पाकिस्तान (Pakistan) अगले साल फरवरी तक वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की ‘ग्रे' सूची में निकाय में बना रहेगा. एफएटीएफ ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की. ऐसा पाकिस्तान द्वारा अंतरराष्ट्रीय निधियों तक पहुंच के लिए आवश्यक शर्तों को पूरा करने में विफल रहने पर किया गया है. बता दें कि आतंकवाद के वित्तपोषण और धन शोधन को रोकने एवं निगरानी करने वाली पेरिस से संचालित संस्था की 21 से 23 अक्टूबर के बीच डिजिटल माध्यम से वार्षिक बैठक हुई जिसमें 27 बिंदुओं की कार्य योजना की समीक्षा की गई थी.
पाकिस्तान अब जब ग्रे सूची में बना रहेगा तो उसके लिए विश्व मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और यूरोपीय संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से वित्तीय मदद हासिल करना और मुश्किल हो जाएगा. इससे पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे देश की मुश्किलें और बढ़ेंगी.
पाकिस्तान ने एफएटीएफ की ग्रे सूची से निकलने की कोशिश के तहत करीब 15 कानूनों में संशोधन को मंजूरी लेनी थी. पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए 39 सदस्यीय एफएटीएफ में से 12 सदस्यों का समर्थन हासिल करना था.
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वहीं, काली सूची में जाने से बचने के लिए तीन सदस्यों के समर्थन की जरूरत थी. पाकिस्तान का चीन, तुर्की और मलेशिया लगातार समर्थन करते रहे थे. ऐसा माना जा रहा था कि आज हुई एफएटीएफ की बैठक में अगर यह पाया जाता है कि पाकिस्तान लक्ष्यों को पूरा करने में असफल हुआ है तो पूरी संभावना है कि विश्व निकाय उसे उत्तर कोरिया और ईरान के साथ काली सूची में डाल दें. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उसे फरवरी 2021 तक ग्रे लिस्ट में रखा गया है
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जून 2018 में ‘ग्रे' सूची में डाला था और इस्लामाबाद को धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने की 27 बिंदुओं की कार्य योजना को वर्ष 2019 के अंत तक लागू करने को कहा था. कोविड महामारी की वजह से इस मियाद में वृद्धि कर दी गई.
राजनयिक सूत्रों के हवाले से कुछ दिन पहले ही पाकिस्तानी अखबार ‘दि एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने लिखा था, ‘‘देश अगले साल जून तक एफएटीएफ की ग्रे सूची से बाहर निकलने में सफल होगा.'' खबर के मुताबिक पाकिस्तान संभवत: एफएटीएफ की ग्रे सूची से नहीं निकल पाएगा लेकिन वह काली सूची में जाने से बच गया है.
मीडिया के मुताबिक पाकिस्तान कानूनी औपचारिकताओं को पूरा कर चुका है और उसने निगरानीकर्ता को सूचित किया है कि कार्य योजना के 21 बिंदुओं को उसने लागू कर दिया है. अखबार के मुताबिक पाकिस्तान ने कार्य योजना के शेष बचे छह बिंदुओं पर भी 20 प्रतिशत प्रगति करने का दावा किया है.
गौरतलब है कि कर्ज से दबे पाकिस्तान ने एफएटीएफ की ग्रे सूची से निकलने की कोशिश के तहत अगस्त महीने में 88 प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनके नेताओं पर वित्तीय पाबंदी लगाई थी. इनमें मुंबई हमले का सरगना और जमात-उद दावा प्रमुख हाफिज सईद, जैश-ए-मुहम्मद प्रमुख मसूद अजहर और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम भी शामिल है.
(इनपुट एजेंसी भाषा से भी)
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