चीनी राष्ट्रपति से मिले पीएम मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
NSG में सदस्यता की भारत की दावेदारी को बड़ा झटका लगा है। चीन अब भी भारत के सबसे बड़े विरोधी के तौर पर अडिग है। इसके साथ ही अब स्विटज़रलैंड ने भी इस पर आपत्ति जताई है। जहां पीएम मोदी के पांच देशों के दौरे के दौरान स्विटज़रलैंड ने भारत की दावेदारी का समर्थन किया था वहीं ऑस्ट्रिया, तुर्की, न्यूज़ीलैंड, ब्राज़ील और आयरलैंड पहले से ही भारत का विरोध कर रहे हैं।
चीन की है ये दलील
इन देशों की दलील है कि परमाणु अप्रसार संधि पर दस्तख़त किए बग़ैर किसी देश को एनएसजी में कैसे शामिल किया जा सकता है। चीन का कहना है कि जब तक भारत और पाकिस्तान सदस्य देशों के बनाए गए नियमों का पालन नहीं करते, तब तक वह उनकी सदस्यता का समर्थन नहीं करेगा। ताशकंद में कल पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाक़ात कर भारत के दावे पर निष्पक्ष होकर सोचने की अपील की थी, बावजूद इसके चीन के रवैये पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है। इस बीच अमेरिका अब भी भारत के समर्थन में खड़ा है। उसका कहना है चीन और भारत के बीच अच्छे संबंध हों और दोनों के बीच जो भी मतभेद हैं उन्हें सुलझाने की कोशिश करें।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति भी मिले
इधर, पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने भी चीनी राष्ट्रपति से मिलकर NSG में पाकिस्तान की एंट्री के दावे का समर्थन करने की अपील की, बावजूद उसके पाक पर कोई चर्चा नहीं हुई।
NSG सदस्यता की ज़रूरत क्यों?
- स्वच्छ ऊर्जा का लक्ष्य पाने में मदद मिलेगी
- 2030 तक 40% बिजली ग़ैर परंपरागत ईधन से
- न्यूक्लियर एनर्जी निर्यात करने पर भी नज़र
- सदस्य बनने से न्यूक्लियर तकनीक बेच सकेंगे
- परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भारत को विस्तार मिलेगा
भारत के विरोध में
\\\ चीन
\\\ न्यूज़ीलैंड
\\\ ऑस्ट्रिया
\\\ तुर्की
\\\ आयरलैंड
\\\ ब्राज़ील
\\\ स्विट्ज़रलैंड
चीन की है ये दलील
इन देशों की दलील है कि परमाणु अप्रसार संधि पर दस्तख़त किए बग़ैर किसी देश को एनएसजी में कैसे शामिल किया जा सकता है। चीन का कहना है कि जब तक भारत और पाकिस्तान सदस्य देशों के बनाए गए नियमों का पालन नहीं करते, तब तक वह उनकी सदस्यता का समर्थन नहीं करेगा। ताशकंद में कल पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाक़ात कर भारत के दावे पर निष्पक्ष होकर सोचने की अपील की थी, बावजूद इसके चीन के रवैये पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है। इस बीच अमेरिका अब भी भारत के समर्थन में खड़ा है। उसका कहना है चीन और भारत के बीच अच्छे संबंध हों और दोनों के बीच जो भी मतभेद हैं उन्हें सुलझाने की कोशिश करें।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति भी मिले
इधर, पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने भी चीनी राष्ट्रपति से मिलकर NSG में पाकिस्तान की एंट्री के दावे का समर्थन करने की अपील की, बावजूद उसके पाक पर कोई चर्चा नहीं हुई।
NSG सदस्यता की ज़रूरत क्यों?
- स्वच्छ ऊर्जा का लक्ष्य पाने में मदद मिलेगी
- 2030 तक 40% बिजली ग़ैर परंपरागत ईधन से
- न्यूक्लियर एनर्जी निर्यात करने पर भी नज़र
- सदस्य बनने से न्यूक्लियर तकनीक बेच सकेंगे
- परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भारत को विस्तार मिलेगा
भारत के विरोध में
\\\ चीन
\\\ न्यूज़ीलैंड
\\\ ऑस्ट्रिया
\\\ तुर्की
\\\ आयरलैंड
\\\ ब्राज़ील
\\\ स्विट्ज़रलैंड