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This Article is From Jun 22, 2012

शाही खानदान के अशरफ बने ‘लोकतांत्रिक राजा’

शाही खानदान के अशरफ बने ‘लोकतांत्रिक राजा’
इस्लामाबाद: भारतीय उपमहाद्वीप की सियासत में वफादारी लफ्ज की खासी अहमियत है और सियासत की बिसात पर मोहरे बिछाने वाले इसे बखूबी समझते हैं। इसी वफादारी को रावलपिंडी के शाही परिवार के बेटे राजा परवेश अशरफ ने बहुत पहले समझ लिया था। नतीजतन आज वह पाकिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार के ‘राजा’ बन गया।

सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की ओर से प्रधानमंत्री के नेता अशरफ को नेशनल असंबली ने देश का नया प्रधानमंत्री चुना। अशरफ अपनी पार्टी के नेता यूसुफ रजा गिलानी की जगह ले रहे है, जिन्होंने इसी वफादारी के चलते अपने प्रधानमंत्री जैसे रसूखदार पद को हंसते-हंसते गंवा दिया।
खैर, अब बारी नए ‘राजा’ की है, जो मरहूम बेनजीर भुट्टो के भी वफादार थे और अब उनके शौहर आसिफ अली जरदारी के भी हैं।

अशरफ रावलपिंडी के राज परिवार से ताल्लुक रखते हैं। पीपीपी के सह अध्यक्ष जरदारी की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए दूसरी पसंद थे, लेकिन पार्टी के उम्मीदवार मखदूम शहाबुद्दीन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद वह मुख्य उम्मीदवार बन गए।

शहाबुद्दीन के खिलाफ उनके स्वास्थ्य मंत्री के कार्यकाल में हुए एक घोटाले के सिलसिले में वारंट जारी हुआ। वहीं अशरफ भी बिजली परियोजनाओं में कथित भ्रष्टाचार को लेकर राष्ट्रीय जवाबदेही अदालत की जांच का सामना कर रहे हैं।

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