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PoK Protest: 12 लोगों की मौत, सैकड़ों घायल, चरम पर गुस्सा... PoK का नागरिक विद्रोह कहां तक जाएगा?

पीओके में जगह-जगह पर रास्ते रोकने करने से खाद्य, ईंधन और ज़रूरी चीज़ों की कमी हो गई है. आज हालत यह है कि कमेटी के नेताओं और पत्रकारों के खिलाफ केस दर्ज किए जा रहे हैं.

PoK Protest: 12 लोगों की मौत, सैकड़ों घायल, चरम पर गुस्सा... PoK का नागरिक विद्रोह कहां तक जाएगा?
PoK में लोगों का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है. सरकार के दमन के बाद भी लोग प्रदर्शन कर रहे हैं.
  • PoK में पानी, बिजली और टैक्स राहत की मांग को लेकर प्रदर्शन में पुलिस की गोलीबारी से 12 लोगों की मौत हुई है.
  • प्रदर्शनकारियों ने कई शहरों में सड़कें बंद कर दी हैं तथा सरकारी संपत्तियों को आग के हवाले किया है.
  • इंटरनेट और कॉलिंग सेवाएं पिछले 96 घंटे से बंद हैं, जिससे प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और बढ़ा है.
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PoK Protest: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में हालात विस्फोटक नजर आ रहा है. बीते कुछ दिनों में यहां पाकिस्तान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 12 लोगों की मौत पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में हो गई. जान गंवाने वाले लोगों का कसूर बस इतना है कि ये लोग पानी, बिजली, आटा-चावल जैसी बुनियादी चीजों में सब्सिडी, टैक्स में राहत जैसे मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद कर रहे थे. 12 लोगों की मौत के अलावा सुरक्षा बलों की फायरिंग में कई लोग घायल भी हैं. वहां पर मौजूदा हालात विस्फोटक बना हैं. हजारों प्रदर्शनकारी पाकिस्तान और पीओके की सीमा पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. कई जगहों पर गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वैन और बुलडोजर को आग के हवाले कर दिया है.

सेहंसा, अर्जा पुल, कोटली कस्बा में जबरदस्त उबाल

सेहंसा में तो नागरिक हत्याओं के विरोध मे बड़े पैमाने पर लोगों ने राज्य की संपत्तियों को निशाना बनाया. अर्जा पुल में प्रदर्शनकारियों ने नाकेबंदी कर दी है, जिससे वहां पर आवाजाही पूरी तरह ठप है. लोगों के अंदर प्रशासन को लेकर व्यापक असंतोष छलकने लगा है. वहीं कोटली कस्बा पूरी तरह से बंद रहा. राज्य की कार्रवाई के विरोध में दुकान और यातायात को लोगों ने पूरी तरह बंद रखा है.

पीओके में बंद रहे बाजार.

पीओके में बंद रहे बाजार.

ब्रिटेन में पाकिस्तान उच्चायोग के बाहर अनशन

पीओके के उन हिस्सों से भी लोग मुजफ्फराबाद पहुंच रहे हैं. इससे निपटने के लिये सेना और सरकार खुलकर दमन पर उतर आई हैं. पीओके में पाक सरकार की नीतियों के खिलाफ देश के बाहर भी आवाजें उठने लगी है. पीओके में इंटरनेट और कॉलिंग सेवाएं संस्पेंड किए जाने से ब्रिटेन में नाराज युवाओं ने पाकिस्तानी उच्चायोग के बाहर तंबू लगाकर अनशन शुरू कर दिया है.

पीओके में 96 घंटे से इंटरनेट बंद

इनका कहना है कि जब तक PoK में इंटरनेट और कॉलिंग सेवाएं बहाल नहीं की जाती, तब तक वे इन तंबुओं में अपना अनशन जारी रखेंगे. पिछले 96 घंटे से पूरे PoK में इंटरनेट बंद है. इसे लेकर लोगों में खासा गुस्सा है. ऐसे में अब यही लगता है कि PoK का यह विरोध-प्रर्दशन थमने वाला नहीं है. जिस तरह आम लोग खुलकर सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं उससे पाक सरकार की कलई खुलती जा रही है.

लोगों ने बुलडोजर में आग लगा दी.

लोगों ने बुलडोजर में आग लगा दी.

