
दिल्ली विधानसभा स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने बने फांसी घर के मामले को स्पीकर ने विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया है. समिति अरविंद केजरीवाल और तत्कालीन स्पीकर को समन करेगी. मामले में आरोप लगाया गया है कि पूर्व की आप सरकार ने सदन की गरिमा का हनन किया है. विधानसभा परिसर में लगे फांसी घर के बारे में लगे शिलापट को हटाया जाएगा.
विधानसभा में अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि सेंस ऑफ हाउस के आधार पर निर्णय लिया जाता है कि विधानसभा को फिर से पुराने रूप में लाया जाएगा. भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ पर 2022 में जो फर्जी फांसी घर के नाम पर अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के नाम का शिलापट्ट लगाया गया उसे हटाया जाएगा. हेरिटेज बिल्डिंग के मूल रूप के साथ जो छेड़छाड़ की गई और फर्जी फांसी घर और फर्ज़ी सुरंग के नाम पर जो इतिहास की तौहीन की गई है. इसके लिए पुरानी सरकार के कुकृत्य को इतिहास कभी माफ नहीं करेगा. विशेषाधिकार समिति को मैं यह मामला सौंपता हूं. समिति तत्कालीन सीएम केजरीवाल, डिप्टी सीएम सिसोदिया, स्पीकर रामनिवास गोयल और डिप्टी स्पीकर राखी बिड़लान को समन करेगी. उनकी मौजूदगी और निर्देशन में ही 9 अगस्त 2022 को इस कथित फांसी घर का उद्घाटन किया गया था. सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाई, लोगों की भावना के साथ खिलवाड़ हुआ. यह बहुत बड़ा फ्रॉड हुआ है.
क्या है पूरा मामला?
दिल्ली विधानसभा में फांसी घर या टिफिन घर? इसे लेकर विवाद बढ़ता दिख रहा है. भारतीय जनता पार्टी ने अरविंद केजरीवाल पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने जिसे फांसी घर बताया वो असल में एक टिफिन घर था. इसे लेकर जानबूझकर गलत सूचनाएं फैलाई गई. बीजेपी का कहना है कि इतिहास में ऐसे कोई सबूत नहीं मिलते हैं, जिससे की ये कहा जा सके कि दिल्ली विधानसभा के अंदर फांसी दी जाती थी. आपको बता दें कि दिल्ली विधानसभा का निर्माण 1912 में कराया गया था.
दीवारों पर लगी है शहीदों की तस्वीरें
NDTV ने जब इस इमारत के अंदर जाकर इसका जायजा लिया तो हमे अंदर की दीवारों पर शहीदों की तस्वीरें लगी दिखीं. साथ ही कई पुराने जूते-चप्पल भी अंदर संजो कर रखे गए हैं. बताया जाता है कि जिस समय इस भवन का निर्माण कराया गया था तो उस दौरान ये यहीं मिली थीं.
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