1953 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की ताजपोशी के दौरान हीरा उनके ताज का हिस्सा बना
लाहौर:
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से कोहिनूर वापस पाकिस्तान लाने के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग करते हुए दायर याचिका को वहां की अदालत ने स्वीकार कर लिया है। भारत भी इस मशहूर हीरे को ब्रिटेन से वापस लाने की वर्षों से कोशिशें कर रहा है।
लाहौर हाईकोर्ट के न्यायाधीश खालिद महमूद खान ने याचिका पर अदालत के रजिस्ट्रार ऑफिस की आपत्तियों को खारिज कर दिया, जिसमें महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और पाकिस्तान में ब्रिटेन के उच्चायुक्त को प्रतिवादी बनाया गया है।
बैरिस्टर जावेद इकबाल की तरफ से दायर याचिका में 105 कैरेट के हीरे पर पाकिस्तान का दावा इस आधार पर किया गया है कि यह उस स्थान का था जो 1947 में पाकिस्तान बना था। अदालत ने निर्देश दिया कि याचिका को सुनवाई के लिए किसी उपयुक्त पीठ के समक्ष भेजा जाए।
पिछले साल दिसम्बर में रजिस्ट्रार के कार्यालय ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया था कि यह विचारणीय नहीं है और कहा कि अदालत के पास ब्रिटेन की महारानी के खिलाफ मामले की सुनवाई करने का अधिकार नहीं है।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में फिर से याचिका दायर कर आग्रह किया कि ब्रिटेन में हर मामले के लिए महारानी जवाबदेह हैं। उन्होंने अदालत से कहा, 'उन्हें पाकिस्तान में क्यों नहीं जवाबदेह बनाया जा सकता?' याचिका में जाफरी ने तर्क दिया कि ब्रिटेन ने 'जबरन और दबाव में' महाराजा रणजीत सिंह के पोते दिलीप सिंह से हीरे को चुरा लिया और अपने देश ले गया। उन्होंने कहा, '1953 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की ताजपोशी के दौरान हीरा उनके ताज का हिस्सा बना। महारानी एलिजाबेथ का कोहिनूर हीरा पर कोई अधिकार नहीं है।'
लाहौर हाईकोर्ट के न्यायाधीश खालिद महमूद खान ने याचिका पर अदालत के रजिस्ट्रार ऑफिस की आपत्तियों को खारिज कर दिया, जिसमें महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और पाकिस्तान में ब्रिटेन के उच्चायुक्त को प्रतिवादी बनाया गया है।
बैरिस्टर जावेद इकबाल की तरफ से दायर याचिका में 105 कैरेट के हीरे पर पाकिस्तान का दावा इस आधार पर किया गया है कि यह उस स्थान का था जो 1947 में पाकिस्तान बना था। अदालत ने निर्देश दिया कि याचिका को सुनवाई के लिए किसी उपयुक्त पीठ के समक्ष भेजा जाए।
पिछले साल दिसम्बर में रजिस्ट्रार के कार्यालय ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया था कि यह विचारणीय नहीं है और कहा कि अदालत के पास ब्रिटेन की महारानी के खिलाफ मामले की सुनवाई करने का अधिकार नहीं है।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में फिर से याचिका दायर कर आग्रह किया कि ब्रिटेन में हर मामले के लिए महारानी जवाबदेह हैं। उन्होंने अदालत से कहा, 'उन्हें पाकिस्तान में क्यों नहीं जवाबदेह बनाया जा सकता?' याचिका में जाफरी ने तर्क दिया कि ब्रिटेन ने 'जबरन और दबाव में' महाराजा रणजीत सिंह के पोते दिलीप सिंह से हीरे को चुरा लिया और अपने देश ले गया। उन्होंने कहा, '1953 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की ताजपोशी के दौरान हीरा उनके ताज का हिस्सा बना। महारानी एलिजाबेथ का कोहिनूर हीरा पर कोई अधिकार नहीं है।'
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