विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization या WHO) ने अमेरिकी फार्मा कंपनी नोवावैक्स द्वारा निर्मित कोविड वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंगलवार को मंज़ूरी दे दी है. इससे पहले यूरोपीय यूनियन के औषधि नियामक ने न्यूवाक्सोविड (Nuvaxovid) को सोमवार को मंज़ूरी दी थी.
पहले मंज़ूर की गई दवाओं की तुलना में न्यूवाक्सोविड अधिक परम्परागत तकनीक से बनाया गया है, जिसके चलते ब्रसेल्स में अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि इससे वैक्सीन लेने के अनिच्छुक लोगों में झिझक खत्म करने में मदद मिलेगी. कोरोना-रोधी इस टीके में एक परम्परागत तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें कोरोनावायरस में पाए जाने वाले प्रोटीन ही बचाव तैयार करने वाले प्रोटीन को ट्रिगर करेंगे. यह जांचा-परखा तरीका है, जो काली खांसी तथा हैपेटाइटिस बी जैसे रोगों के खिलाफ लोगों को वैक्सीनेट करते वक्त इस्तेमाल किया जाता है.
WHO की आपातकालीन प्रयोग सूची (Emergency Use Listing या EUL) के चलते अब दुनियाभर के देश इस वैक्सीन के इस्तेमाल और आयात की अनुमति जल्द दे पाएंगे.
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा मंज़ूर की गई 10वीं वैक्सीन न्यूवाक्सोविड भी दो खुराकों में दी जाएगी.
पहले से मंज़ूर की गई दवाओं में कोवोवैक्स भी शामिल है, जो नोवावैक्स वैक्सीन का ही वर्शन है, जिसे अमेरिकी कंपनी से मिले लाइसेंस के तहत सीरम इंस्टीट्यूट फ इंडिया ने बनाया है. इसे 17 दिसंबर को मंज़ूरी दी गई थी.
90 प्रतिशत कारगर
दो बड़े क्लिनिकल अध्ययनों - जिनमें से एक ब्रिटेन में हुआ, और दूसरा अमेरिका और मैक्सिको में, और इनमें कुल मिलाकर 45,000 लोगों पर अध्ययन किया गया - के मुताबिक, लक्षण वाले COVID-19 मामलों को घटाने में न्यूवाक्सोविड लगभग 90 फीसदी कारगर है.
WHO के इम्युनाइज़ेशन पर विशेषज्ञों के रणनीतिक सलाह समूह ने सिफारिश की है कि नई वैक्सीन की दो खुराकों के बीच तीन से चार हफ्ते का अंतर रखना चाहिए, और इसे 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को लगाया जाना चाहिए. एक दस्तावेज़ में समूह ने चेताया भी है कि न्यूवाक्सोविड की दो खुराकों के बीच अंतर तीन सप्ताह से कम नहीं होना चाहिए. इस दवा को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के तापमान के बीच स्टोर किया जाना चाहिए.
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