विज्ञापन

Exclusive: धराली में  मची तबाही के पीछे का क्या है कारण? सात झीलों से क्या है कनेक्शन, पढ़ें NDTV की रिपोर्ट

NDTV की टीम जब इन तालों के पास पहुंचीं तो वह हैरान रह गई. हैरान होने की सबसे बड़ी वजह थी छडग्यिा ताल. हमें उम्मीद थी कि ये ताल सबसे बड़ी है तो इसमें पानी भी सबसे ज्यादा होगा. लेकिन इस ताल में पानी ही नहीं था.

Exclusive: धराली में  मची तबाही के पीछे का क्या है कारण? सात झीलों से क्या है कनेक्शन, पढ़ें NDTV की रिपोर्ट
धराली में मची तबाही के पीछे की क्या थी वजह, NDTV ने की पड़ताल
  • धराली गांव में पहाड़ों से आए सैलाब ने भारी तबाही मचाई, कई लोग मारे गए और कई लापता हैं
  • सात तालों में से अधिकांश ताल सूखे मिले, केवल दो तालों में पानी दिखाई दिया, जिससे आश्चर्य हुआ
  • विशेषज्ञों के अनुसार भू स्खलन से हिमालय के पानी के प्रवाह और भूमिगत चैनल में बड़े बदलाव आए हैं
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
धराली:

धराली में कुछ दिन पहले पहाड़ों से आए सैलाब ने पूरे गांव को मलबे के ढेर में बदल दिया. इस घटना में कई लोगों की मौत हुई जबकि कई लोग अब भी लापता हैं, जिनकी तलाश अभी भी जारी है. NDTV ने इस आपदा से जुड़ी हर छोटी बड़ी अपड़ेट आप तक पहुंचाई. NDTV ने आपको बताया कि कैसे कुछ सेकेंड्स में ही एक खुशहाल गांव कैसे मलबे के 'पहाड़' में बदल गया. इस आपदा के बाद अब लोगों के दिमाग में एक समान्य सा सवाल उठ रहा है. और वो ये कि आखिर इतना पानी एकाएक धराली के पास से गुजरने वाली खीर गंगा नदी में आया कैसे?

Latest and Breaking News on NDTV

NDTV की टीम को भी ये सवाल लगातार परेशान कर रहा था. लिहाजा, हमारी टीम ने 1000 फिट ऊपर बने श्रीकंठ पहाड़ के उन सात तालों तक पहुंचने का फैसला किया, जिसके बगल से ही होता हुआ ये सैलाब नीचे तक आया था. दरअसल, हम इस बात का पता लगाना चाहते थे क्या इन सातों झील का कनेक्शन भी इस तबाही से जुड़ा था? या क्या फिर किसी ग्लेशियर के टूटने से ये तबाही मची थी. इस पहेली को सुलझाने के लिए सेना, SDRF और कई विशेषज्ञों की टीमों ने खीर गंगा के किनारे बने सात तालों की वीडियो मैपिंग की और उनमें हो रहे बदलावों को समझने की कोशिश भी की.

Latest and Breaking News on NDTV

NDTV की टीम के लिए सात तालों तक पहुंचने का ये सफर आसान नहीं था. धराली गांव को पार करते ही चीड़ का दुर्गम जंगल शुरु होता है जहां भालुओं का ख़तरा मौजूद रहता है.यहां बड़े और पुराने पेड़ों के बीच बनी इन पगडंडियों से होते हुए श्रीकंठ पर्वत की ओर हमने ट्रैकिंग शुरू की लेकिन पहाड़ों से गुजरते हमने देखा कि तमाम पेड़ों की कटाई भी इन इलाक़ों में की गई.जबकि चीड़ के ये पेड़ हिमालय के पर्यायवरण के सबसे बड़े प्रहरी हैं. जंगल और घाटियों से करीब दो घंटे गुज़रने के बाद श्रीकंठ की पहाड़ियों के दो किमी के दायरे में फैले सात ताल शुरू होते हैं. यहां हाल के कुछ सालों में सेब के बागान भी लगाए गए हैं. यहां बसे इक्का दुक्का स्थानीय लोगों ने बताया कि कुछ सालों में झील के पानी में कमी आई है..ऊंचाइयों पर रहने वाले इन जनजातीय लोगों के साथ हम सबसे पहले सातवें ताल यानि मृदंग ताल पहुंचे. ये ताल सबसे नीचे हैं और प्रकृति ने इसके पानी को फिल्टर कैसे किया है इसमें छह तालों का पानी फिल्टर होकर आता है क्योंकि इससे ऊपर छह ताल और हैं.इसी ताल से मृदंगा नदी भी निकली है.सबसे ऊपर श्री कंठा ताल है जो बिल्कुल श्रीकंठ पहाड़ के नीचे है.इसके बाद फिर 50 मीटर नीचे गुप्त ताल है..यहां से 100 मीटर नीचे रिखताल है फिर ब्राह्मण ताल, छटगिया ताल फिर इसके नीचे डायरिया ताल है और सबसे बड़ी छडग्यिा ताल है.

