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शह-मात का खेल... सेना प्रमुख ने बताया, सर्जिकल स्‍ट्राइक और बालाकोट से कैसे अलग था ऑपरेशन सिंदूर

उरी हमला जमीन पर की गई एक रणनीति वाली सर्जिकल स्ट्राइक थी. बालाकोट 1971 के बाद पहली हवाई कार्रवाई थी. वहीं 'ऑपरेशन सिंदूर' में तीनों सेनाओं की ताकत और मानवरहित सिस्‍टम्‍स का एक साथ, लंबे समय तक चलने वाला हमला देखने को मिला.

शह-मात का खेल... सेना प्रमुख ने बताया, सर्जिकल स्‍ट्राइक और बालाकोट से कैसे अलग था ऑपरेशन सिंदूर
  • ऑपरेशन सिंदूर, सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक से अधिक व्यापक और रणनीतिक रूप से जटिल मिशन था.
  • आर्मी चीफ ने बताया कि ये ग्रे जोन मिशन था जिसमें सटीकता, गहराई और संयुक्त सैन्य प्रयासों से कार्रवाई की गई थी.
  • थलसेना, वायुसेना और नौसेना की संयुक्त रणनीति से यह बहुआयामी मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया गया था.
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Operation Sindoor: वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह के बाद थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी ऑपरेशन सिंदूर के बारे में कई बड़े खुलासे किए. जनरल द्विवेदी की बातों से यह समझना आसान हो जाता है कि यह अभियान उरी हमले के बाद किए गए सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा हमले के बाद किए गए बालाकोट एयर स्ट्राइक से किस तरह अलग और ज्‍यादा जटिल था. ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सैन्य इतिहास में इन दोनों ऑपरेशंस से कहीं अधिक व्यापक, तकनीकी और रणनीतिक रूप से जटिल मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है. जनरल द्विवेदी के शब्दों में ये एक ऐसा 'ग्रे जोन' मिशन था, जिसमें सटीकता, गहराई, और संयुक्त सैन्य प्रयासों ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक और सुनियोजित जवाबी कार्रवाई पेश की. 

ये अभियान न केवल आतंकवाद को नुकसान पहुंचाने में सफल रहा, बल्कि भारतीय सुरक्षा तंत्र की ताकत और तत्परता का प्रतीक भी बना. उरी के बाद किया गया ऑपरेशन जमीन पर की गई एक रणनीति वाली सर्जिकल स्ट्राइक था. बालाकोट 1971 के बाद पहली हवाई कार्रवाई थी. वहीं 'ऑपरेशन सिंदूर' में तीनों सेनाओं की ताकत और मानवरहित सिस्‍टम्‍स का एक साथ, लंबे समय तक चलने वाला हमला देखने को मिला.

आइए समझने की कोशिश करते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर क्‍यों रणनीतिक तौर पर महत्‍वपूर्ण था और ये ऑपरेशन किन मायनों में अलग था.  

पारंपरिक से हटकर एक 'ग्रे जोन' मिशन

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर पारंपरिक सैन्य मिशनों से बिल्कुल अलग था. उन्होंने इसे एक 'शतरंज की बाजी' की तरह बताया, जहां ऑपरेटर्स को नहीं पता था कि दुश्मन की अगली चाल क्या होगी. ऐसा मिशन जिसे वो 'ग्रे जोन ऑपरेशन' कहते हैं, जो पारंपरिक रूप से हवाई या जमीन के सीधे हमलों से हटकर होता है. इसमें खतरे और अनिश्चितता अधिक होती है, क्योंकि हर कदम पर जटिल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है.

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रणनीतिक गहराई और विस्तार

उरी के बाद सर्जिकल स्‍ट्राइक(2016) और बालाकोट एयर स्‍ट्राइक (2019) सीमित दायरे में थे, जहां भारतीय सेना ने छोटे भू-भागों या व्यापक रूप से पाकिस्तान के कब्जे वाले सीमावर्ती क्षेत्रों को निशाना बनाया, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर एक ऐसा मिशन था जिसमें भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों को 150 किलोमीटर की गहराई तक निशाना बनाया. इस अभियान में पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र में भी पांच और पीओके में चार प्रमुख आतंकी कैंपों पर हमला शामिल था. ये गहराई और विस्तार भारत के सैन्य अभियानों में एक नया अध्‍याय साबित हुआ.  

प्रीसिजन स्ट्राइक वेपन सिस्टम 

ऑपरेशन सिंदूर में जमीनी कमांडो की बजाय भारतीय वायुसेना ने उन्नत प्रीसिजन स्ट्राइक वेपन सिस्टम का इस्तेमाल किया. इस प्रणाली ने लक्ष्यों को सटीक निशाना बनाने में मदद की, जिससे पास-पड़ोसी इलाकों या निर्दोष नागरिकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. ये युद्ध में तकनीक और हिट-एंड-रन जैसे उन्नत हथियारों के संयोजन की एक मिसाल है, जो उरी के बाद सर्जिकल स्‍ट्राइक और पुलवामा हमले के बाद हुए बालाकोट ऑपरेशन में सीमित था.

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तीनों सेनाओं का संयुक्त मिशन

उरी सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक में संचालन ज्यादातर थलसेना या वायुसेना ने किया था, जबकि ऑपरेशन सिंदूर में थलसेना, वायुसेना और नौसेना की संयुक्त रणनीति से जटिल मिशन पूर्ण किया गया. यह समन्वय के साथ किया गया बहुआयामी हमला था, जिसमें हवाई हमलों के साथ क्षेत्रीय नियंत्रण के लिए थलसेना की भूमिका भी अहम रही.

नापाक मुल्‍क ने स्‍वीकारी हार 

पिछले अभियानों में पाकिस्तान ने हमलों को स्वीकार नहीं किया था या होशियारी से आरोपों से मुकर जाता था. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने खुद इस हमले की पुष्टि की, साथ ही इस हमले में कई आतंकवादियों के मारे जाने की बात भी मानी. पाकिस्‍तान को लगे इस मानसिक और सैन्य झटके ने भारत की ताकत और जवाबदेही को एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया.

राजनीतिक स्‍तर पर मिली थी खुली छूट 

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने स्‍पष्‍ट किया कि 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद रक्षा मंत्रालय से उन्‍हें खुली छूट दी गई थी. आईआईटी-मद्रास में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए उन्‍होंने पहलगाम हमले के जवाब में आतंकी ढांचे को निशाना बनाकर मई में की गई भारत की निर्णायक सैन्य कार्रवाई की जटिलताओं को याद किया. 

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने 26 निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या कर दी. अगले दिन 23 अप्रैल को रक्षा मंत्री और तीनों सेना प्रमुखों की बैठक हुई, जहां यह साफ संदेश दिया गया. अब बहुत हो गया. पहली बार सेनाओं को राजनीतिक स्तर पर इतनी स्पष्टता और खुली छूट दी गई.  जनरल द्विवेदी के मुताबिक, 'हमें फ्री हैंड मिला कि जो करना है, हम तय करें.'

इस ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया कि भारत अब पारंपरिक सीमाओं को पार कर नई रणनीतियों और तकनीकों के साथ अपने शत्रुओं को प्रभावी तौर पर चुनौती दे सकता है.  

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