
- पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार ने स्वीकार किया कि भारत ने कभी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की है.
- डार ने आगे कहा कि अमेरिका ने मई में युद्धविराम की पेशकश भी की थी और पाकिस्तान ने इसे स्वीकार कर लिया था.
- अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने डार को बताया था भारत मसलों को द्विपक्षीय स्तर पर सुलझाने का पक्षधर है.
एक असाधारण घटनाक्रम के तहत पाकिस्तान के विदेश मंत्री और उप-प्रधानमंत्री इश्हाक डर ने एक बड़ा सच कबूला है. अपने इस कबूलनामे के साथ उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे की पोल भी खोल दी है जो वह कश्मीर को लेकर अक्सर करते आ रहे हैं. डार ने कहा है कि भारत ने दोनों देशों के बीच मौजूद मसलों में कभी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया है.
कश्मीर पर मध्यस्थता का दावा
ट्रंप अक्सर यह दावा करते आ रहे हैं उन्हें कश्मीर मामले पर मध्यस्थता के लिए कहा गया है. डार ने कहा कि जिस समय पाकिस्तान की तरफ से अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियों के सामने राष्ट्रपति ट्रंप के मध्यस्थता दावे का जिक्र किया गया तो रूबियो ने इस बारे में अहम बात कही थी. उन्होंने कहा था कि भारत हमेशा यह कहता आया है कि पाकिस्तान के साथ सभी मसले 'सख्त तौर पर द्विपक्षीय' हैं.
रूबियो ने बताया भारत का पक्ष
डार ने इसी इंटरव्यू में कहा है, 'हमें 10 मई को मार्को रुबियो से युद्धविराम का प्रस्ताव मिला था और हमने उसे स्वीकार कर लिया. रुबियो ने यह भी कहा कि जल्द ही आप दोनों किसी तटस्थ स्थान पर बातचीत करेंगे. मैंने 25 जुलाई को रुबियो से पूछा था कि बातचीत कब और कहां है तो इस पर रुबियो ने कहा था कि भारत कोई मध्यस्थता नहीं चाहता. उसका कहना है कि यह एक द्विपक्षीय मामला है. तो यह वर्तमान में बातचीत की स्थिति पर है.'
डार बोले, हम अमन पसंद देश
डार ने कहा, 'भारत का कहना है कि यह द्विपक्षीय मसला है. हम किसी से भीख नहीं मांग रहे हैं. हम एक अमन पसंद देश हैं और हमारा मानना है कि सिर्फ बातचीत से ही आगे बढ़ा जा सकता है. लेकिन दूसरे पक्ष को भी आगे बढ़ना होगा.' उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत आगे बढ़ता है तो पाकिस्तान भी बात करना पसंद करेगा.
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