Latest and Breaking News on NDTV

एनडीटीवी की टीम रह गई हैरान

हमारी टीम जब इन तालों के पास पहुंचीं तो वह हैरान रह गई. हैरान होने की सबसे बड़ी वजह थी छडग्यिा ताल. हमें उम्मीद थी कि ये ताल सबसे बड़ी है तो इसमें पानी भी सबसे ज्यादा होगा. लेकिन इस ताल में पानी ही नहीं था. इतना ही नहीं श्रीकंठ पहाड़ों पर बने इन 7 में से केवल दो तालाबों में ही पानी दिख रहा था. बाक़ी सारे सूखे पड़े हैं. यहीं हमने देखा कि 10-11 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर रहस्यमयी तरीक़े से सेब के बागान भी लगे हैं, जबकि यहां दूर-दूर तक कोई गांव भी नहीं है. विशेषज्ञ की मानें तो तालाब सूखने के पीछे हिमालय के पहाड़ों में भू स्खलन की वजह से पानी के प्राकृतिक प्रवाह और पहाड़ों के अंडर ग्राउंड पानी के चैनेल में बड़े बदलाव हो रहे है. यही वजह है कि जिस खीर गंगा के बारे में स्थानीय लोग कहते थे कि ये चूहा भी नहीं मार सकती है वहां तबाही आ गई. 

Latest and Breaking News on NDTV

NDTV की टीम ने धराली आपदा की जांच कर रही टीम से की बात

कैमरे पर ना आने की शर्त पर इन लोगों ने बताया कि प्राथमिक तौर पर धराली की आपदा के पीछे बड़े ग्लेशियर के टूटने की बात सामने नहीं आई है क्योंकि यहां पहले से इतना ग्लेशियर नहीं है.दूसरा, ग्लेशियर के टूटने फिर तालाब में गिरने से पानी के बड़े सैलाब आने की बात भी सेटेलाइट और हेलीकॉप्टर के फुटेज देखने के दौरान नहीं आई है.धराली और उसके आसपास हेलीकॉप्टर, द्रोन मैंपिंग, श्रीकंठ पहाड़ों के सात तालों को देखने और खीर गंगा नदी का मुआयना करने पर प्राथमिक तौर पर विशेषज्ञ यहीं निष्कर्ष निकाल रहे हैं कि ऊपर के हिस्सों में बादल के फटने से पानी तीन चैनेल खीर गंगा, तेल गाढ़ और भेला गाढ़ में बंटा. इन पहाड़ी नदियों में खुद का भी सैकड़ों साल पुराना गाद पहले से था और ये बहुत ऊंचाई और संकरी घाटी से गुज़रती हैं इसके चलते ऊपर  से काफ़ी तेज़ी से पानी के साथ मलबा आया जिसने तबाही मचाई है.

Latest and Breaking News on NDTV

विशेषज्ञ ये भी मानते हैं हिमालय में 10-11 हज़ार से ज़्यादा ऊंचाई के पहाड़ों पर कितनी बारिश होती है उसे मांपा नहीं जा सकता है.इसीलिए धराली में बारिश के आंकड़े से अंदाज़ा लगाना ग़लत है.पहाड़ी नदियों के मलबों की जांच से भी ये बात साफ़ हुई है कि इसमें ग्लेशियर अंश नहीं बल्कि पत्थरों की रगड़ से टूटने वाले पत्थर और पहाड़ों की ऊपरी मिट्टी मिली है.जो पानी को ज़्यादा रोक सकती है और आम बालू से सख़्त होती है.

Latest and Breaking News on NDTV

विशेषज्ञों ने धराली की खीर गंगा और हर्षिल में तबाही मचाने वाली तेल गाढ़ नदियों के बहने के पैटर्न का भी अध्ययन किया है तो पता चला है कि आम तौर पर अब इन दोनों पहाड़ी नदियों का पानी दो बजे दोपहर के बाद बढ़ना शुरु होता है. और फ़िलहाल मटमैला होता है जो दिखाता है कि हिमालय की ऊंचाइयों में बारिश होती है और पहाड़ों की मिट्टी भी कमज़ोर हो रही है. यही वजह है हिमालय की सदियों पुरानी झीलें सूख रही हैं और जिन हिम नदियों में बहुत कम पानी आता था वहां सैलाब आ रहा है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com