हम तुम्हारी मौत हैं, इंकलाब आएगा... नाराज लोगों के नारे में दिख रहा गुस्सा

पीओके के कई शहरों में संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी की अगुवाई में हजारों लोग पांच दिन से सड़कों पर डटे रहे. लोग नारे लगा रहे हैं – ‘हुक्मरानों देख लो, हम तुम्हारी मौत हैं…इंकलाब आएगा'. हर जगह बंद और जाम के हालात बने हुए हैं. दुकानें, बाज़ार, होटल और परिवहन ठप पड़े हैं. सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बीच इंटरनेट व मोबाइल सेवा को भी सरकार ने बंद कर रखा है ताकि आंदोलन का आकार और बड़ा न हो सके.

पीओके में प्रदर्शन में शामिल स्थानीय लोग.

पीओके में प्रदर्शन में शामिल स्थानीय लोग.

सरकार से दूसरे दौर की बातचीत के बाद भी सहमति नहीं

इन सब के बीच शाहबाज शरीफ के सलाहकारों और अवामी एक्शन कमेटी के सदस्यों के बीच दूसरे दौर की बातचीत भी हुई लेकिन अभी तक कोई आपसी सहमति नहीं बन पाई है. शहबाज शरीफ की सरकार में पाकिस्तान के संसदीय मामलों के संघीय मंत्री चौधरी तारिक़ फजल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा- पाकिस्तान सरकार कश्मीरी के हित में की गई मांगों को स्वीकार करती है. लेकिन कुछ मांगों के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता है और उन पर चर्चा चल रही है. उन्होंने आवामी एक्शन कमेटी से बातचीत जारी रखने की अपील करते हुए कहा कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है.

एक्शन कमेटी ने इंटरनेशनल मीडिया और संगठनों से लगाई गुहार

उधर जम्मू कश्मीर संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी के सदस्य सरदार उमर नजीर कश्मीरी ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया और वैश्विक मानवाधिकार संगठनों से पीओके में जारी संकट पर फौरन ध्यान देने की अपील की है. नज़ीर ने कहा कि सुरक्षा बलों की अंधाधुंध गोलीबारी से निहत्थे नागरिक मारे गए और सैकड़ों घायल हुए हैं.

पीओके में जगह-जगह पर रास्ते रोकने करने से खाद्य, ईंधन और ज़रूरी चीज़ों की कमी हो गई है. आज हालत यह है कि कमेटी के नेताओं और पत्रकारों के खिलाफ केस दर्ज किए जा रहे हैं.

खाने-पीने की चीजें, ईंधन महंगी, मुश्किल में लोगों का जीवन

वैसे भी पाकिस्तान में जारी आर्थिक संकट का सबसे बुरा असर पीओके पर पड़ा है. खाने-पीने की जरूरी चीजें, ईंधन और बिजली जैसी आम मूलभूत ज़रूरतों की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं, जिससे आम लोगों का जीवन मुश्किल हो गया है. कहने को पीओके में बिजली का उत्पादन बहुत ज़्यादा होता है, फिर भी लोकल लोगों को बहुत महंगी दामों पर बिजली खरीदनी पड़ती है.

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महंगी बिजली से और भड़क रहा गुस्सा

यह ऐसा मुद्दा है जिसने जनता के गुस्से को और भड़काया है. जनता को लगता है कि पाकिस्तानी सरकार पीओके के संसाधनों का शोषण कर रही है. पीओके के लोगों को लंबे समय से उनके मौलिक अधिकारों से वंचित रखा गया है. विरोध प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों की दमनकारी कार्रवाई ने जनता के गुस्से को भड़का दिया है.

बड़ा तबका भारत के साथ जुड़ने को इच्छुक

भले ही पाकिस्तान इस बात को इस बात को ना माने पर हकीकत यह है कि पीओके तेजी से एक गंभीर राजनीतिक-नागरिक संकट की ओर बढ़ रहा है. यही वजह है कि पाकिस्तान सरकार के रवैये से नाराज होकर एक बड़ा तबका भारत से जुड़ना चाहता है. तभी तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कह चुके है कि पीओके के लोग खुद आगे आकर भारत मे मिल जाएंगे.

यह भी पढ़ें - 'PoK में प्रदर्शन के लिए पाकिस्तान की दमनकारी नीति जिम्मेदार', भारत ने पड़ोसी को जमकर सुनाया

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