काठमांडू:
भूकंप के बाद काठमांडु में अब बचाव और राहत कार्य सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। वहां रह रहे लोगों में एक बड़ी संख्या भारतीयों की है, जो रोज़गार और पर्यटन के लिए वहां गए हुए थे। अब ये लोग घर वापिस आना चाहते हैं, लेकिन उसमें भी उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
काठमांडु दूतावास के पास पहुंचे NDTV संवाददाता हृदयेश जोशी को बिहार के छपरा, सुगौली और अन्य सीमावर्ती ज़िलों से यहां काम करने आये लोगों ने बताया कि भारतीय दूतावास के पास जो बसें लगी हैं उसका इस्तेमाल प्रशासन कर रही है और आम लोगों को टैक्सी में एक सवारी के लिए 5,000 रुपया देना पड़ (क्लिक कर देंखे वीडियो रिपोर्ट) रहा है।
बस अड्डे पर जमा सैंकड़ों लोगों ने NDTV को बताया कि भारत सरकार द्वारा भेजी गई बसों के आने से उन्हें अपने घर लौटने की उम्मीद जगी है। कुछ लोगों का कहना है कि उनसे अलग-अलग तरह से पहचान-पत्र मांगे जा रहे हैं और सही मदद नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा लोगों को भोजन, दवाईयां और अन्य ज़रूरी चीज़ों की भी किल्लत हो रही है।
काठमांडु एयरपोर्ट के बाहर पहुंचे NDTV रिपोर्टर सिद्धार्थ पांडेय के अनुसार मीडिया को एयरपोर्ट के अंदर जाने से रोक दिया गया है, लेकिन एयरपोर्ट के बाहर उन्होंने 20-25 की संख्या में यूपी रोडवेज़ की बसें खड़ी हैं जो लोगों के मुफ़्त सेवा दे रही है, लेकिन यहां जमा हुए लोग बसों से रोड के ज़रिए लौटना नहीं चाहते (क्लिक कर देंखे वीडियो रिपोर्ट) क्योंकि रास्ते में चट्टानों के गिरने और हादसा होने का डर उनके मन में है।
भूकंप के तीन दिन बाद भी भूकंप के झटके अब भी आ रहे हैं ऐसे में लोग हवाई जहाज़ से ही वापिस आना चाहते हैं लेकिन अफ़वाहों के कारण वे काफ़ी डरे हुए हैं।
पश्चिमी नेपाल के धादिन गांव पहुंची NDTV रिपोर्टर सोनल मेहरोत्रा जब वहां पहुंची तो उन्होंने देखा कि यहां एक फुटबॉल ग्राउंड को हेलीपैड की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। (देखें वीडियो रिपोर्ट : नेपाल के धादिन गांव तक पहुंची मदद का जायजा लिया एनडीटीवी ने )
यहां भारत से एयरफोर्स के प्लेन में राशन, खाने-पीने की चीज़ें, कंबल, दवाइयां, पानी और अन्य ज़रूरी चीज़ें लाकर नेपाली सेना को सौंपी जा रही है। इस छोटे में गांव में भी मृतकों की संख्या करीब 300 तक पहुंच चुकी है और करीब 1000 लोग घायल हैं। कई लोग यहां से दूसरी जगह रह रहे अपने परिवार के अन्य सदस्यों से मिलने जाना चाहते हैं।
काठमांडु दूतावास के पास पहुंचे NDTV संवाददाता हृदयेश जोशी को बिहार के छपरा, सुगौली और अन्य सीमावर्ती ज़िलों से यहां काम करने आये लोगों ने बताया कि भारतीय दूतावास के पास जो बसें लगी हैं उसका इस्तेमाल प्रशासन कर रही है और आम लोगों को टैक्सी में एक सवारी के लिए 5,000 रुपया देना पड़ (क्लिक कर देंखे वीडियो रिपोर्ट) रहा है।
बस अड्डे पर जमा सैंकड़ों लोगों ने NDTV को बताया कि भारत सरकार द्वारा भेजी गई बसों के आने से उन्हें अपने घर लौटने की उम्मीद जगी है। कुछ लोगों का कहना है कि उनसे अलग-अलग तरह से पहचान-पत्र मांगे जा रहे हैं और सही मदद नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा लोगों को भोजन, दवाईयां और अन्य ज़रूरी चीज़ों की भी किल्लत हो रही है।
काठमांडु एयरपोर्ट के बाहर पहुंचे NDTV रिपोर्टर सिद्धार्थ पांडेय के अनुसार मीडिया को एयरपोर्ट के अंदर जाने से रोक दिया गया है, लेकिन एयरपोर्ट के बाहर उन्होंने 20-25 की संख्या में यूपी रोडवेज़ की बसें खड़ी हैं जो लोगों के मुफ़्त सेवा दे रही है, लेकिन यहां जमा हुए लोग बसों से रोड के ज़रिए लौटना नहीं चाहते (क्लिक कर देंखे वीडियो रिपोर्ट) क्योंकि रास्ते में चट्टानों के गिरने और हादसा होने का डर उनके मन में है।
भूकंप के तीन दिन बाद भी भूकंप के झटके अब भी आ रहे हैं ऐसे में लोग हवाई जहाज़ से ही वापिस आना चाहते हैं लेकिन अफ़वाहों के कारण वे काफ़ी डरे हुए हैं।
पश्चिमी नेपाल के धादिन गांव पहुंची NDTV रिपोर्टर सोनल मेहरोत्रा जब वहां पहुंची तो उन्होंने देखा कि यहां एक फुटबॉल ग्राउंड को हेलीपैड की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। (देखें वीडियो रिपोर्ट : नेपाल के धादिन गांव तक पहुंची मदद का जायजा लिया एनडीटीवी ने )
यहां भारत से एयरफोर्स के प्लेन में राशन, खाने-पीने की चीज़ें, कंबल, दवाइयां, पानी और अन्य ज़रूरी चीज़ें लाकर नेपाली सेना को सौंपी जा रही है। इस छोटे में गांव में भी मृतकों की संख्या करीब 300 तक पहुंच चुकी है और करीब 1000 लोग घायल हैं। कई लोग यहां से दूसरी जगह रह रहे अपने परिवार के अन्य सदस्यों से मिलने जाना चाहते हैं।
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