चार मई (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि विकासशील सदस्य देशों को कर्ज देने के मामले में एशियाई विकास बैंक (एडीबी) को नवोन्मेषी, जोखिम आधारित रुख की संभावना टटोलने की जरूरत है और भारत इसके लिये उसे प्रोत्साहित करता रहा है. सीतारमण ने एशियाई विकास बैंक के संचालन मंडल के पूर्ण सत्र की बैठक में एडीबी चार्टर से कर्ज सीमा हटाने और संचालन मंडल के अनुमोदन वाले पूंजी पर्याप्तता ढांचे (सीएएफ) में सीमा बदलाव को लेकर भारत के समर्थन की बात कही.
पूंजी पर्याप्तता ढांचे को एडीबी की जोखिम उठाने की क्षमता के संरक्षण और संकट के दौरान भी कर्ज देने की क्षमता को बनाये रखने को लेकर तैयार किया गया है. एडीबी की 56वीं सालाना बैठक में बतौर गवर्नर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहीं सीतारमण ने उम्मीद जतायी की कि पूर्ण सत्र में खुली चर्चा से आम सहमति बनेगी और कई मुद्दों का समाधान होगा तथा बहुपक्षीय बैंक को उचित मार्गदर्शन मिलेगा. उन्होंने एडीबी की कर्ज देने की क्षमता बढ़ाने के विषय पर अपने संबोधन में कहा, ‘‘भारत विकासशील सदस्य देशों (डीएमसी) को कर्ज देने को लेकर एशियाई विकास बैंक को नवोन्मेषी और जोखिम आधारित रुख की संभावना टटोलने के लिये प्रोत्साहित करता है....''
बैठक के दौरान एडीबी ने जोखिम लेने की क्षमता, ‘कॉलेबल कैपिटल', चार्टर यानी वैधानिक कर्ज सीमा, हाइब्रिड पूंजी (इक्विटी और बॉन्ड समेत) और शेयरधारक गारंटी जैसे मुद्दों पर संचालन मंडल के मार्गदर्शन की मांग की. एडीबी पहले से बैंक के पूंजी पर्याप्तता ढांचे की समीक्षा के तहत इनपर गौर कर रहा है. एडीबी से कर्ज लेने वाले कर्जदाताओं के बड़े पैमाने पर चूक की अप्रत्याशित घटना में एडीबी के लेनदारों... मुख्य रूप से एडीबी बॉन्ड में निवेशक और एडीबी गारंटी धारकों... की सुरक्षा के लिये ‘कॉलेबल कैपिटल' की सुविधा उपलब्ध है.
इससे पहले, दिन में सीतारमण ने संचालन मंडल को संबोधित करते हुए एडीबी को मजबूत बनाने पर जोर दिया. उन्होंने संस्थान को भरोसेमंद और मजबूत बनाने के लिये ठोस रुख अपनाने की बात कही.
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