इस्लामाबाद:
पाकिस्तान में कद्दावर लोगों के भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने में नाकाम रहने को लेकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के मद्देनजर सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं ने गुरुवार को संसद का आपात सत्र बुलाने का फैसला किया है।
राष्ट्रपति आवास में मंगलवार देर रात राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की संयुक्त अध्यक्षता में हुई एक बैठक में यह फैसला किया गया। राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता फरहतुल्ला बाबर ने कहा, ‘‘पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी नीत सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल पार्टियों के प्रमुखों ने प्रस्ताव किया कि नेशनल असेंबली (निचला सदन) का एक आपात सत्र बुलाया जाए, ताकि हालिया राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हो सके।’’ बाबर ने बताया कि नेता इस बात पर सहमत हुए कि नेशनल असेंबली का सत्र बृहस्पतिवार को शाम चार बजे बुलाया जाए।
उन्होंने कहा कि नेताओं ने मौजूदा राजनीतिक हालात और हालिया घटनाक्रमों के बारे में चर्चा की। बाबर ने कहा, ‘‘नेशनल असेंबली का सत्र शुरू होने से पहले संसद भवन में संसदीय दलों की एक संयुक्त बैठक होगी, ताकि निचले सदन के सत्र के दौरान अपनाई जाने वाली रणनीति पर विचार-विमर्श किया जा सके।’’
बैठक में पीएमएल क्यू प्रमुख चौधरी शुजात हुसैन, अवामी नेशनल पार्टी के नेता असफंदयार वली खान, मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट के वरिष्ठ नेता फारूक सत्तार और पीपीपी के नेताओं में खुर्शीद शाह, बाबर अवान तथा राजा परवेज अशरफ शामिल थे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बाद राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने कराची की एक यात्रा की अवधि में कटौती कर दी और आनन-फानन में राजधानी पहुंच गए।
गौरतलब है कि शीर्ष न्यायालय ने चेतावनी दी है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने के एक अदालती आदेश का पालन करने में नाकाम रहे हैं। पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ द्वारा 2007 में भ्रष्टाचार के मामले में आम माफी दिए जाने के तहत इन मामलों को बंद कर दिया गया था। हालांकि, दिसंबर 2009 में इस आम माफी को शीर्ष न्यायालय ने रद्द कर दिया था। तभी से न्यायालय इस आम माफी से लाभान्वित जरदारी और 8,000 से अधिक लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले खोलने के लिए दबाव डाल रहा है।
राष्ट्रपति आवास में मंगलवार देर रात राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की संयुक्त अध्यक्षता में हुई एक बैठक में यह फैसला किया गया। राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता फरहतुल्ला बाबर ने कहा, ‘‘पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी नीत सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल पार्टियों के प्रमुखों ने प्रस्ताव किया कि नेशनल असेंबली (निचला सदन) का एक आपात सत्र बुलाया जाए, ताकि हालिया राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हो सके।’’ बाबर ने बताया कि नेता इस बात पर सहमत हुए कि नेशनल असेंबली का सत्र बृहस्पतिवार को शाम चार बजे बुलाया जाए।
उन्होंने कहा कि नेताओं ने मौजूदा राजनीतिक हालात और हालिया घटनाक्रमों के बारे में चर्चा की। बाबर ने कहा, ‘‘नेशनल असेंबली का सत्र शुरू होने से पहले संसद भवन में संसदीय दलों की एक संयुक्त बैठक होगी, ताकि निचले सदन के सत्र के दौरान अपनाई जाने वाली रणनीति पर विचार-विमर्श किया जा सके।’’
बैठक में पीएमएल क्यू प्रमुख चौधरी शुजात हुसैन, अवामी नेशनल पार्टी के नेता असफंदयार वली खान, मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट के वरिष्ठ नेता फारूक सत्तार और पीपीपी के नेताओं में खुर्शीद शाह, बाबर अवान तथा राजा परवेज अशरफ शामिल थे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बाद राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने कराची की एक यात्रा की अवधि में कटौती कर दी और आनन-फानन में राजधानी पहुंच गए।
गौरतलब है कि शीर्ष न्यायालय ने चेतावनी दी है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने के एक अदालती आदेश का पालन करने में नाकाम रहे हैं। पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ द्वारा 2007 में भ्रष्टाचार के मामले में आम माफी दिए जाने के तहत इन मामलों को बंद कर दिया गया था। हालांकि, दिसंबर 2009 में इस आम माफी को शीर्ष न्यायालय ने रद्द कर दिया था। तभी से न्यायालय इस आम माफी से लाभान्वित जरदारी और 8,000 से अधिक लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले खोलने के लिए दबाव डाल रहा है।
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