पाकिस्तान के कट्टरपंथी मौलाना सुफी मोहम्मद की मौत के कुछ घंटों बाद उसकी पत्नी की भी सदमे से मौत हो गई. जानकारी के मुताबिक प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन का प्रमुख 92 वर्षीय मोहम्मद लंबे समय से बीमार चल रहा था. गुरुवार को उसकी मौत हो गई. पुलिस ने यह जानकारी दी है. अफगानिस्तान में 2001 में अमेरिका नीत हमले के बाद मोहम्मद ने अंतरराष्ट्रीय बलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. मोहम्मद की पत्नी बरखाने बीबी उसकी मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई और बृहस्पतिवार देर रात उसने दम तोड़ दिया. बरखाने मोहम्मद की तीसरी पत्नी थी जिससे उसने दो पत्नियों की मौत के बाद शादी की थी. मोहम्मद तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के प्रमुख मौलाना फजलुल्लाह का ससुर था.
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मोहम्मद ने 1992 में पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करने के उद्देश्य से तहरीक-ए-नफ्ज-ए-शरीयत-ए-मोहम्मदी नाम के चरमपंथी संगठन की स्थापना की थी. इस चरमपंथी समूह ने 2007 में स्वात के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा कर लिया था. हालांकि तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ ने जनवरी, 2002 में इस संगठन पर पाबंदी लगा दी थी. मोहम्मद ने पाकिस्तान के संविधान को "गैर इस्लामिक" बताते हुए देश में शरीयत कानून लागू करने की मांग की थी. मलकंद क्षेत्र में आतंकियों के खिलाफ शुरू किए गए निर्णायक अभियान के दौरान उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. 2018 में स्वास्थ्य आधार पर मोहम्मद को जेल से रिहा कर दिया गया था. उसके खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए थे, हालांकि प्रत्येक केस में या तो गवाह की मौत हो गई या उसका पता नहीं लगाया जा सका.
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