
- मध्य प्रदेश के कुबेरेश्वर धाम में कांवड़ यात्रा के दौरान बीते तीन दिनों में 6 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है.
- मानवाधिकार आयोग ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया है और अधिकारियों से 15 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है
- कुबेरेश्वर धाम में हो रही मौतों पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं. सुरक्षा व्यवस्था की कमी को लेकर आलोचना की है.
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले स्थित कुबेरेश्वर धाम में कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. बीते तीन दिनों में यहां कुल 6 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, जिसके बाद मानवाधिकार आयोग ने मामले का संज्ञान लिया है. बुधवार को, गुजरात के पंचवाल निवासी चतुर सिंह (50) और हरियाणा के रोहतक निवासी ईश्वर सिंह (65) की कांवड़ यात्रा के दौरान मृत्यु हो गई. राजकोट निवासी जसवंती बेन (56) और फिरोज़ाबाद निवासी संगीता गुप्ता (48) की भी एक दिन पहले 5 अगस्त को मृत्यु हो गई थी. पीड़ित अटूट श्रद्धा के साथ कुबेरेश्वर की यात्रा पर निकले थे, लेकिन वहां मची अफरा-तफरी में उनकी जान चली गई. उनके शव अब ज़िला अस्पताल के शवगृह में हैं.

बता दें कि कुबेरेश्वर धाम में हर साल सावन माह में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस दौरान वहां रुद्राक्ष का भी वितरण होता है. यही कारण है कि रुद्राक्ष पाने की आस में बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं. ये पीड़ित उन लाखों श्रद्धालुओं में शामिल थे जो प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा आयोजित भव्य कांवड़ यात्रा में शामिल होने आए थे. कुबेरेश्वर धाम में भारी भीड़ और प्रशासनिक अव्यवस्था के चलते श्रद्धालुओं को गर्मी और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे ये दुखद घटनाएं सामने आई हैं.
जाम में घंटों फंसे रहे वाहन
इंदौर-भोपाल राजमार्ग, जो तीर्थयात्रियों का एक प्रमुख मार्ग है, मंगलवार रात से ही जाम है. वाहन घंटों फंसे रहे. हालांकि पुलिस ने भारी वाहनों और वैकल्पिक मार्गों पर प्रतिबंध की आधिकारिक घोषणा की थी, लेकिन इन योजनाओं का या तो सही ढंग से पालन नहीं किया गया या उन्हें पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया गया. हज़ारों तीर्थयात्रियों को गर्मी, भूख और थकान जैसे समस्याओं का सामना करना पड़ा.

इससे भी ज़्यादा चिंताजनक बात कुबेरेश्वर धाम प्रबंधन समिति और ज़िला प्रशासन की ओर से तैयारियों का घोर अभाव है. भीड़ को लेकर कोई पर्याप्त योजना नहीं बनाई गई थी. गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पूरे मध्य प्रदेश से श्रद्धालु आते रहे. यहां पर शौचालय, पीने के साफ़ पानी, उचित सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण का अभाव है .
मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
मानवाधिकार आयोग ने मामले को गंभीर मानते हुए स्वतः संज्ञान लिया है और अब संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया जा सकता है. कलेक्टर-एसपी को नोटिस भेजकर 15 दिन के अंदर जवाब मांगा है. धार्मिक आस्था के इस बड़े केंद्र में लगातार हो रही मौतों ने व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं और प्रशासनिक लापरवाही को लेकर जांच की मांग तेज हो गई है.
व्यवस्थाएं कमजोर पड़ गई
एनडीटीवी से बात करते हुए, कैबिनेट मंत्री गोविंद राजपूत ने स्वीकार किया, भीड़ उम्मीद से कहीं ज़्यादा बढ़ गई. व्यवस्थाएं कमज़ोर पड़ गई. मैं प्रशासन से आग्रह करता हूं कि वह स्थिति को संभाले और सुनिश्चित करे कि ऐसा दोबारा न हो. वहीं कांग्रेस के पूर्व मंत्री डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा आस्था असफलता को उचित नहीं ठहराती. पंडित प्रदीप मिश्रा रुद्राक्ष बांटें या न बांटें, यह उनकी मर्ज़ी है. लेकिन इन मौतों की ज़िम्मेदारी कौन लेगा? राखी आ रही है. कितने परिवारों ने अपने भाई को खोया है.
विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने कहा, "धर्म के नाम पर किसी को भी जिंदगी से खेलने का हक नहीं है. हर किसी का एक परिवार होता है. यह सरकार और आयोजकों के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए कि वे तुरंत कार्रवाई करें." पंडित मिश्रा के साथ काम करने वाली समिति अपना वादा पूरा करने में नाकाम रही है. उसने भोजन, पानी, आश्रय और व्यवस्था का आश्वासन दिया था. लेकिन श्रद्धालुओं को गंदगी, अव्यवस्था, भगदड़ और मौत ही मिली.
प्रशासन और पुलिस इन मौतों को स्वाभाविक बताकर मामले से किनारा करने की कोशिश कर रहा हैं, जबकि परिजनों और स्थानीय लोगों में आक्रोश है कि आखिर इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में मौतें कैसे हो रही हैं. वहां से लौटते हुए एक श्रद्धालु ने कहा समिति ने कुछ नहीं किया. महिलाओं को धक्का दिया गया, बुज़ुर्ग गिर रहे थे, और पुलिस बस देखती रही. हम आस्था के लिए आए थे. हम डर के मारे जा रहे हैं. वहां न पानी था, न शौचालय, और खाना.
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