दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का निधन हो गया है। निधन के वक्त 95 साल के मंडेला जोहानिसबर्ग के अपने घर में ही थे। मंडेला पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें लंग्स इंफेक्शन की शिकायत थी।
उनके निधन की घोषणा राष्ट्रपति जैकब जूमा ने की। उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका ने आज अपना सबसे महान संतान को खो दिया है।
दरअसल, नेल्सन मंडेला दुनिया के सबसे बेहतरीन राजनेताओं में शुमार किए जाते थे। उन्होंने रंगभेद के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी और 27 साल का वक्त जेल में गुज़ारा। वह दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति थे।
मंडेला महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांतों, विशेषकर वकालत के दिनों में दक्षिण अफ्रीका के उनके आंदोलनों से प्रेरित थे। मंडेला ने भी हिंसा पर आधारित रंगभेदी शासन के खिलाफ अहिंसा के माध्यम से संघर्ष किया।
मंडेला के महान संघर्ष के लिए ही उन्हें 1993 में शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। साथ ही उन्हें 1990 में भारत रत्न का सम्मान भी दिया जा चुका है।
मंडेला का जन्म 1918 में ईस्टर्न केप ऑफ साउथ अफ्रीका के एक छोटे से गांव में हुआ था। वह मदीबा कबीले के थे और द. अफ्रीका में उन्हें प्यार से मदीबा ही पुकारा जाता था।
उनका चमत्कारी व्यक्तित्व, हास्य विनोद क्षमता और अपने साथ हुए दुव्यर्वहार को लेकर कड़वाहट ना होना, उनकी अद्भुत जीवन गाथा से उनके असाधारण वैश्विक अपील का पता चलता है।
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