पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार का फाइल फोटो...
इस्लामाबाद:
पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने कहा है कि पाकिस्तान युद्ध के जरिए कश्मीर 'कभी नहीं जीत सकता'। उन्होंने यह भी कहा कि द्विपक्षीय मुद्दे 'शत्रुतापूर्ण माहौल' में नहीं सुलझाए जा सकते।
पाकिस्तानी टीवी चैनल जियो न्यूज से बातचीत में खार ने कहा, 'मेरा मानना है कि पाकिस्तान युद्ध के जरिए कश्मीर कभी नहीं जीत सकता और यदि हम वह नहीं कर सकते तो हमारे पास बातचीत ही एकमात्र विकल्प है। किसी ऐसे साझेदार के साथ ही बातचीत आगे बढ़ सकती है, जिसके साथ हमारे रिश्ते सामान्य हों और एक हद तक आपसी विश्वास हो।' खार ने दावा किया कि 'गठबंधन सरकार के बावजूद पिछली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) सरकार ने वीजा नियमों में रियायत देकर और व्यापारिक रिश्तों को सामान्य बनाकर भारत के साथ संबंधों को सामान्य करने की बेहतरीन कोशिश की थी।'
पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि नवाज शरीफ की मौजूदा सरकार बहुत कुछ कर सकती है, क्योंकि उसके पास बहुमत है।
38 साल की पीपीपी नेता ने कहा, 'शत्रुतापूर्ण माहौल में दोनों देशों के बीच के मसले नहीं सुलझाए जा सकते।' साल 2011 से 2013 तक पाकिस्तान की विदेश मंत्री रहीं खार ने कहा कि कश्मीर मुद्दा तभी सुलझाया जा सकता है 'यदि हम इस मुद्दे पर बातचीत जारी रखें, तब हम कहीं पहुंचेंगे।' पाकिस्तान की विदेश नीति पर सेना के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर खार ने कहा कि ऐसे मुद्दों पर सेना के नजरिए का ख्याल रखना एक राजनयिक का फर्ज है, जिनमें सेना एक अहम हितधारक है।
खार ने कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि यह मुद्दा तभी सुलझाया जा सकता है 'यदि भारत में भाजपा की सरकार हो और पाकिस्तान में एक सैन्य सरकार हो।' उन्होंने कहा कि यह एक तथ्य है कि सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ने अपने कार्यकाल के दौरान कश्मीर मुद्दे पर भारत को काफी रियायत दी।
पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों में हाल के दिनों में आई गिरावट और अमेरिका का भारत की तरफ झुकाव के बारे में पूछे जाने पर पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था, बाजार और चीन की बढ़ती ताकत को नियंत्रित करने की इच्छा के तहत अमेरिका का झुकाव भारत की तरफ हुआ है।
खार ने कहा, 'अब हमें खुद से सवाल करना चाहिए कि क्या अमेरिका भारत की तरफ इसलिए बढ़ रहा है, क्योंकि भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र है...या क्योंकि यह एक सैन्य शक्ति है...नहीं यह लोगों की ताकत और उनकी लोकतांत्रिक परंपराएं हैं... यदि हम प्रतिस्पर्धा करना चाहते हैं तो हमें इन आधारों पर प्रतिस्पर्धा करना चाहिए।' पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की मौजूदा विदेश नीति 'प्रतिक्रियावादी है और सक्रिय नहीं है', क्योंकि पाकिस्तान अपनी लाइन या दिशा पर नहीं चल रहा, बल्कि वह क्षेत्र या विश्व में पैदा होने वाले हालात पर सिर्फ प्रतिक्रिया कर रहा है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पाकिस्तानी टीवी चैनल जियो न्यूज से बातचीत में खार ने कहा, 'मेरा मानना है कि पाकिस्तान युद्ध के जरिए कश्मीर कभी नहीं जीत सकता और यदि हम वह नहीं कर सकते तो हमारे पास बातचीत ही एकमात्र विकल्प है। किसी ऐसे साझेदार के साथ ही बातचीत आगे बढ़ सकती है, जिसके साथ हमारे रिश्ते सामान्य हों और एक हद तक आपसी विश्वास हो।' खार ने दावा किया कि 'गठबंधन सरकार के बावजूद पिछली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) सरकार ने वीजा नियमों में रियायत देकर और व्यापारिक रिश्तों को सामान्य बनाकर भारत के साथ संबंधों को सामान्य करने की बेहतरीन कोशिश की थी।'
पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि नवाज शरीफ की मौजूदा सरकार बहुत कुछ कर सकती है, क्योंकि उसके पास बहुमत है।
38 साल की पीपीपी नेता ने कहा, 'शत्रुतापूर्ण माहौल में दोनों देशों के बीच के मसले नहीं सुलझाए जा सकते।' साल 2011 से 2013 तक पाकिस्तान की विदेश मंत्री रहीं खार ने कहा कि कश्मीर मुद्दा तभी सुलझाया जा सकता है 'यदि हम इस मुद्दे पर बातचीत जारी रखें, तब हम कहीं पहुंचेंगे।' पाकिस्तान की विदेश नीति पर सेना के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर खार ने कहा कि ऐसे मुद्दों पर सेना के नजरिए का ख्याल रखना एक राजनयिक का फर्ज है, जिनमें सेना एक अहम हितधारक है।
खार ने कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि यह मुद्दा तभी सुलझाया जा सकता है 'यदि भारत में भाजपा की सरकार हो और पाकिस्तान में एक सैन्य सरकार हो।' उन्होंने कहा कि यह एक तथ्य है कि सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ने अपने कार्यकाल के दौरान कश्मीर मुद्दे पर भारत को काफी रियायत दी।
पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों में हाल के दिनों में आई गिरावट और अमेरिका का भारत की तरफ झुकाव के बारे में पूछे जाने पर पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था, बाजार और चीन की बढ़ती ताकत को नियंत्रित करने की इच्छा के तहत अमेरिका का झुकाव भारत की तरफ हुआ है।
खार ने कहा, 'अब हमें खुद से सवाल करना चाहिए कि क्या अमेरिका भारत की तरफ इसलिए बढ़ रहा है, क्योंकि भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र है...या क्योंकि यह एक सैन्य शक्ति है...नहीं यह लोगों की ताकत और उनकी लोकतांत्रिक परंपराएं हैं... यदि हम प्रतिस्पर्धा करना चाहते हैं तो हमें इन आधारों पर प्रतिस्पर्धा करना चाहिए।' पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की मौजूदा विदेश नीति 'प्रतिक्रियावादी है और सक्रिय नहीं है', क्योंकि पाकिस्तान अपनी लाइन या दिशा पर नहीं चल रहा, बल्कि वह क्षेत्र या विश्व में पैदा होने वाले हालात पर सिर्फ प्रतिक्रिया कर रहा है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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