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This Article is From Sep 24, 2015

नेपाल से संविधान में संशोधन करने को नहीं कहा : भारत

नेपाल से संविधान में संशोधन करने को नहीं कहा : भारत
नेपाल का संविधान
नई दिल्ली: भारत ने बुधवार को दोहराया कि नेपाल में मौजूदा मुद्दों पर मतभेदों को बातचीत के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए लेकिन भारत ने इस बात से इनकार किया कि उसने काठमांडो से संविधान में भारतीय मूल के समुदाय को स्वीकार्य होने वाले संशोधन करने को कहा है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘भारत ने नेपाल सरकार को विशिष्ट संविधान संशोधनों या बदलाव की कोई सूची नहीं दी है।’’

कुछ मुद्दों पर मदभेद हैं
उन्होंने कहा, ‘‘विशेष धाराओं पर निर्देशात्मक हुए बिना हम लगातार यह अनुरोध दोहरा रहे हैं कि जिन मुद्दों पर मतभेद हैं उन्हें हिंसा से मुक्त माहौल में बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए और इस तरह से शामिल किया जाना चाहिए कि व्यापक स्वीकार्यता हो।’’

ये बयान इन खबरों की पृष्ठभूमि में आए हैं कि भारत ने नेपाल के नेतृत्व से उसके नये संविधान में ‘सात संशोधन’ करने को कहा है ताकि मधेसी समुदाय को यह संविधान स्वीकार्य हो।

भारत ने हिंसा पर जताई चिंता
मधेसी लोग भारतीय मूल के हैं जो नेपाल के तराई क्षेत्र में रहते हैं। भारत अपनी सीमा से लगे नेपाल के हिस्सों में संविधान के विरोध स्वरूप हो रहे हिंसक प्रदर्शनों पर चिंता जता रहा है।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था, ‘हम हिंसा की घटनाओं पर बहुत चिंतित हैं जिसके नतीजतन भारत की सीमा से लगे नेपाल के क्षेत्र में लोग मारे गये और घायल हो गए।’

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