
प्रतीकात्मक फोटो
- दुनियाभर में 1.1 अरब लोग आधिकारिक रूप से हैं ही नहीं
- ये लोग बिना किसी पहचान प्रमाण पत्र के हैं
- विश्व बैंक के ‘विकास के लिए पहचान’ कार्यक्रम (आईडी4डी) से यह जाहिर हुुआ
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आईडी4डी कार्यक्रम का प्रबंधन करने वाली वैजयंती देसाई ने कहा कि यह मुद्दा कई कारणों की वजह से है लेकिन इसकी प्रमुख वजह विकासशील इलाकों में लोगों और सरकारी सेवाओं के बीच दूरी है.
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र की प्रतिनिधि एनी सोफी लुईस ने कहा कि कई परिवारों को जन्म पंजीकरण के महत्व के बारे में बताया ही नहीं जाता. पंजीकरण नहीं होने की वजह से बच्चों को उनका मूल अधिकार नहीं मिल पाता. उन्हें स्कूलों में दाखिला नहीं मिल पाता. यदि माता-पिता को जन्म पंजीकरण की जानकारी भी हो तो भी कई बार लागत की वजह से वे ऐसा नहीं करते हैं.
उन्होंने कहा कि राजनीतिक वातावरण भी कई बार परिवारों को अपनी पहचान उजागर करने के प्रति हतोत्साहित करता है. किसी एक समुदाय या नागरिकता के लोगों के बीच पहचाने जाने का भी डर होता है. यह दुर्भाग्य की बात है कि कई बार सरकारें एक समूह के मुकाबले दूसरे को अधिक वरीयता देती हैं.
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चीन जैसे देश में कई साल तक लोगों ने जानबूझकर अपने बच्चों का पंजीकरण इसलिए नहीं कराया क्योंकि उन्हें ‘एक बच्चे की नीति’ के नतीजों का डर था.
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