इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के नए आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जहीर उल इस्लाम ‘इंडियन नेशनल आर्मी’ के नायक शाह नवाज खान के भतीजे हैं और उन्हीं की मार्फत उनका बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान से दूर का रिश्ता है।
पाकिस्तान के रक्षा विश्लेषक इकराम सहगल ने बताया कि इस्लाम के पिता पाकिस्तान सेना में ब्रिगेडियर थे। सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली इंडियन नेशनल आर्मी में मेजर जनरल रहे शाह नवाज खान इस्लाम के चाचा थे। उन्होंने बताया कि शाह नवाज खान का एक बेटा विभाजन के दौरान उनके साथ चला गया, जबकि दूसरा बेटा महमूद नवाज पाकिस्तान में ही रहा और कर्नल बन गया।
सहगल ने बताया, ‘‘महमूद नवाज खान सेवानिवृत्ति के बाद भारत गए और अपने पिता से मिले, क्योंकि सेवा में रहते हुए वह भारत नहीं जा सके।’’ शाहरुख खान की कई वेबसाइट्स में उनकी बायोग्राफी है, जिसके अनुसार, बॉलीवुड के इस सितारे की दिवंगत मां लतीफ फातिमा शाह नवाज खान की गोद ली हुई बेटी थीं।
इस्लाम को शुक्रवार को प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने देश की सर्वाधिक प्रभावशाली खुफिया एजेंसी आईएसआई का नया प्रमुख नियुक्त किया है। रावलपिंडी में जन्मे इस्लाम एक सैन्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि क्या इस्लाम कभी शाह नवाज खान से मिले थे।
शाह नवाज खान का 1983 में देहांत हो गया था। शाह नवाज खान का जन्म कहूटा में हुआ था और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान वह ब्रिटिश इंडियन आर्मी में पदस्थ थे। 1942 में जब जापानी सैनिकों ने सिंगापुर पर अतिक्रमण किया था, तब वह पकड़े गए थे। बाद में वह इंडियन नेशनल आर्मी में शामिल हो गए थे।
इसके बाद उन्होंने जापानी फौजों की तरफ से बर्मा (अब म्यामांर) में ब्रिटिश फौजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। अंग्रेजों ने शाह नवाज खान को पकड़ लिया और 1946 में इंडियन नेशनल आर्मी के अन्य अधिकारियों के साथ साथ उन पर भी मुकदमा चला। इन लोगों पर राजद्रोह के आरोप में मुकदमा चलाया गया, लेकिन बाद में जनता के भारी दबाव के चलते इन लोगों को बरी कर दिया गया। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। चार बार उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत भी गए।
आईएसआई के अध्यक्ष पद पर इस्लाम की नियुक्ति से पहले कुछ समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों में कहा गया था कि बॉलीवुड के सितारे सैफ अली खान के चाचा मेजर जनरल इस्फंदयार अली खान पटौदी का नाम इस शीर्ष पद के लिए विचाराधीन है। पटौदी खुफिया एजेंसी में उप महानिदेशक हैं। बहरहाल, सूत्रों ने बताया कि पटौदी को आईएसआई के अध्यक्ष पद के लिए गंभीर दावेदार के तौर पर कभी नहीं देखा गया।
पाकिस्तान के रक्षा विश्लेषक इकराम सहगल ने बताया कि इस्लाम के पिता पाकिस्तान सेना में ब्रिगेडियर थे। सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली इंडियन नेशनल आर्मी में मेजर जनरल रहे शाह नवाज खान इस्लाम के चाचा थे। उन्होंने बताया कि शाह नवाज खान का एक बेटा विभाजन के दौरान उनके साथ चला गया, जबकि दूसरा बेटा महमूद नवाज पाकिस्तान में ही रहा और कर्नल बन गया।
सहगल ने बताया, ‘‘महमूद नवाज खान सेवानिवृत्ति के बाद भारत गए और अपने पिता से मिले, क्योंकि सेवा में रहते हुए वह भारत नहीं जा सके।’’ शाहरुख खान की कई वेबसाइट्स में उनकी बायोग्राफी है, जिसके अनुसार, बॉलीवुड के इस सितारे की दिवंगत मां लतीफ फातिमा शाह नवाज खान की गोद ली हुई बेटी थीं।
इस्लाम को शुक्रवार को प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने देश की सर्वाधिक प्रभावशाली खुफिया एजेंसी आईएसआई का नया प्रमुख नियुक्त किया है। रावलपिंडी में जन्मे इस्लाम एक सैन्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि क्या इस्लाम कभी शाह नवाज खान से मिले थे।
शाह नवाज खान का 1983 में देहांत हो गया था। शाह नवाज खान का जन्म कहूटा में हुआ था और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान वह ब्रिटिश इंडियन आर्मी में पदस्थ थे। 1942 में जब जापानी सैनिकों ने सिंगापुर पर अतिक्रमण किया था, तब वह पकड़े गए थे। बाद में वह इंडियन नेशनल आर्मी में शामिल हो गए थे।
इसके बाद उन्होंने जापानी फौजों की तरफ से बर्मा (अब म्यामांर) में ब्रिटिश फौजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। अंग्रेजों ने शाह नवाज खान को पकड़ लिया और 1946 में इंडियन नेशनल आर्मी के अन्य अधिकारियों के साथ साथ उन पर भी मुकदमा चला। इन लोगों पर राजद्रोह के आरोप में मुकदमा चलाया गया, लेकिन बाद में जनता के भारी दबाव के चलते इन लोगों को बरी कर दिया गया। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। चार बार उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत भी गए।
आईएसआई के अध्यक्ष पद पर इस्लाम की नियुक्ति से पहले कुछ समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों में कहा गया था कि बॉलीवुड के सितारे सैफ अली खान के चाचा मेजर जनरल इस्फंदयार अली खान पटौदी का नाम इस शीर्ष पद के लिए विचाराधीन है। पटौदी खुफिया एजेंसी में उप महानिदेशक हैं। बहरहाल, सूत्रों ने बताया कि पटौदी को आईएसआई के अध्यक्ष पद के लिए गंभीर दावेदार के तौर पर कभी नहीं देखा गया।
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