भारत और पाकिस्तान के बीच विदेश सचिव स्तर की बातचीत टल गई है। पाकिस्तान ने इसके लिए 15 जनवरी की तारीख का प्रस्ताव रखा था, लेकिन अब पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने ही ऐलान किया है कि बातचीत 15 जनवरी को नहीं होगी। बातचीत की नई तारीख के लिए दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच आपस में सलाह-मशविरा चल रहा है।
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने आतंकवादी मौलाना मसूद अज़हर की गिरफ्तारी को लेकर किसी भी जानकारी से इंकार किया है। बुधवार को पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से अज़हर को हिरासत में लिए जाने की ख़बर आई थी, लेकिन पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने इसकी आधिकारिक पुष्टि से इंकार कर दिया।
पहले से थी बातचीत टलने की आशंका
पठानकोट हमले के बाद से ही आशंका जताई जा रही थी कि विदेश सचिवों के बीच की बातचीत पाकिस्तान के प्रस्ताव के मुताबिक 15 जनवरी को शायद न हो पाए। हमले के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया था कि पाकिस्तान के साथ बातचीत तभी होगी, जब पाकिस्तान ज़मीन पर ठोस कदम उठाएगा और पठानकोट के हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने भी फोन पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बात का भरोसा दिलाया था।
बुधवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में जैश-ए-मोहम्मद के कई लोगों के पकड़े जाने और कई दफ्तरों को सील किए जाने का दावा किया गया। इसमें एक बार फिर भरोसा दिया गया कि पाकिस्तान अपनी ज़मीन का इस्तेमाल आतंकी कार्रवाइयों के लिए नहीं होने देगा। बुधवार देर रात विदेशमंत्री सुषमा स्वराज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गईं तो भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों के बीच बातचीत पर चर्चा का आधार पाकिस्तान की तरफ से आया यही बयान था।
भारत ने क्यों नहीं किया वार्ता टालने का ऐलान...?
भारत के सरकारी सूत्र पहले ही साफ कर चुके थे कि मसूद अज़हर की ग़िरफ्तारी से जुड़ी कोई सूचना पाकिस्तान की सरकार की तरफ से उन्हें नहीं दी गई है, लिहाज़ा इस पर भरोसा करना ठीक नहीं। भारत ने अपनी तरफ से बातचीत को टाले जाने का ऐलान दो वजहों से नहीं किया। एक तो भारत ने कभी 15 तारीख को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की थी, और दूसरा, वह नहीं चाहता था कि भारत की तरफ से बातचीत को टाले जाने को मसूद अज़हर के खिलाफ कार्रवाई न होने से जोड़कर देखा जाए।
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने आतंकवादी मौलाना मसूद अज़हर की गिरफ्तारी को लेकर किसी भी जानकारी से इंकार किया है। बुधवार को पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से अज़हर को हिरासत में लिए जाने की ख़बर आई थी, लेकिन पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने इसकी आधिकारिक पुष्टि से इंकार कर दिया।
पहले से थी बातचीत टलने की आशंका
पठानकोट हमले के बाद से ही आशंका जताई जा रही थी कि विदेश सचिवों के बीच की बातचीत पाकिस्तान के प्रस्ताव के मुताबिक 15 जनवरी को शायद न हो पाए। हमले के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया था कि पाकिस्तान के साथ बातचीत तभी होगी, जब पाकिस्तान ज़मीन पर ठोस कदम उठाएगा और पठानकोट के हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने भी फोन पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बात का भरोसा दिलाया था।
बुधवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में जैश-ए-मोहम्मद के कई लोगों के पकड़े जाने और कई दफ्तरों को सील किए जाने का दावा किया गया। इसमें एक बार फिर भरोसा दिया गया कि पाकिस्तान अपनी ज़मीन का इस्तेमाल आतंकी कार्रवाइयों के लिए नहीं होने देगा। बुधवार देर रात विदेशमंत्री सुषमा स्वराज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गईं तो भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों के बीच बातचीत पर चर्चा का आधार पाकिस्तान की तरफ से आया यही बयान था।
भारत ने क्यों नहीं किया वार्ता टालने का ऐलान...?
भारत के सरकारी सूत्र पहले ही साफ कर चुके थे कि मसूद अज़हर की ग़िरफ्तारी से जुड़ी कोई सूचना पाकिस्तान की सरकार की तरफ से उन्हें नहीं दी गई है, लिहाज़ा इस पर भरोसा करना ठीक नहीं। भारत ने अपनी तरफ से बातचीत को टाले जाने का ऐलान दो वजहों से नहीं किया। एक तो भारत ने कभी 15 तारीख को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की थी, और दूसरा, वह नहीं चाहता था कि भारत की तरफ से बातचीत को टाले जाने को मसूद अज़हर के खिलाफ कार्रवाई न होने से जोड़कर देखा जाए।
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