्सियस से 'काफी कम' रखने और इस समस्या से निपटने में विकासशील देशों की मदद के लिए वर्ष 2020 से सौ अरब डॉलर प्रति वर्ष की प्रतिबद्धता का प्रस्ताव है।
भारत को मनाने के लिए फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने की थी पीएम मोदी से बात
तापमान वृद्धि पर अंकुश की यह बात भारत और चीन जैसे विकासशील देशों की पसंद के अनुरूप नहीं है, जो औद्योगिकीकरण के कारण कार्बन गैसों के बड़े उत्सर्जक हैं, लेकिन भारत ने शिखर बैठक के इन नतीजों को स्वागत करते हुए इन्हें 'संतुलित' और आगे का रास्ता दिखाने वाला बताया। फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने करार पर आगे बढ़ने के लिए भारत को मनाने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बात की थी।
भारत ने किया स्वागत
संयुक्त राष्ट्र के इस सम्मेलन के लिए पेरिस में मौजूद केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पहली नजर में यह भारत के लिए अच्छा है। भारत ने बीते एक वर्ष में दो महत्वपूर्ण संकल्पनाओं ‘जलवायु न्याय एवं सतत जीवनशैली’ पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा सतत जीवनशैली और जलवायु न्याय के उद्देश्य का समर्थन किया है। दोनों को दस्तावेज की प्रस्तावना में स्थान दिया गया है। भारत के लिए यह महत्वपूर्ण उपलब्धि है। भारत ने बीते एक वर्ष में इन दो संकल्पनाओं को बहुत मजबूती से रखा है।
जावड़ेकर ने कहा, 'दस्तावेज को एक झलक देखने पर, हम खुशी जाहिर करते हैं कि यह संतुलित है और भारत की चिंताओं पर गौर करता है। यह विश्व को आगे ले जाने वाला है।'
जलवायु समझौते से ‘प्रसन्न’ विकासशील देश
दुनिया के 134 विकासशील देशों के ब्लॉक के प्रवक्ता ने कहा कि भारत, चीन और सऊदी अरब ग्लोबल वार्मिंग पर रोक लगाने के लिए नियोजित समझौते से 'खुश' हैं। प्रवक्ता गुरदियाल सिंह ने कहा, 'हम समझौते से खुश हैं। हमारा मानना है कि यह संतुलित है और हम मानते हैं कि उन्होंने हमारे हितों को ध्यान में रखा है।' उन्होंने कहा, 'भारत सहमत है। चीन सहमत है। सऊदी अरब सहमत है। अरब समूह सहमत है।'
वहीं यूरोपीय आयोग ने भी कहा है कि उसे कोई आपत्ति नहीं है। आयोग की प्रवक्ता एना-काइसा ने कहा, 'समझौते में हमारी सभी मुख्य बातें शामिल हैं। यह महत्वाकांक्षी है, यह संतुलित है।'
जलवायु सम्मेलन के अध्यक्ष प्रेसिडेंट लॉरेंट फेबियस ने कहा कि ये समझौता आपसी भरोसा बनाने वाला है। फेबियस ने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि कोष जुटाने संबंधी नया आंकड़ा वर्ष 2025 तक तय किया जाएगा। उन्होंने साथ ही कहा कि समझौते में भविष्य के लिए सौ अरब डॉलर की राशि का आधार के रूप में प्रावधान किया जाएगा। (इनपुट भाषा से)
इस समझौते के अनुसार, वैश्विक तापमान की सीमा दो डिग्री सेल्सियस से 'काफी कम' रखने और इस समस्या से निपटने में विकासशील देशों की मदद के लिए वर्ष 2020 से सौ अरब डॉलर प्रति वर्ष की प्रतिबद्धता का प्रस्ताव है।
भारत को मनाने के लिए फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने की थी पीएम मोदी से बात
तापमान वृद्धि पर अंकुश की यह बात भारत और चीन जैसे विकासशील देशों की पसंद के अनुरूप नहीं है, जो औद्योगिकीकरण के कारण कार्बन गैसों के बड़े उत्सर्जक हैं, लेकिन भारत ने शिखर बैठक के इन नतीजों को स्वागत करते हुए इन्हें 'संतुलित' और आगे का रास्ता दिखाने वाला बताया। फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने करार पर आगे बढ़ने के लिए भारत को मनाने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बात की थी।
भारत ने किया स्वागत
संयुक्त राष्ट्र के इस सम्मेलन के लिए पेरिस में मौजूद केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पहली नजर में यह भारत के लिए अच्छा है। भारत ने बीते एक वर्ष में दो महत्वपूर्ण संकल्पनाओं ‘जलवायु न्याय एवं सतत जीवनशैली’ पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा सतत जीवनशैली और जलवायु न्याय के उद्देश्य का समर्थन किया है। दोनों को दस्तावेज की प्रस्तावना में स्थान दिया गया है। भारत के लिए यह महत्वपूर्ण उपलब्धि है। भारत ने बीते एक वर्ष में इन दो संकल्पनाओं को बहुत मजबूती से रखा है।
जावड़ेकर ने कहा, 'दस्तावेज को एक झलक देखने पर, हम खुशी जाहिर करते हैं कि यह संतुलित है और भारत की चिंताओं पर गौर करता है। यह विश्व को आगे ले जाने वाला है।'
जलवायु समझौते से ‘प्रसन्न’ विकासशील देश
दुनिया के 134 विकासशील देशों के ब्लॉक के प्रवक्ता ने कहा कि भारत, चीन और सऊदी अरब ग्लोबल वार्मिंग पर रोक लगाने के लिए नियोजित समझौते से 'खुश' हैं। प्रवक्ता गुरदियाल सिंह ने कहा, 'हम समझौते से खुश हैं। हमारा मानना है कि यह संतुलित है और हम मानते हैं कि उन्होंने हमारे हितों को ध्यान में रखा है।' उन्होंने कहा, 'भारत सहमत है। चीन सहमत है। सऊदी अरब सहमत है। अरब समूह सहमत है।'
वहीं यूरोपीय आयोग ने भी कहा है कि उसे कोई आपत्ति नहीं है। आयोग की प्रवक्ता एना-काइसा ने कहा, 'समझौते में हमारी सभी मुख्य बातें शामिल हैं। यह महत्वाकांक्षी है, यह संतुलित है।'
जलवायु सम्मेलन के अध्यक्ष प्रेसिडेंट लॉरेंट फेबियस ने कहा कि ये समझौता आपसी भरोसा बनाने वाला है। फेबियस ने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि कोष जुटाने संबंधी नया आंकड़ा वर्ष 2025 तक तय किया जाएगा। उन्होंने साथ ही कहा कि समझौते में भविष्य के लिए सौ अरब डॉलर की राशि का आधार के रूप में प्रावधान किया जाएगा। (इनपुट भाषा से)
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