नॉर्वे:
नॉर्वे में अपने बच्चों को पाने का इंतजार कर रहे भारतीय दंपती के लिए आज का दिन बेहद अहम है। बच्चों के चाचा और नॉर्वे प्रशासन के बीच आज मुलाकात होनी है। इस मुलाकात के दौरान बच्चों को उनके परिवार को सौंपने पर फैसला लिया जा सकता है। बच्चे के चाचा और भारतीय सरकार के प्रतिनिधि इस मुलाकात के लिए स्टैवांगर पहुंच चुके हैं।
भारतीय दंपती पर ठीक से परवरिश न करने का आरोप लगाते हुए नॉर्वे की चाइल्ड वेल्फेयर सर्विस ने दोनों बच्चों को माता−पिता अलग कर दिया था। दरअसल नॉर्वे में बच्चों के परवरिश के लिए अलग से कानून हैं। अभिज्ञान और ऐश्वर्या को उनके चाचा को सौंपने की बात चल रही है।
नॉर्वे में अपने माता पिता से अलग किए गए तीन साल के अभिज्ञान और एक साल की ऐश्वर्या को वापस पाने की लड़ाई दिल्ली से भी लड़ी जा रही है। बच्चों के दादा दिल्ली से ही अपनी आवाज उठा रहे हैं। वह चाहते हैं कि जल्द से जल्द दोनों को उनके चाचा को सौंप दिया जाए। अभिज्ञान और ऐश्वर्या को पिछले साल मई में नॉर्वे की चाइल्ड वेल्फेयर सर्विस ने माता-पिता से अलग किया था। बीजेपी नेता सुषमा स्वराज और सीपीएम नेता वृंदा करात पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचीं।
पश्चिम के सबसे सभ्य माने जाने वाले देशों में एक नॉर्वे में दो भारतीय बच्चे− 3 साल का अभिज्ञान और एक साल की अनुष्का− पिछले साल मई से ही अपने मां−बाप से अलग रहने को मजबूर हैं। इन्हें अलग−अलग अनजाने परिवारों में रखा जा रहा है क्योंकि नॉर्वे में बच्चों के अधिकारों की देखभाल करने वाली संस्थाओं का आरोप है कि मां−बाप इनका ठीक से खयाल नहीं रख रहे। अब ये भी जान लीजिए कि नॉर्वे में बच्चों को ठीक से नहीं रखने का क्या मतलब है। नॉर्वे के अधिकारियों के जो दो मुख्य आरोप हैं उनके मुताबिक
मां इन दोनों बच्चों को अपने हाथ से खाना खिलाती हैं। ये दोनों बच्चे मां−पिता के साथ एक ही कमरे में सुलाए जाते हैं
तो अपने बच्चों को साथ सुलाना उन्हें अपने हाथ से खाना खिलाना वह गुनाह है जिसके लिए सागरिका भट्टाचार्य और अनुरूप भट्टाचार्य अपने बच्चों से कई महीने से दूर हैं। बीजेपी की नेता सुषमा स्वराज ने इस मसले पर कहा है कि यह अपहरण जैसा है। संसद सत्र तक बच्चे छूट कर नहीं आए तो सदन में यह मुद्दा उठेगा।
भारतीय दंपती पर ठीक से परवरिश न करने का आरोप लगाते हुए नॉर्वे की चाइल्ड वेल्फेयर सर्विस ने दोनों बच्चों को माता−पिता अलग कर दिया था। दरअसल नॉर्वे में बच्चों के परवरिश के लिए अलग से कानून हैं। अभिज्ञान और ऐश्वर्या को उनके चाचा को सौंपने की बात चल रही है।
नॉर्वे में अपने माता पिता से अलग किए गए तीन साल के अभिज्ञान और एक साल की ऐश्वर्या को वापस पाने की लड़ाई दिल्ली से भी लड़ी जा रही है। बच्चों के दादा दिल्ली से ही अपनी आवाज उठा रहे हैं। वह चाहते हैं कि जल्द से जल्द दोनों को उनके चाचा को सौंप दिया जाए। अभिज्ञान और ऐश्वर्या को पिछले साल मई में नॉर्वे की चाइल्ड वेल्फेयर सर्विस ने माता-पिता से अलग किया था। बीजेपी नेता सुषमा स्वराज और सीपीएम नेता वृंदा करात पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचीं।
पश्चिम के सबसे सभ्य माने जाने वाले देशों में एक नॉर्वे में दो भारतीय बच्चे− 3 साल का अभिज्ञान और एक साल की अनुष्का− पिछले साल मई से ही अपने मां−बाप से अलग रहने को मजबूर हैं। इन्हें अलग−अलग अनजाने परिवारों में रखा जा रहा है क्योंकि नॉर्वे में बच्चों के अधिकारों की देखभाल करने वाली संस्थाओं का आरोप है कि मां−बाप इनका ठीक से खयाल नहीं रख रहे। अब ये भी जान लीजिए कि नॉर्वे में बच्चों को ठीक से नहीं रखने का क्या मतलब है। नॉर्वे के अधिकारियों के जो दो मुख्य आरोप हैं उनके मुताबिक
मां इन दोनों बच्चों को अपने हाथ से खाना खिलाती हैं। ये दोनों बच्चे मां−पिता के साथ एक ही कमरे में सुलाए जाते हैं
तो अपने बच्चों को साथ सुलाना उन्हें अपने हाथ से खाना खिलाना वह गुनाह है जिसके लिए सागरिका भट्टाचार्य और अनुरूप भट्टाचार्य अपने बच्चों से कई महीने से दूर हैं। बीजेपी की नेता सुषमा स्वराज ने इस मसले पर कहा है कि यह अपहरण जैसा है। संसद सत्र तक बच्चे छूट कर नहीं आए तो सदन में यह मुद्दा उठेगा।
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