PoK Power Structure: पाक अधिकृत कश्मीर यानी पीओके का नाम आप अक्सर ही सुनते होंगे. कई बार भारत में इसे वापस लेने की मांग उठती है. यह जम्मू और कश्मीर (भारत) का वह हिस्सा है, जिसे पाकिस्तान ने 1947 में अपने कब्जे में ले लिया था. लेकिन एक बड़ा सवाल हमेशा लोगों के मन में रहता है कि जब PoK पाकिस्तान के कब्जे में है, तो वहां अपना अलग प्रधानमंत्री क्यों होता है. वहां असल में किसकी चलती है. चलिए आसान भाषा में समझते हैं.
PoK पाकिस्तान के कब्जे में, लेकिन उसका हिस्सा नहीं
1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया और जो हिस्सा उसने हथिया लिया, वही आज PoK कहलाता है. लेकिन पाकिस्तान इसे पकड़े रहने के बावजूद इसे अपने संविधान में 'हिस्सा' नहीं मानता है. पाकिस्तान के संविधान में चार प्रांत गिनाए गए हैं, जिनमें पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा तो उसके हिस्से हैं लेकिन पीओके का जिक्र तक नहीं है. यानी पाकिस्तान खुद भी आधिकारिक रूप से इसे अपना हिस्सा नहीं मानता, लेकिन कंट्रोल पूरी तरह उसी का चलता है.
PoK में अलग प्रधानमंत्री क्यों होता है
PoK करीब 13,000 वर्ग किलोमीटर में फैला इलाका है और यहां 40 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं. यहां का पूरा पॉलिटिकल सिस्टम पाकिस्तान से अलग बनाया गया है. इसमें अपना प्रधानमंत्री, अपना राष्ट्रपति, अलग विधानसभा, अपनी पुलिस और अपनी जुडिशियरी है. मौजूदा समय में यहां के प्रधानमंत्री चौधरी अनवर-उल-हक हैं. यह सिस्टम बाहर से देखकर 'आजाद' लगता है, लेकिन असलियत कुछ और है.
PoK में किसकी सरकार चलती है
पाकिस्तान दावा करता है कि PoK 'आजाद' है यानी खुद अपने फैसले लेता है, लेकिन ग्राउंड पर कहानी उलट है. पीओके की राजनीति पर पाकिस्तान की दखलंदाजी के आरोप हमेशा से लगते आए हैं. जैसे कौन चुनाव लड़ेगा, यह पाकिस्तान तय करता है. कौन प्रधानमंत्री बनेगा, यह भी वही सेट करता है. पीओके की सरकार में वही नेता टिकते हैं, जो पाकिस्तान के सपोर्ट में हों. यानी नाम भले पीओके सरकार हो लेकिन रीमोट कंट्रोल इस्लामाबाद के पास रहता है.
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