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This Article is From Apr 03, 2015

भारत के लिए भी फायदेमंद है ईरान का परमाणु समझौता

वाशिंगटन : ईरान और दुनिया की छह महाशक्तियों के बीच तेहरान के परमाणु कार्यक्रम पर एक समझौते के लिए बनी ऐतिहासिक सहमति भारत के लिए और उन दूसरे तेल आयातकों के लिए भी अच्छा है, जो ईरान से तेल आयात करते हैं।

स्विट्जरलैंड के लुसाने शहर में ईरान और दुनिया की छह महाशक्तियों के बीच देर रात तक चली मैराथन वार्ता में व्यापक समझौते की रूपरेखा तैयार करने पर बनी सहमति के बाद राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस में कहा, 'यह एक अच्छा समझौता है। एक ऐसा समझौता, जो हमारे मूल उद्देश्यों को पूरा करता है।'

ओबामा ने कहा, 'अगर इसे पूरी तरह लागू कर दिया जाए तो इससे परमाणु हथियार बनाने की दिशा में बढ़ने वाले ईरान के सभी मार्ग बंद हो जाएंगे और यदि ईरान विश्वासघात करता है तो दुनिया को पता चल जाएगा।'

उन्होंने कहा कि ईरान गंभीरता से बातचीत करने को तैयार नहीं था। इसलिए अमेरिका को विश्व के सबसे कड़े प्रतिबंध लागू करने पर विवश होना पड़ा, जिससे ईरान की अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा, 'प्रतिबंधों से ईरान के परमाणु कार्यक्रमों पर रोक लगाना संभव नहीं था। लेकिन इन्ही प्रतिबंधों के कारण ईरान वार्ता के लिए राजी हुआ।'

ओबामा ने कहा, 'कई महीनों की कड़ी और सैद्धांतिक कूटनीति के बाद अमेरिका ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, चीन और यूरोपीय संघ ने अमेरिका के साथ मिलकर इस समझौते की रूपरेखा तैयार करने में सफलता प्राप्त की है।'

ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के बदले अंतरराष्ट्रीय समुदाय संयुक्त सुरक्षा परिषद द्वारा तेहरान पर लगाए गए अंतरराष्ट्रीय और अमेरिकी प्रतिबंधों से राहत देने के लिए सहमत हुआ है। ओबामा ने कहा, 'ईरान को ये राहत समझौते के अनुरूप चलने पर ही प्रदान की जाएगी। यदि ईरान समझौते का उल्लंघन करता है तो प्रतिबंध वापस लगा दिए जाएंगे।'

वार्ता के बाद जारी की गई अमेरिकी तथ्य पत्र के मुताबिक, इस समझौते में निम्न शर्ते शामिल हैं।...

- ईरान यूरेनियम संवर्धन में लगे अपने मौजूदा सेंट्रीफ्यूज में कटौती करेगा। सेंट्रीफ्यूज में दो-तिहाई कटौती की जाएगी। इस्तेमाल न होने वाले सेंट्रीफ्यूजों को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) की देखरेख में रखा जाएगा।

- ईरान के सभी परमाणु केंद्रों का आईएईए नियमित रूप से निरीक्षण करेगा।

- ईरान अरक में स्थित हेवी वॉटर के अपने रियक्टर को दोबारा डिजाइन करेगा, ताकि इनसे परमाणु हथियार बनाने लायक सामग्री का उत्पादन न हो सके।


भारत सालाना आधार पर चीन के बाद ईरान का दूसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। अमेरिका के दबाव में भारत ने तेहरान से आयात किए जाने वाले तेल की मात्रा में काफी कटौती किया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दशक में पहली बार भारत ने मार्च में ईरान से तेल का आयात नहीं किया। ईरान पर लगी मौजूदा पाबंदी की वजह से वह हर दिन 10 लाख से 11 लाख बैरल तेल का निर्यात नहीं कर सकता।

समाचार पत्र 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने ईरान के साथ परमाणु सौदे का स्वागत किया। इस कदम को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुए कहा गया है कि इससे अब ईरान परमाणु खतरा नहीं बन पाएगा।

गौरतलब है कि ईरान के साथ समझौता अभी हुआ नहीं है। राजनयिकों को निर्धारित अंतिम तिथि 30 जून तक अंतिम समझौता करना होगा।

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