नार्थ कोरिया ने शुक्रवार को ऐलान किया कि उसने अंडर वारट न्यूक्लियर वेपन सिस्टम (North Korea Under Water Nuclear Weapon System Test) यानि कि ऐसी परमाणु हथियार प्रणाली का परीक्षण किया है जो पानी के भीतर से मार करने की क्षमता रखती है. इसकी वजह बताते हुए नार्थ कोरिया ने कहा कि ऐसा अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान के संयुक्त नौसैनिक अभ्यास के जवाब में किया गया है. इस अभ्यास में अमेरिका का एक ऐसा विमानवाहक पोत हिस्सा ले रहा है, जो परमाणु शक्ति से लैस है. नॉर्थ कोरिया के रक्षा मंत्रालयन ने बयान जारी कर इसे अपनी सुरक्षा के लिए ख़तरा बताया. इसी ख़तरे की आशंका को आधार बना कर कोरिया ने अपने Haeil-5-23 अंडर वाटर न्यूक्लियर वेपन सिस्टम का परीक्षण किया है, जिसे कोरिया के उत्तरी समुद्र में वह विकसित कर रहा है. कुछ जानकारों के मुताबिक़ ये सिस्टम दरअसल समुद्र के अंदर मार करने वाला ड्रोन है, जिसके ज़रिए परमाणु हमला किया जा सकता है.
नॉर्थ कोरिया ने अंडर वाटर न्यूक्लियर वेपन सिस्टम के परीक्षण का दावा किया है. इससे पहले वह व्हांसांग-18 मिसाइल का परीक्षण कर चुका है. ऐसे परीक्षणों से ये सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या उत्तरी कोरिया युद्ध की तैयारी कर रहा है. हाल ही में उत्तरी कोरिया ने दक्षिण कोरिया से लगी सीमा के पास लाइव फ़ायर एक्सरसाइज़ भी किया था. ये भी ग़ौर करने की बात है कि उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने उत्तर और दक्षिण कोरिया के एकीकरण की दिशा में काम करने वाली समितियों को भंग करने का ऐलान कर दिया है, ये समितियां 1961 में बनाई गईं थीं.
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दक्षिण कोरिया को दुश्मन करार देने के बाद हमला आसान
किम जोंग ने कहा है कि एकीकरण अब किसी हाल में संभव नहीं है.कोरिया के रबड़ स्टैंप संसद सुप्रीम पीपुल्स असेंबली ने बयान जारी कर संविधान में बदलाव की भी बात की. संविधान में दक्षिण कोरिया के साथ सुलह के ज़रिए आगे बढ़ने की बात है. जिसे बदल कर दक्षिण कोरिया को दुश्मन नंबर एक घोषित करने का फ़ैसला किया गया है. संविधान में ये बदलाव अहम है, क्योंकि संवैधानिक तौर पर दक्षिण कोरिया को दुश्मन क़रार देने के बाद उस पर हमला आसान होगा.
अमेरिका के लिए खुल सकता है एक और मोर्चा
गौर करने वाली बात ये भी है कि नॉर्थ कोरिया और रूस की नज़दीकी बढ़ती जा रही है. किम जोंग उन रूस का दौरा कर चुके और अब रूस के राष्ट्रपति पुतिन के प्योंगयांग दौरे की उम्मीद है. यूक्रेन से साथ युद्ध लंबा खिंच गया है और रूस को कुछ ख़ास क़िस्म के गोले बारूद की कमी पड़ रही है, उसे नॉर्थ कोरिया से हथियारों की ज़रूरत है. माना जा रहा है कि नॉर्थ कोरिया नवीनतम मिसाइल भी रूस को दे रहा है.
अमेरिका रूस के ख़िलाफ़ यूक्रेन की मदद कर रहा है. वहीं अमेरिका नॉर्थ कोरिया के ख़िलाफ़ साउथ कोरिया की मदद कर रहा है. ऐसे में नॉर्थ कोरिया अगर साउथ कोरिया पर हमला करता है तो अमेरिका के लिए एक और मोर्चा खुल जाएगा, उसे यहां भी अपनी ताक़त लगानी पड़ेगी. इज़रायल-हमास जंग में अमेरिका इज़रायल के साथ खड़ा है और उसकी मदद कर रहा है. हूती के हमलों के बाद लालसागर और यमन में भी उसे मोर्चा खोलना पड़ा है.ऐसे में रूस और नार्थ कोरिया की ये सामरिक रणनीति हो सकती है कि साउथ कोरिया के खिलाफ़ मोर्चा खोल कर अमेरिका को यहां भी फंसाया जाए.
चीन भी ताइवान पर मोर्चेबंदी में जुटा
ताइवान के चुनाव के बाद चीन भी ताइवान पर मोर्चेबंदी में जुटा है. ताइवान अमेरिका के सहारे ही चीन से लोहा लेता है. अगर यहां भी मोर्चा खुल गया तो एक अमेरिका कहां-कहां जाकर लड़ेगा और कहां कितनी मदद कर पाएगा, ख़ासतौर पर तब जब ख़ुद अमेरिका में इज़रायल और यूक्रेन को भारी मदद पर सवाल उठ रहे हों. यमन में हमले पर कांग्रेस की अनुमति नहीं लेने पर राष्ट्रपति जो बाइडेन को घेरा जा रहा हो, वहीं अमेरिका में चुनाव भी सिर पर हैं.
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