
Operation Sindoor: आतंकवाद के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने का आह्वान करते हुए, इजरायल में भारत के राजदूत जेपी सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान के खिलाफ भारत का ऑपरेशन सिंदूर "रुका" है, "खत्म नहीं" हुआ. उन्होंने मांग की कि जैसे अमेरिका ने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंडों में से एक- तहव्वुर हुसैन राणा को भारत को सौंप दिया है, उसी तरह पाकिस्तान अपने यहां रह रहे प्रमुख आतंकवादी हाफिज सईद, साजिद मीर और जकीउर रहमान लखवी को भारत को सौंप देना चाहिए.
पूर्व में पाकिस्तान में भी काम कर चुके डिप्लोमेट जेपी सिंह ने सोमवार, 19 मई को एक इजरायली टीवी चैनल i24 को इंटरव्यू दिया. इसमें भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन शुरू में पाकिस्तान में आतंकवादी समूहों के खिलाफ था. भारतीय राजदूत ने 22 अप्रैल के पहलगाम हमले का हवाला देते हुए कहा, "आतंकवादियों ने लोगों को उनके धर्म के आधार पर मार डाला. उन्होंने लोगों को मारने से पहले उनका धर्म पूछा और 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई."
यह पूछे जाने पर कि क्या दोनों देशों के बीच सीजफायर जारी है और क्या यह भारत के लिए 'मामले का अंत' है, जेपी सिंह ने साफ-साफ जवाब देते हुए कहा कि "सीजफायर अभी भी कायम है लेकिन हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि ऑपरेशन सिंदूर रुका हुआ है, यह अभी खत्म नहीं हुआ है".
उन्होंने कहा, "आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी. हमने एक नया सामान्य स्थापित (न्यू नॉर्मल) किया है और नया सामान्य यह है कि हम एक आक्रामक रणनीति का पालन करेंगे. जहां भी आतंकवादी हों, हमें उन आतंकवादियों को मारना होगा और हमें उनके बुनियादी ढांचे को नष्ट करना होगा. इसलिए यह अभी भी खत्म नहीं हुआ है लेकिन जैसा कि हम कहते हैं, सीजफायर अभी भी बरकरार है."
10 मई की सुबह नूर खान बेस पर भारत के हमले को गेम चेंजर बताते हुए जेपी सिंह ने कहा कि इससे पाकिस्तान में दहशत फैल गई और उनके डीजीएमओ ने सीजफायर की मांग करते हुए अपने भारतीय समकक्ष से संपर्क किया.
सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित करने को पाकिस्तान ने "युद्ध की कार्रवाई" बताया है. इससे जुड़े एक सवाल पर भारतीय दूत ने कहा कि संधि को निर्देशित करने वाले दो प्रमुख शब्दों का कभी सम्मान नहीं किया गया और इसके विपरीत भारत हमेशा पाकिस्तान से होने वाले आतंकवादी हमलों के खिलाफ जूझ रहा है.
जेपी सिंह ने कहा, "IWT पर 1960 में हस्ताक्षर किए गए थे और संधि की प्रस्तावना में दो प्रमुख शब्द शामिल हैं - सद्भावना और मित्रता... पिछले कई वर्षों में हमने जो देखा है (वह यह है कि) हम पानी को बहने दे रहे थे और पाकिस्तान क्या कर रहा था - वे भारतीय सीमा पर आतंकी (हमलों) को अनुमति दे रहे थे."
"आतंकवाद रुकना चाहिए", भारतीय राजदूत ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की संधि लागू होनी चाहिए और पाकिस्तान को सीमा पार आतंकवाद रोकना चाहिए. भारत में पाकिस्तान से शुरू हुए आतंकी हमलों की एक लंबी लिस्ट का हवाला देते हुए जेपी सिंह ने कहा कि "मूल कारण ये दो समूह हैं - जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा".
उन्होंने कहा कि मुंबई हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा के नेता खुलेआम घूम रहे हैं, जिसमें कई यहूदी भी मारे गए थे. राजदूत जेपी सिंह ने जोर देकर कहा, "उन्हें एक बहुत ही सरल चीज करने की जरूरत है - जब प्रस्तावना में सद्भावना और दोस्ती शामिल है, तो उन्हें बस इन आतंकवादियों को हमें सौंपने की जरूरत है."
उन्होंने कहा कि हाल ही में अमेरिका ने मुंबई हमले में शामिल तहव्वुर हुसैन राणा को प्रत्यर्पित किया था. इसी से सीखकर इस्लामाबाद भी ऐसा कर सकता है. उन्होंने जोर देकर कहा, "जब अमेरिका इन दोषियों को सौंप सकता है, तो पाकिस्तान क्यों नहीं सौंप सकता? उन्हें बस हफीज सईद, लखवी, साजिद मीर को सौंपना होगा और चीजें खत्म हो जाएंगी."
यह तर्क देते हुए कि आतंकवाद एक वैश्विक खतरा है, भारतीय दूत ने चुनौती का सामना कर रहे देशों के बीच अधिक सहयोग का आह्वान किया.
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