ब्रिटेन की संसद की रॉयल गैलरी में पीएम नरेंद्र मोदी
लंदन:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवाद को परिभाषित किये जाने की पुरजोर मांग करते हुए गुरुवार को कहा कि दुनिया को एक आवाज में आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाना चाहिए और उन देशों को अलग-थलग करना चाहिए जो आतंकवादियों को पनाह देते हैं।
ब्रिटिश संसद को संबोधित करते हुए मोदी ने खराब आतंकवादियों और अच्छे आतंकवादियों को लेकर दुनिया में हो रही चर्चाओं के बीच कहा, ‘आतंकवादी समूहों और आतंकवाद को पनाह देने वालों के बीच कोई भेद नहीं होना चाहिए। हमें इसके खिलाफ ईमानदारी से लड़ना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि हमें ऐसा सामाजिक आंदोलन चलाने की जरूरत है, जिसमें आतंकवाद को धर्म से न जोड़ा जा सके।
इससे पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान आतंकवाद के मुद्दे पर मोदी ने कहा कि दोनों देश चाहते हैं कि सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद की परिभाषा पर एक राय बने जो कि अब तक नहीं बन पायी है।
उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन दोनों आतंकवाद से परेशान हैं और आतंकवाद से लड़ना एक, दो या तीन देशों का प्रश्न नहीं है, यह मानवता का विषय है और हर किसी की जिम्मेदारी है। आज आतंकवाद ऐसे फैल रहा है और इसकी कोई सीमा नहीं है। हर दिन नये नाम से और नये हथियार लेकर यह सामने आ रहा है। गांधीजी कहते थे कि न्याय तब होगा जब आपको ज्ञान हो कि अन्याय किसे कहते हैं। मानवतावादी शक्तिओं को एकसाथ मिलकर आतंकवाद को अलग थलग करने की जरूरत है।
मोदी ने कहा, ‘हमें संयुक्त राष्ट्र में बिना किसी देरी के अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक संधि को स्वीकार करना चाहिए। इस मामले में आतंकवादी समूहों या देशों के बीच किसी तरह का भेद नहीं किया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि भारत ऐसा अफगानिस्तान चाहता है जो वहां के लोगों के सपनों के अनुरूप हो, न कि अतार्किक भय और दूसरे की आकांक्षाओं पर आधरित हो।
मोदी ने संसद में कहा कि हम ऐसे क्षेत्र में रह रहे हैं जहां एक क्षेत्र में अस्थिरता हमारे दरवाजे तक दस्तक दे देती है और हम कट्टरपंथ और शरणार्थी की चुनौतियों को देख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि फॉल्टलाइन देशों की सीमाओं को पार करके हमारे समाज और हमारे नगरों तक आ गई है। उन्होंने कहा कि हमें अपने साइबर स्पेस की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में अपने संबोधन में ब्रिटेन के लिए भारत के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि जितना पूरा यूरोप मिलकर ब्रिटेन में निवेश करता है, उतना अकेला भारत करता है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में परियोजनाओं में प्रत्यक्ष निवेश करने वाला भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है।
इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनी टाटा एक ब्रिटिश कंपनी को चला रहा है जो निजी क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार देने वाला बन गया है।
मोदी ने कहा कि हम भारत में विनिर्माण क्षेत्र के इंजन को आगे बढ़ा रहे हैं और अपने कृषि क्षेत्र को और उत्पादक बनाने और दृढ़ बनाने की पहल कर रहे हैं। इसके साथ ही हम अपने युवाओं के कौशल विकास की पहल कर रहे हैं।
मोदी ने कहा कि हम स्टार्टअप के जरिये अगली पीढ़ी के आधारभूत ढांचे का निर्माण करने की पहल कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन पर पेरिस सम्मेलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विश्व ने सामूहिक कार्रवाई का एक सुंदर संतुलन बनाया है जो साझा भी है लेकिन क्षमताओं के अनुसार जिम्मेदारी को अलग अलग भी किया गया है।
उन्होंने कहा कि जब हम संयम की बात करते हैं तब हमें केवल जीवाश्म इंधन के उपयोग को सीमित करने के बारे में ही नहीं बल्कि अपनी जीवन शैली को बदलने के बारे में भी सोचना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने बैठक के दौरान अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का भी प्रस्ताव किया है ताकि सौर ऊर्जा को हमारे जीवन का हिस्सा बनाया जा सके।
