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POK के बाद अब खैबर पख्तूनख्वा... पाकिस्तान की नई चाल भारतीय एजेंसियों ने की बेनकाब

पाकिस्तान दुनिया के लिए खतरा बनते जा रहा है. दूसरे देशों से मिले पैसों से आतंकवादियों की फंडिंग कर खतरनाक प्लान बना रहा है. भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान के इस खतरनाक प्लान को डिकोड कर लिया है.

POK के बाद अब खैबर पख्तूनख्वा... पाकिस्तान की नई चाल भारतीय एजेंसियों ने की बेनकाब
  • जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल्लाह मुजाहिद्दीन अपने कैंप खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थानांतरित कर रहे हैं.
  • मानसेहरा में जैश-ए-मोहम्मद ने भारत-पाकिस्तान मैच से पहले पुलिस सुरक्षा में एक भर्ती अभियान आयोजित किया था.
  • खैबर पख्तूनख्वा के लोअर डीआईआर में हिजबुल्लाह मुजाहिद्दीन ने नया ट्रेनिंग कैंप HM 313 स्थापित किया है.
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान नये तरीके से खेल रहा है. सऊदी अरब के साथ सैन्य गठजोड़, अमेरिका और चीन के साथ साथ नये समीकरण बनाने के बीच पाकिस्तान आतंकवादियों के साथ भी नई रणनीति पर काम कर रहा है. एनडीटीवी को इसे लेकर नये सबूत मिले हैं. सूत्रों और तस्वीरों से पुष्टि होती है कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन, खासकर जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल्लाह मुजाहिद्दीन, पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में रणनीति के तहत अपने कैंप ट्रांसफर कर रहे हैं. हालांकि, यह निर्णय ये भी दर्शाता है कि अब आतंकी संगठन पीओके को असुरक्षित मानने लगे हैं, जबकि इसकी भौगोलिक स्थिति और अफगान सीमा से निकटता के कारण उन्हें अधिक फायदा पहुंचाता है. 

मानसेहरा नया ठिकाना

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आतंकवादियों को पाकिस्तान सुरक्षित पनाह के रूप में मानसेहरा भेज रहा है. मानसेहरा पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के हजारा डिवीजन में स्थित है. हाल ही में यहां जैश-ए-मोहम्मद ने वास्तव में भारत-पाकिस्तान मैच शुरू होने से लगभग 7 घंटे पहले एक सार्वजनिक भर्ती अभियान का आयोजन किया था. 14 सितंबर को मनसेहरा में ये भर्ती की गई.  दिलचस्प बात यह है कि यह भर्ती अभियान पाकिस्तानी पुलिस की सुरक्षा में चलाया गया.

लोअर डीआईआर में भी कैंप

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खैबर पख्तूनख्वा के ही लोअर डीआईआर में हिज़्बुल एक नया ट्रेंनिंग कैंप बना रहा है. इसका नाम HM 313 है.  एनडीटीवी ने भारतीय खुफिया एजेंसियों के एक डोजियर को विशेष रूप से एक्सेस किया है, जिसमें न केवल विवरण दिया गया है, बल्कि पाकिस्तान की इन साजिशों के विभिन्न स्थानों की तस्वीरें और वीडियो भी हैं. पाकिस्तानी आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिद्दीन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और सेना के समर्थन से देश के पश्चिम में अंदरूनी इलाकों में, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और पंजाब से खैबर पख्तूनख्वा में अब अपनी गतिविधियां बढ़ा रहे हैं.

पेशावर भी आतंकियों का गढ़

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आप नक्शे पर देख सकते हैं कि यह कहां स्थित है. ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ यहीं आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप बनाए जा रहे हैं. जैश-ए-मोहम्मद यहां एक बड़े आयोजन की योजना बना रहा है. यह आयोजन मसूद के भाई की हत्या की याद में आयोजित किया जा रहा है, और इस आयोजन का आयोजन अल-माराबुन के नाम से किया जा रहा है.  एनडीटीवी को एक्सक्लूसिव जानकारी मिली है कि पाकिस्तानी आतंकी समूह, खासकर जैश-ए-मोहम्मद, अब खैबर पख्तूनवा के पेशावर में एक विशाल रैली करने जा रहा है. 25 सितंबर को यह अल मरीबेथुन के नेतृत्व में ये रैली होगी. ये जैश-ए-मोहम्मद का नया नाम है, एक नया गढ़ा हुआ नाम. जैश-ए-मोहम्मद पर संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने बहुत लंबे समय से प्रतिबंध लगा रखा है और इसीलिए आगे किसी भी तरह के प्रतिबंधों से बचने के लिए यह नाम बदला गया है. पाकिस्तानी सरकार और अपने सहयोगियों से दान राशि इकट्ठा करने के लिए, नाम परिवर्तन किया गया है. इसके अलावा, हिजबुल्लाह मुजाहिद्दीन अपने कैडर को ट्रेनिंग देने और अन्य उद्देश्यों के लिए तेजी से खैबर पख्तूनख्वा भेज रहा है. साफ है कि पाकिस्तान आतंकवादियों के साथ फिर कुछ खतरनाक प्लान कर रहा है. 

सऊदी, चीन, अमेरिका क्या करेंगे

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ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में कम से कम 9 प्रमुख आतंकी ठिकानों को भारतीय वायुसेना ने नष्ट कर दिया था. हम इस समय यह भी दावा कर सकते हैं कि यह ऑपरेशन सिंदूर और भारतीय सशस्त्र बलों के डर के कारण है कि वे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से खैबर पख्तूनख्वा और पेशावर जा रहे हैं. हालांकि, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लॉन्च पैड बने रहेंगे, क्योंकि इन लॉन्च पैड्स का इस्तेमाल वर्षों से भारत में घुसपैठ के लिए किया जाता रहा है. भारत की खुफिया एजेंसियां और सेना पाकिस्तान की सभी चालबाजियों पर नजर बनाए हुए हैं. अब देखना ये है कि भारत से दोस्ती का नया सिलसिला शुरू करने वाले चीन और अमेरिका क्या इसके बाद भी पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को जारी रखते हैं या उसे अलग-थलग करते हैं. वहीं भारत का रणनीतिक सहयोगी सऊदी अरब इस पर क्या रुख अपनाता है.

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