भारत में निवेश के अनुकूल माहौल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अगर आप भारत आएंगे तो आपको बदला हुआ माहौल मिलेगा, जहां कारोबार करने के अनुकूल माहौल और व्यवस्था है।
ब्रिटिश संसद को संबोधित करते हुए मोदी ने खराब आतंकवादियों और अच्छे आतंकवादियों को लेकर दुनिया में हो रही चर्चाओं के बीच कहा, ‘आतंकवादी समूहों और आतंकवाद को पनाह देने वालों के बीच कोई भेद नहीं होना चाहिए। हमें इसके खिलाफ ईमानदारी से लड़ना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि हमें ऐसा सामाजिक आंदोलन चलाने की जरूरत है, जिसमें आतंकवाद को धर्म से न जोड़ा जा सके।
इससे पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान आतंकवाद के मुद्दे पर मोदी ने कहा कि दोनों देश चाहते हैं कि सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद की परिभाषा पर एक राय बने जो कि अब तक नहीं बन पायी है।
उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन दोनों आतंकवाद से परेशान हैं और आतंकवाद से लड़ना एक, दो या तीन देशों का प्रश्न नहीं है, यह मानवता का विषय है और हर किसी की जिम्मेदारी है। आज आतंकवाद ऐसे फैल रहा है और इसकी कोई सीमा नहीं है। हर दिन नये नाम से और नये हथियार लेकर यह सामने आ रहा है। गांधीजी कहते थे कि न्याय तब होगा जब आपको ज्ञान हो कि अन्याय किसे कहते हैं। मानवतावादी शक्तिओं को एकसाथ मिलकर आतंकवाद को अलग थलग करने की जरूरत है।
मोदी ने कहा, ‘हमें संयुक्त राष्ट्र में बिना किसी देरी के अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक संधि को स्वीकार करना चाहिए। इस मामले में आतंकवादी समूहों या देशों के बीच किसी तरह का भेद नहीं किया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि भारत ऐसा अफगानिस्तान चाहता है जो वहां के लोगों के सपनों के अनुरूप हो, न कि अतार्किक भय और दूसरे की आकांक्षाओं पर आधरित हो।
मोदी ने संसद में कहा कि हम ऐसे क्षेत्र में रह रहे हैं जहां एक क्षेत्र में अस्थिरता हमारे दरवाजे तक दस्तक दे देती है और हम कट्टरपंथ और शरणार्थी की चुनौतियों को देख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि फॉल्टलाइन देशों की सीमाओं को पार करके हमारे समाज और हमारे नगरों तक आ गई है। उन्होंने कहा कि हमें अपने साइबर स्पेस की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में अपने संबोधन में ब्रिटेन के लिए भारत के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि जितना पूरा यूरोप मिलकर ब्रिटेन में निवेश करता है, उतना अकेला भारत करता है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में परियोजनाओं में प्रत्यक्ष निवेश करने वाला भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है।
इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनी टाटा एक ब्रिटिश कंपनी को चला रहा है जो निजी क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार देने वाला बन गया है।
मोदी ने कहा कि हम भारत में विनिर्माण क्षेत्र के इंजन को आगे बढ़ा रहे हैं और अपने कृषि क्षेत्र को और उत्पादक बनाने और दृढ़ बनाने की पहल कर रहे हैं। इसके साथ ही हम अपने युवाओं के कौशल विकास की पहल कर रहे हैं।
मोदी ने कहा कि हम स्टार्टअप के जरिये अगली पीढ़ी के आधारभूत ढांचे का निर्माण करने की पहल कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन पर पेरिस सम्मेलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विश्व ने सामूहिक कार्रवाई का एक सुंदर संतुलन बनाया है जो साझा भी है लेकिन क्षमताओं के अनुसार जिम्मेदारी को अलग अलग भी किया गया है।
उन्होंने कहा कि जब हम संयम की बात करते हैं तब हमें केवल जीवाश्म इंधन के उपयोग को सीमित करने के बारे में ही नहीं बल्कि अपनी जीवन शैली को बदलने के बारे में भी सोचना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने बैठक के दौरान अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का भी प्रस्ताव किया है ताकि सौर ऊर्जा को हमारे जीवन का हिस्सा बनाया जा सके।
भारत में निवेश के अनुकूल माहौल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अगर आप भारत आएंगे तो आपको बदला हुआ माहौल मिलेगा, जहां कारोबार करने के अनुकूल माहौल और व्यवस्था है।
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